प्रमोद निर्मल, मोहला-मानपुर। मानपुर इलाके में 13 अगस्त को मुठभेड़ में मारे गए 90 लाख के इनामी माओवादी विजय रेड्डी का शव लेने उसका बेटा सुगुलरी रामकृष्ण आंध्रप्रदेश से मोहला-मानपुर पहुंचा. तीसरे दिन परिजनों ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर शव को एम्बुलेंस से अपने गृह राज्य आंध्रप्रदेश ले जाया. इस दौरान नक्सली विजय रेड्डी के बेटे ने कहा कि उसे अपने पिता के जाने का अफसोस नहीं है.

जिला मुख्यालय मोहला पहुंचे रामकृष्ण ने मीडिया से बातचीत में अपने पिता को लेकर दिल की बात साझा की. करीब 28 वर्षीय रामकृष्ण ने कहा कि जब वह महज दो साल का था तभी पिता को देखा था, इसके बाद वे घर छोड़कर चले गए थे. उन्होंने यह भी स्पष्ट कहा कि पिता की मौत पर उन्हें अफसोस नहीं है.

रामकृष्ण ने बताया कि उसने सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है और वर्तमान में आउटसोर्सिंग में काम करता है. उनका बड़ा भाई मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एम.टेक कर चुका है और फिलहाल एक्सिस बैंक में कार्यरत है. परिवार में दोनों भाई और मां हैं, जो नानी (विजय रेड्डी की सास) के साथ रहते हैं.

गौरतलब है कि दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य विजय रेड्डी और उसके करीबी साथी, डिविजनल कमेटी सचिव लोकेश सलामे, की मदनवाड़ा थाना क्षेत्र के बंडा पहाड़ में मुठभेड़ के दौरान मौत हुई थी. विजय रेड्डी करीब 26 सालों से नक्सल संगठन में सक्रिय था और लाल सेना में अहम भूमिका निभा रहा था. घटना के अगले ही दिन लोकेश सलामे का शव उसके परिजन ले गए थे. लोकेश स्थानीय निवासी था और मानपुर विकासखंड के ग्राम आमाकोड़ो का रहने वाला था.