उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व वाली सरकार के शासनकाल में महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर किए गए व्यापक प्रयास अब ठोस परिणामों के रूप में सामने आ रहे हैं. प्रदेश में महिला सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्तीय स्वतंत्रता और रोजगार सृजन जैसे क्षेत्रों में तेजी से सुधार हुआ है. इसी परिवर्तन को आधार बनाकर उत्तर प्रदेश आज महिला सशक्तिकरण के जरिए सामाजिक और आर्थिक बदलाव की नई मिसाल पेश कर रहा है.

प्रदेश सरकार ने सबसे पहले महिला सुरक्षा को प्राथमिकता दी. एंटी रोमियो स्क्वाड की सक्रियता, 1090 वुमेन पावर लाइन का विस्तार और पिंक पेट्रोलिंग जैसे कदमों ने महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार किया है. शहरों और गांवों दोनों में बदलते सामाजिक वातावरण का असर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है. परिवारों में लड़कियों की शिक्षा को लेकर सकारात्मकता बढ़ी है और माता-पिता अब बिना किसी संकोच के बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

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सामाजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में मिशन शक्ति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसके माध्यम से महिला समूहों को नेतृत्व, आत्मनिर्भरता, सुरक्षा और जागरूकता से जोड़ा गया. बालिकाओं के लिए कायाकल्प, स्कूलों में जेंडर सेफ्टी प्रोग्राम और किशोरी स्वास्थ्य अभियान जैसे प्रयासों ने सामाजिक बदलाव की सुदृढ़ नींव रखी. मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना ने आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों को जन्म से लेकर स्नातक तक आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई, जिससे पढ़ाई में निरंतरता बनी.

महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की बात करें तो यूपी आज देश में सबसे बड़े महिला स्वयं सहायता समूह नेटवर्क के रूप में उभर रहा है. प्रदेश में लाखों महिलाएं आज स्वयं सहायता समूहों के जरिए उद्यमिता की ओर बढ़ रही हैं. बैंक सखी, बीसी सखी और कृषि सखी जैसे मॉडल ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता को गति दे रहे हैं. बैंकिंग सेवाओं में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ग्रामीण बैंकिंग को नए स्तर पर पहुंचा रही है. ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना) ने महिलाओं को स्थानीय उत्पादों पर आधारित रोजगार से जोड़ने का मजबूत अवसर दिया है. हथकरघा, हस्तशिल्प, फूड प्रोसेसिंग और स्थानीय उद्योगों में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है. शासन की ओर से आसान ऋण, प्रशिक्षण, मार्केट लिंक और डिजिटल प्लेटफॉर्म का सहयोग मिलने से महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं.

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स्टार्टअप नीति के अंतर्गत महिला उद्यमियों को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है. महिला आधारित स्टार्टअप को अनुदान और मार्गदर्शन मिलने से टेक्नोलॉजी आधारित उद्यमों में भी उनकी भागीदारी बढ़ी है. प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों के जरिए पोषण उपक्रम, यूनिफॉर्म निर्माण, समुदाय आधारित स्वच्छता सेवाएं और स्थानीय उत्पादन यूनिट्स चलाने वाली महिलाओं ने साबित किया है कि आर्थिक सशक्तिकरण ग्रामीण विकास को भी गति देता है.

सरकारी योजनाओं के प्रभाव से आज गांवों से लेकर शहरों तक महिलाओं की भूमिका केवल पारिवारिक सीमाओं तक ही केंद्रित नहीं हैं, बल्कि आर्थिक गतिविधियों में उनकी जिम्मेदारी, भूमिका और सक्रियता निरंतर बढ़ रही है. योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रयासों ने महिलाओं को सुरक्षा, सम्मान और अवसर प्रदान कर समाज में उनकी स्थिति को पहले से ज्यादा सशक्त बनाया है. उत्तर प्रदेश का यह परिवर्तन प्रदेश सरकार नीतियों और प्रयासों का परिणाम है. जिसने महिलाओं को नई ऊर्जा और नई दिशा दी है. प्रदेश अब वास्तविक अर्थों में महिला सशक्तिकरण को सामाजिक और आर्थिक विकास की धुरी बनाने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है.

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महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण से संबंधित आंकड़े

  • उत्तर प्रदेश में महिला स्वयं सहायता समूहों की संख्या 2025 तक लगभग 95 लाख सदस्यों तक पहुंच गई है.
  • सभी ग्राम पंचायतों में बीसी सखियों की तैनाती की गई है। वित्तीय समावेशन और महिला सशक्तिकरण को गति देने वाले इस प्रयास के अंतर्गत बीसी सखियों ने लगभग 32 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का वित्तीय लेनदेन किया है.
  • ओडीओपी योजना में महिलाओं की भागीदारी 2018 की तुलना में 2024 तक लगभग 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. विशेष रूप से यह वृद्धि हस्तशिल्प, हथकरघा, फूड प्रोसेसिंग और वुडक्राफ्ट क्षेत्रों में दर्ज हुई है.
  • महिला उद्यमिता मिशन और स्टार्टअप नीति के अंतर्गत 2025 तक लगभग 3200 से ज्यादा महिला संचालित स्टार्टअप रजिस्टर्ड हुए हैं.
  • विगत साढ़े 08 वर्षों में श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी 14 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत हो गई है.