छत्तीसगढ़ में रोजगार और आजीविका के बढ़ते संसाधनों के साथ जहां आर्थिक उन्नति और समृद्धि के द्वार खुल रहे हैं, वहीं समाज के भीतर लोगों में एकजुटता और समरसता भी बढ़ रही है. लोग वैचारिक मतभेद और सामाजिक दूरियां दरकिनार कर एक साथ मिलकर काम कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं.
राज्य के गौठान, महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा), वनधन केंद्र, राजीव युवा मितान क्लब, आंगनवाड़ी केंद्र, ग्राम पर्यटन समिति से लेकर जितने भी संगठन, समितियां और समूहों के माध्यम से लोग मिलकर काम कर रहे हैं. वहां अब सामाजिक सौहार्द का माहौल और समरसता का भाव देखने को मिल रहा है. यह सुखद वातावरण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की उन योजनाओं और फैसलों का नतीजा है, जिन्हें आम जनता की खुशहाली और समृद्धि को केंद्र में रखकर लागू किया गया है.
एक वक्त था, जब सरगुजा के बेलखरिखा गांव की फरीदा बेगम अपने ही पड़ोस में रहने वाली सुलेखा यादव से बात करने में कतराती थीं. उन्हें इस बात की हिचकिचाहट थी कि सुलेखा कैसी प्रतिक्रिया देंगी ? फिर वो समय आया जब दोनों गांव में एक समूह से जुड़कर रेशम ककून के रोजगार से जुड़ गईं. दोनों एक साथ काम करने लगीं और धीरे-धीरे गपशप करते हुए उनके बीच अच्छी मित्रता हो गई. अब फरीदा, सुलेखा हो या समूह की कोई भी सदस्य, सभी के बीच तालमेल एक परिवार जैसा बन चुका है. दुख-सुख से लेकर हर परिस्थिति में ये साथ रहती हैं और एक दूसरे की मदद करती हैं.
फरीदा बेगम कहती हैं कि हम मिलकर काम करते हैं. इस दौरान जितने भी समस्याएं आई हैं, उन्हें सुलझाने हम एक दूसरे के लिए खड़े रहे हैं. एक किस्से का जिक्र करते हुए फरीदा ने कहा कि हमारे घर में पारिवारिक विपदा आन खड़ी हुई थी, तब मेरे समूह की सदस्यों ने ही हमारे परिवार की मदद कर हमें इस तकलीफ से उबारा था. ऐसे कई उदाहरण और किस्से हैं, जिन्हें गिनाए जा सकते हैं. हम एक साथ काम करने के अलावा हर रोज अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों के बारे में चर्चा करते हैं. हम त्यौहारों, आयोजनों में भी साथ होते हैं.