हिंदू धर्म में ग्रहण काल को बेहद शक्तिशाली और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रभावकारी समय माना गया है. मान्यता है कि सूर्य या चंद्र ग्रहण के दौरान वातावरण में विशेष ऊर्जा सक्रिय हो जाती है, जो साधना, मंत्र जाप और दान-पुण्य को कई गुना फलदायी बना देती है. यही कारण है कि शास्त्रों में इसे सिद्धि का काल कहा गया है. शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण से पहले स्नान करके पवित्रता बनाए रखना चाहिए और ग्रहण काल में मौन रहकर भगवान के नाम का जाप करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. इस दौरान तुलसी मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र और पितरों के लिए तर्पण मंत्रों का जाप करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. ग्रहण के बाद स्नान, दान और भोजन वितरण करना अनिवार्य बताया गया है.

कब लगेगा सूर्य ग्रहण?
यह विशेष सूर्य ग्रहण रविवार, 21 सितंबर 2025 को लगेगा. भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण रात 10:59 बजे प्रारंभ होकर 22 सितंबर को सुबह 3:23 बजे तक चलेगा. चूंकि भारत मान्य नहीं होगा. लेकिन ग्रहण का प्रभाव विशेष रूप से साधना, जाप और ध्यान करने वालों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति इस काल में श्रद्धा और नियमपूर्वक साधना करता है, उसके जीवन की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और बाधाओं का निवारण होता है. यही कारण है कि ग्रहण काल में किए गए उपाय न सिर्फ तत्काल असर दिखाते हैं बल्कि लंबे समय तक शुभ फल भी प्रदान करते हैं.
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