SIR Impact on Sonagachi Sex Workers: एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया बंगाल के सोनागाछी के सेक्स वर्कर्स को वोटिंग अधिकार छिनने का डर सताने लगा है। सेक्स वर्करों को लग रहा है कि अगवे साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) में वे अपने मतदान का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। सेक्स वर्कर्स बकायदा इसके लिए चुनाव आयोग से मिलने का प्लान तैयार कर रहे हैं। इसके पीछे का कारण चुनाव आयोग (election Commission) के स्टेटवाइड इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रोसेस को माना जा रहा है।
दरअसल चुनाव आयोग (election Commission) ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) में एसआईआर (SIR) प्रक्रिया शुरू कर दी है। बीएलओ घर-घर जाकर वेरीफिकेशन कर रहे हैं। सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स की चिंता है कि डॉक्यूमेंट्स की कमी के कारण उन्हें डर है कि उनके नाम वोटर लिस्ट से हट सकते हैं। दशकों पहले रोज़ी-रोटी की तलाश में अपना घर छोड़ने के बाद, उनमें से ज़्यादातर लोगों के पास कोई फैमिली रिकॉर्ड, पते का सबूत या अपने माता-पिता से कोई संपर्क नहीं है। उनकी अनिश्चित कानूनी स्थिति और ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स की कमी की वजह उनके लिए SIR प्रोसेस के तहत ज़रूरी माता-पिता की चुनावी जानकारी देना लगभग नामुमकिन है।

चुनाव आयोग से अपील…
वोटिंग अधिकार छिनने के डर में दुर्बार महिला समन्वय समिति और ऑल इंडिया नेटवर्क फॉर सेक्स वर्कर्स सहित कई NGO ने इस मुद्दे को इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया के सामने उठाने का फैसला किया है। उन्होंने ECI से अपील की है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि नौकरशाही की रुकावटों के कारण सेक्स वर्कर्स अपने वोट देने के अधिकार से वंचित न रहें। इन संगठनों का कहना है कि 2002 के बाद कई सेक्स वर्कर्स को वोट देने का अधिकार मिला और वोटर ID कार्ड भी मिले, लेकिन कई अन्य अपनी अस्थिर रहने की स्थिति और माइग्रेटरी बैकग्राउंड की वजह से छूट गए।
सेक्स वर्कर्स के सामने किस तरह की मुश्किलें?
ऑल इंडिया नेटवर्क फॉर सेक्स वर्कर्स की कोर कमिटी मेंबर भारती डे ने आजतक को बताया, “जो लोग यहां काम करने के लिए अपना गांव छोड़कर आते हैं, वे भविष्य में अपने घर वापस नहीं जा पाते, इसलिए वे हमेशा यहीं रहते हैं. कई लोगों के अब परिवार से कोई रिश्ते नहीं रहे, इसलिए उनके लिए घर जाकर अपने माता-पिता की वोटर लिस्ट इकट्ठा करना मुमकिन नहीं है. जो लोग दशकों से यहां रह रहे हैं, वे इस बात से परेशान हैं कि कुछ डॉक्यूमेंट्स की कमी की वजह से उन्हें यहां से जाना पड़ सकता है.”
उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, कई महिलाएं ऐसी भी हैं, जो असल में नेपाल से आई हैं लेकिन लंबे वक्त से यहीं रह रही हैं। तो उनका क्या होगा? इसलिए, हम बहुत जल्द इस मुद्दे को नेशनल इलेक्शन कमीशन के सामने उठाने वाले हैं। हम सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स के लिए एक पक्का समाधान चाहेंगे। उन्हें अचानक बाहर नहीं निकाला जा सकता या वोटर लिस्ट से उनका नाम नहीं हटाया जा सकता. अगर ऐसा होता है, तो भविष्य में उनके बच्चों को भी दिक्कतें हो सकती हैं। NGO आने वाले दिनों में इलेक्शन कमीशन से संपर्क करने का प्लान बना रहे हैं, ताकि सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स के चुनावी अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाए जाएं और यह पक्का किया जा सके कि किसी भी नागरिक का वोट देने का अधिकार प्रोसीजरल टेक्निकल दिक्कतों की वजह से न छीना जाए।
सोनागाछी में करीब 10 हजार सेक्स वर्कर्स
बता दें कि एक अनुमान के मुताबिक सोनागाछी में करीब 10 हजार सेक्स वर्कर्स रहते हैं। जिनमें भारतीय नागरिक समेत नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से आए हुए यौनकर्मी रहते हैं। यह क्षेत्र सैकड़ों बहुमंजिला वेश्यालयों से भरा हुआ है।
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