मलकानगिरी : छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा से लगे विशाल जंगलों में नक्सली संगठन के सभी बड़े नेता और पीएलजीए के शीर्ष कैडर के मौजूद होने की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने 21 अप्रैल से 11 मई तक 10,000 जवानों के साथ करगट्टा जंगल में अभियान चलाया। जवानों ने जंगल में 20 दिनों से अधिक समय तक माओवादियों को पकड़ने का अभियान जारी रखा।
एसआईआरपीवी के महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने करेगाट्टा जंगल में ऑपरेशन के संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। सैनिकों ने इस जंगल से 250 से अधिक बारूदी सुरंगें भी बरामद कीं। इस अभियान में सीआरपीएफ, कोबरा, एसटीएफ, जिला पुलिस के साथ-साथ तेलंगाना ग्रेहाउंड्स भी शामिल थे। जंगल के विभिन्न हिस्सों में नए पुलिस शिविर भी स्थापित किए गए।

कहा गया है कि इस क्षेत्र के गांवों के लोगों को चावल, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, चीनी, गुड़ आदि सभी प्रकार की मुफ्त सेवाएं प्रदान की जाएंगी। करगट्टा जंगल में ऑपरेशन में मिली बड़ी सफलता के लिए पुलिस की प्रशंसा की गई है। जवान जहां दिन-रात जंगल में तलाशी अभियान चलाते रहे, वहीं बीएसएफ के हेलीकॉप्टर भी उन पर नजर रखते रहे और उनकी सहायता करते रहे। ड्रोन से सैनिकों को काफी मदद मिली। ड्रोन की मदद से नक्सलियों की गतिविधियों को जानकर उन्हें आसानी से निशाना बनाया गया। कहा गया है कि जब तक नक्सली आत्मसमर्पण नहीं कर देते, तब तक अभियान जारी रहेगा।
सूत्रों के अनुसार यह जंगल 60 किलोमीटर लंबा और 20 किलोमीटर चौड़ा है। इस ऑपरेशन में जवानों ने 31 नक्सलियों को मार गिराया, जिनमें 16 महिला नक्सली और 15 पुरुष नक्सली थे। इनमें से 28 नक्सलियों की पहचान पहले ही हो चुकी है। इसके अलावा नक्सली बारूदी सुरंग विस्फोट में 18 जवान घायल भी हुए।
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