दुर्ग. साल 2018…नए साल का पहला दिन. दुर्ग उस दिन खून की इस खबर से सन्न रह गया था. दो लोगों की हत्या हुई थी. पति-पत्नी को मौत के घाट उतारा गया था. मारने वाला कोई और नहीं उनका बेटा ही था, जिसे आज अदालत ने सजा-ए-फांसी सुनाई है. कोर्ट ने आरोपी बेटे समेत चार लोगों को दोषी करार दिया है. आरोपी बेटे संदीप जैन को दुर्ग जिला कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. आरोपी को पिस्टल उपलब्ध करने वालों को 5-5 साल की जेल की सजा सुनाई गई है.

क्या हुआ था, उस दिन ?

नगपुरा में जाने-माने पार्श्व तीर्थ मंदिर के मुख्य ट्रस्टी और उनकी पत्नी की सोमवार को घर में हत्या कर दी गई थी. माता-पिता की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि उनके बेटे ने की थी. तब यह खुलासा पुलिस की पूछताछ में हुआ था. पुलिस ने दावा किया था कि उन्होंने 12 घंटे के भीतर मामले का खुलासा करते हुए मृतक दंपत्ति के 42 वर्षीय बेटे को गिरफ्तार किया है.

मृतक का बेटा पेशे से एक कवि और फिटनेस ट्रेनर है. तब दुर्ग के आईजी रहे दिपांशु कबरा ने बताया था कि ‘बेटे के पेशे की पसंद को लेकर अक्सर उनके बीच झगड़ा होता था.’ इन्हीं सबको लेकर विवाद बढ़ता गया और एक दिन ये विवाद खूनी खेल में तब्दील हो गया.

पूरी वारदात को ऐसे समझें

1 जनवरी 2018 को तकरीबन साढ़े 6 बजे सुर्जे बाई एक रिश्तेदार ने पुलिस को फोन किया कि उनके पति की हत्या कर दी गई है, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची. उन्हें टॉइलट के पास रावलमल का शव खून से लथपथ हालत में मिला. उनकी पत्नी का शव चारपाई पर मिला.

रावलमल को 2 गोलियां मारी गईं, जबकि सुर्जे बाई की 3 गोलियां मारकर हत्या की गई थी. घर के पीछे गलियारे में एक सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल और एक दो प्लास्टिक पाउच में 24 गोलियां मिली थीं. घर में दंपत्ति के साथ एक मात्र शख्स उनका बेटा संदीप था. उन्होंने पुलिस को बताया कि वह अपने बेडरूम में सो रहा था. उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं पता है.

पुलिस इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उसे यह केस जल्द से जल्द सॉल्व करना होगा, क्योंकि रावलमल छत्तीसगढ़ में एक चर्चित व्यक्ति थे. जिन्होंने योगा और नैचुरोपैथी केंद्र समेत नैचुरोपैथी मेडिकल कॉलेज की नागपुरा में शुरुआत की थी.

कई घंटों तक चली जांच के बाद पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि दोहरे हत्याकांड में शामिल शख्स मृतक दंपती को बहुत करीब से जानता था. पुलिस ने कहा था कि, ‘मौके पर ऐसे कोई निशान नहीं मिले हैं, जिनसे यह साबित हो सके कि उनके साथ कोई जबरदस्ती की गई थी.

यही नहीं जिस तरह से पिस्टल और गोलियों को घर के पीछे फेंक दिया गया था, उससे भी यह साफ हो रहा था कि हत्या करने वाला शख्स प्रफेशनल नहीं था. पुलिस ने यह भी बताया था कि ‘मिले सबूतों के आधार पर कहीं न कहीं यह साफ हो रहा था कि यह किसी अंदर वाले का ही काम है.

फरेंसिक विशेषज्ञों ने फिंगरप्रिंट्स जुटाए जिसके बाद पुलिस ने संदीप से पूछताछ शुरू की थी. इस दौरान संदीप ने पूछताछ में अपने माता-पिता की हत्या की बात कबूल कर ली थी.

ये है खास

सोमवार को ही रावलमल का जन्मदिन था. पुलिस ने बताया कि संदीप जैन कवि सम्मेलन का आयोजन करवाता था. इस काम मे वो काफी पैसे बरबाद कर चुका था. इसी को लेकर उसके और पिता और पुत्र के बीच कुछ दिनों से अनबन चल रही थी. संदीप जैन ने रावलमल के पीठ और गर्दन पर गोलियां मारी. उसकी मां ने जब इसका विरोध किया तो उन्हें भी धक्का देकर गिरा दिया. संदीप ने भी तीन गोलियां मारी. पुलिस के मुताबिक सुरजी बाई को कंधे, हाथ और गर्दन में गोलियां लगी थीं.

पुलिस को इस बात की सूचना पड़ोसियों से मिली. वारदात सिटी कोतवाली से महज 300 मीटर की दूरी पर घटी. सूचना मिलने पर पुलिस ने घर और आस पास में लगे CCTV कैमरे की तलाशी शुरू की. मृतक समाजसेवी रावलमल नगपुरा तीर्थ के संस्थापक और ट्रस्टी थे. सोमवार की सुबह काफी देर तक जब उनके कमरे से कोई आहट नहीं सुनाई दी, तो उनके एक पड़ोसी रावलमल का हालचाल लेने उनके घर में गए.

दरअसल रावलमल अपनी पत्नी सुरजी देवी के साथ रोजाना सुबह टहलने निकलते थे. सोमवार की सुबह जब दोनों टहलने नहीं निकले तो पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति उनके घर का रुख किया. दरवाजा खुला हुआ था. आवाज देने पर जब कोई जवाब नहीं मिला तो वो कमरे के भीतर चला गया. दोनों को बिस्तर में लहूलुहान देखकर उसने शोर मचाया. शोर सुनकर तुरंत कई लोग उनके घर के सामने इकठ्ठा हुए और दोनों को अस्पताल ले जाने की तैयारी करने लगे. हालांकि तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.

जैन समुदाय के प्रसिद्ध नागपुरा तीर्थ के निर्माण में रावलमल जैन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने अपने जीवन भर की कमाई इस तीर्थस्थल के निर्माण में खर्च कर दी. यह बुजुर्ग दंपति करोड़पति होने के बावजूद बिल्कुल सामान्य जीवन जी रहा था. नागपुरा तीर्थ का मैनेजमेंट रावलमल के हाथों में ही था.

बहुचर्चित रावलमल जैन दंपत्ति हत्याकांड के मुख्य आरोपी संदीप जैन को हाईकोर्ट बिलासपुर से अंतरिम जमानत 01जुलाई तक के लिए मंजूर किया गया था. अभियोजन पक्ष का मुख्य गवाह सौरभ गोलछा प्रतिपरीक्षण मे पहले दिये बयान से मुकर गया. इसके चलते गवाह का दोबारा परीक्षण कराये जाने को लेकर न्यायालय में आवेदन पेश किया गया. उच्च न्यायालय बिलासपुर में न्यायमूर्ति रजनी दुबे ने 50 हजार रूपये के निजी मुचलके और उतनी ही राशि की जमानत पर 01 जुलाई 2020 को ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के आदेश के साथ अंतरिम जमानत दे दी थी.

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