मुंबई. जैसे-जैसे नवरात्रि का रंगीन पर्व नजदीक आ रहा है, पूरे भारत में खुशी, भक्ति और उत्सव का माहौल बन गया है. मां दुर्गा की आराधना और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व हर वर्ग के लोगों के दिलों में एक खास स्थान रखता है. इसी भाव को मनाते हुए, सोनी सब के कलाकारों ने नवरात्रि से जुड़ी अपनी खास यादें और अनुभव साझा किए हैं. परिवार के साथ उपवास रखने से लेकर गरबा रातों में थिरकने तक – ये भावनात्मक यादें न केवल त्योहार का सार बताती हैं, बल्कि इन कलाकारों के दिलों में बसे इन परंपराओं से गहरे जुड़ाव को भी दर्शाती हैं.

पुष्पा इम्पॉसिबल में दीप्ति की भूमिका निभा रहीं गरिमा परिहार ने कहा, “नवरात्रि मेरे दिल के बहुत करीब है. मेरी मां हमेशा पूजा करती हैं और मैं बचपन से ही देवी मां की भक्त रही हूं. मां के साथ व्रत रखना और छोटी बच्चियों को भोजन कराना मेरे लिए बहुत यादगार पल होते हैं. इस साल पुष्पा इम्पॉसिबल की शूटिंग के कारण मैं दोस्तों के साथ गरबा रातों का आनंद नहीं ले पाऊंगी, लेकिन नवरात्रि की सकारात्मक ऊर्जा और देवी मां के प्रति मेरी श्रद्धा इस त्योहार को मेरे लिए हमेशा खास बना देती है.”

उफ़्फ… ये लव है मुश्किल में कैरी शर्मा की भूमिका निभा रहीं आशी सिंह ने कहा, “नवरात्रि हमेशा से मेरे लिए बहुत खास पर्व रहा है. मेरे लिए ये नौ दिन केवल उत्सव नहीं बल्कि भक्ति, अनुशासन और आत्मबल का प्रतीक हैं. मुझे बहुत अच्छा लगता है जब चारों तरफ गरबा और डांडिया की धुनों से माहौल जीवंत हो जाता है. बचपन में मैं रंग-बिरंगी चनिया-चोली पहनकर दोस्तों के साथ नाचने के लिए हमेशा उत्साहित रहती थी. आज भी, शूटिंग शेड्यूल कितना भी व्यस्त हो, मैं कम से कम एक गरबा रात में जरूर शामिल होने की कोशिश करती हूं.”

उफ़्फ… ये लव है मुश्किल में लता की भूमिका निभा रहीं ऋधिमा पंडित कहती हैं, “मेरे लिए नवरात्रि का मतलब है सकारात्मकता और भक्ति. बचपन में मुझे याद है कि मैं मां के साथ पूजा के दौरान प्रसाद बनाने में मदद करती थी और इन पारिवारिक परंपराओं से हमें बहुत करीब ला देती थीं. मुझे इस त्योहार की सबसे खास बात यही लगती है कि यह हर उम्र के लोगों को साथ लाकर एक परिवार की तरह जोड़ देता है – सब मिलकर नाचते, गाते और प्रार्थना करते हैं. मेरे लिए नवरात्रि आत्मचिंतन का भी समय होता है, जब मैं मां दुर्गा की शक्ति और करुणा को याद करती हूं. मैं हर साल इस साहस और सकारात्मकता को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करती हूं. मैं हमेशा पंडालों में जाकर उस आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करती हूं, और मुझे अच्छा लगता है जब चारों तरफ गरबा और डांडिया का जीवंत माहौल बन जाता है.”

इत्ती सी खुशी में नंदिता की भूमिका निभा रहीं गौरी टोंक ने कहा, “मैं पहले ठाणे में रहती थी और नवरात्रि के दौरान हमारी सोसाइटी दफ्तर में देवी मां की सुंदर प्रतिमा स्थापित करती थी और रोज पूजा होती थी. मुझे पूजा और त्योहार बहुत पसंद हैं – लोग मुझे मजाक में पंडित भी कहते हैं! लोगों से मिलना, आरती और पूजा करना, ये सब इतना सकारात्मक और उत्साहजनक वातावरण बनाते हैं जिसे मैं बहुत संजोती हूं. बचपन में हम माता रानी की प्रतिमा के सामने पूजा करते और गरबा खेलते थे, और आज मैं अपने बच्चों को भी नवरात्रि के दौरान पंडालों में दर्शन कराने ले जाती हूं, ताकि वे भी इस अनुभव से जुड़ सकें. शूटिंग का शेड्यूल व्यस्त होने के बावजूद, मैं हमेशा समय निकालती हूं क्योंकि नवरात्रि साल में सिर्फ एक बार आती है, और हम इसे गरबा और डांडिया खेलकर समाप्त करते हैं – यह हमेशा बहुत सुखद अनुभव होता है.”

इत्ती सी खुशी में संजय की भूमिका निभा रहे ऋषि सक्सेना कहते हैं, “सच कहूं तो मैंने नवरात्रि का असली भव्य रूप मुंबई आकर ही देखा. बचपन में मेरे लिए ये बस स्थापना पूजा और व्रत तक ही सीमित था, लेकिन मुंबई ने मुझे इसकी रंगीनियां, व्यंजन, गरबा और अंतहीन उत्सवों से परिचित कराया. जब भी समय मिलता है, मुझे लोगों को सजा-धजा देखना, सुंदर सजावटें और गरबा रातों का जोश और ऊर्जा देखना बहुत अच्छा लगता है. यहां का माहौल हमेशा इतना जीवंत, खुशहाल और उमंग से भरा होता है – यही चीज मुझे नवरात्रि में सबसे ज्यादा पसंद है.”