गोरखपुर. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अभी मंडल स्तर पर संचालित अभ्युदय कोचिंग शीघ्र ही जिलों में भी उपलब्ध होगी. मुख्यमंत्री शुक्रवार को एनेक्सी भवन के सभागार में अभ्युदय कोचिंग के छात्रों से मुखातिब थे.

इस अवसर पर उन्होंने मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) की डिजिटल लाइब्रेरी का वर्चुअल शुभारंभ भी किया. अपने संबोधन में सीएम योगी ने कहा कि अभ्युदय कोचिंग के चयनित छात्रों को मुफ्त टैबलेट देने के लिए राज्य सरकार ने बजट में व्यवस्था की है ताकि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में उन्हें कोई असुविधा न हो. हमें जीवन में सिद्धांत के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान की भी जरूरत होती है, जो अभ्युदय योजना के तहत विद्यार्थियों को मिल रही है.

सीएम योगी ने कहा कि आज की पीढ़ी भाग्यशाली है. उसे अब पुस्तकों के ढेर से घिरना नहीं पड़ रहा. स्मार्ट फोन में ही उसे दुनिया भर की किताबें उपलब्ध हो जा रही हैं. इस अवसर पर प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय, एडीजी अखिल कुमार, कमिश्नर जयंत नार्लीकर, जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन आदि मौजूद रहे.

विद्यार्थियों के सवालों के सीएम ने दिए जवाब

छात्रा अपर्णा मिश्रा ने मुख्यमंत्री से पूछा कि आप एक योगी, संत हैं और आपके सबल कंधों पर देश के सबसे बड़े राज्य की भी जिम्मेदारी है, दोनों में समन्वय कैसे बनाते हैं? सीएम योगी ने कहा कि एक योगी का लक्ष्य लोक कल्याण होता है और मुख्यमंत्री के रूप में मेरा दायित्व लोक कल्याण के पथ पर चलते रहने का है. लोक कल्याण ही मेरा लक्ष्य है. मेरा धर्म राष्ट्रधर्म है. उन्होंने कहा कि अभ्युदय के विद्यार्थी भी सफलता प्राप्त करने के लिए दुविधा मुक्त लक्ष्य निर्धारित करें क्योंकि दुविधा रहने पर माया मिली न राम वाली स्थिति हो जाती है. गाजीपुर की शोभा सिंह के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि असफलता से कभी घबराना नहीं चाहिए. लक्ष्य तय कर सफलता प्राप्ति तक प्रयास करना चाहिए. निरंतर प्रयास करना चाहिए और इसी अहर्निश प्रयास का नाम अभ्युदय योजना है.

छह वर्षों में बदली है देश की तस्वीर

दीक्षा पांडेय ने मुख्यमंत्री से पूछा कि भारत को सशक्तम राष्ट्र बनाने के लिए हमें क्या करना चाहिए? जवाब देते हुए सीएम योगी ने कहा कि राष्ट्र निर्माण सिर्फ राष्ट्राध्यक्ष का ही कार्य नहीं है, राष्ट्र के हर नागरिक को अपने कर्तव्य के माध्यम से इसमे योगदान देना होता है. उन्होंने दीक्षा को उदाहरण देते हुए समझाया कि आपके पिता जी कमाते होंगे लेकिन माता जी यदि भोजन न बनाएं तो वह वेतन किस काम का. ऐसे ही घर हरेक सदस्य कुछ न कुछ कार्य करता होगा. ऐसी ही जिम्मेदारी राष्ट्र के प्रति है. दुनिया में कहीं भी जाकर यह बताने पर की भारत से आए हैं तो सम्मान मिलता है. लोग सम्मान के साथ कहते हैं कि पीएम मोदी के देश से आए हैं. ऐसे में देश की जनता का भी दायित्व बनता है कि वह मनोयोग से अपना कार्य कर राष्ट्र को सशक्त बनाने में योगदान दे.