मुंबई। सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में डिफॉल्ट जमानत दे दी है. हालांकि, उनकी रिहाई अभी नहीं हो पाएगी, क्योंकि ज़मानत की शर्तें तय नहीं हुई हैं.

जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की खंडपीठ ने भारद्वाज के साथ आठ अन्य द्वारा किए गए की जमानत याचिका को सुरक्षित रखा था. इसके पहले सुनवाई के दौरान एनआईए के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने आदेश के संचालन और कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया कि वह पहले ही अपने फैसले में आदेशों पर विचार कर चुकी हैं.

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में वर्ष 2018 में हुई घटना के मामले में जेल में निरुद्ध सुधा भारद्वाज के वकील का सुनवाई के दौरान कहना था कि एनआईए एक्ट के तहत केवल एक विशेष अदालत को ही गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून से जुड़े मामलों की सुनवाई करने की अनुमति दी गई थी. लेकिन इस मामले में पुणे सत्र न्यायालय ने 2018-19 में इस मामले में संज्ञान लिया, जो नियम विरुद्ध था.

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भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में सुधा भारद्वाज के अलावा वरवर राव, सोमा सेन, सुधीर धावले, रोना विल्सन, एडवोकेट सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, वरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा की ओर से भी ज़मानत याचिका दायर की की गई थी. लेकिन अदालत ने सुधा भारद्वाज के अलावा अन्य लोगों को ज़मानत ख़ारिज कर दी.

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