विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के कदमताल अब प्रदेश में अनुनाद पैदा करते नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी के मुखिया को पूर्व में अपनी जीती हुई सीट कुंदरकी, सीसामऊ, करहल और कटेहरी को बचा पाने की चुनौती है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच में सीट बटवारे की कलह को जनता के बीच जाने से बचाने में बहुत दिक्कत हो रही है.
समाजवादी सूत्रों की माने तो कांग्रेस का उपचुनाव में नहीं जाना समाजवादी पार्टी के लिए दिक्कत पैदा करेगा. कांग्रेस वोटरों की उदासीनता और भाजपा का बटेंगे तो कटेंगे का नारा काम करता हुआ दिखाई देने लगा है.
पीडीए की मजबूती पर नहीं बन पा रही समन्वय
कांग्रेस ने उपचुनाव को लेकर अपनी समन्वय समिति के पैनलिस्ट के नाम समाजवादी पार्टी के साथ बहुत पहले ही साझा कर चुके थे. लेकिन सपा इस विषय मे हीलाहवाली करती रही जबकि अभी भी उसकी तरफ से किसी का नाम सामने नहीं किया गया है. जिससे कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन की दीवार दरकती नजर आने लगी है.
योगी और अखिलेश में फाइट तो बसपा भी है तैयार
उपचुनाव सत्ता बनाम विपक्ष का है ये साफ दिखाई दे रहा है. ऐसे में भाजपा के मुख्य रणनीतिकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी कमान संभाल चुके है रैलियां और जनसभाओं की शुरुआत भी वो कर चुके है. जबकि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अब भी अपनी जीती हुई सीट पर ही कब्ज़ा जमाये रहना चाहते है. साथ ही बसपा के वोटर्स को भी सपा के साथ जोड़ना चाहते है. ऐसे में बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी जातिगत समीकरण के लिहाज से प्रत्याशी चयन किया है. जिससे कि सपा को उपचुनाव में परेशानी तो होने ही वाली है.
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