SpaDeX docking Mission Successful: भारत ने स्पेस में इतिहास रच दिया है। ISRO ने स्पेस में दो सेटेलाइट की डॉकिंग प्रक्रिया (स्पेडेक्स) सफल कर नया कीर्तिमान रच दिया है। भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है। भारत ने पहले यह उपलब्धि अमेरिका, रूस, चीन कर चुका है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि 16 जनवरी को सुबह डॉकिंग एक्सपेरिमेंट को पूरा कर लिया गया है।  ये मिशन अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करने के उद्देश्य से किया गया है, जो भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है।

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इसरो ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के अपनी पूरी टीम को बधाई दी है। एजेंसी ने कहा कि स्पैडेक्स मिशन के डॉकिंग की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हुई। यह एक ऐतिहासिक क्षण है। 15 मीटर से 3 मीटर होल्ड पॉइंट तक लाने का प्रोसेस पूरा हुआ। स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक कैप्चर किया गया। भारत अंतरिक्ष में सफल डॉकिंग हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है।

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इससे पहले 12 जनवरी को इसका ट्रायल पूरा हुआ था। रविवार को स्पैडेक्स के दोनों उपग्रह चेजर और टारगेट एक दूसरे के बेहद करीब आ गए थे। दोनों सैटेलाइट्स को पहले 15 मीटर और फिर 3 मीटर तक करीब लाया गया था।

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बता दें कि ये मिशन अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रयान-4 की सफलता तय करेगा। इस मिशन में एक सैटेलाइट दूसरे सैटेलाइट को पकड़ेगा और डॉकिंग करेगा। इससे ऑर्बिट में सर्विसिंग और रीफ्यूलिंग करना भी संभव हो सकेगा। इसरो ने 30 दिसबंर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से PSLV-C60 रॉकेट की सहायता से इस मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। इसरो अब डॉकिंग के लिए भारतीय ग्राउंड स्टेशनों से सिग्नल मिलने का इंतजार कर रही है। पहले इसकी तारीख 7 जनवरी थी। मगर टेक्निकल इश्यू के चलते इसे 9 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।

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क्या है Spadex मिशन? 

इस मिशन में दो सैटेलाइट हैं. पहला चेसर और दूसरा टारगेट। चेसर सैटेलाइट टारगेट को पकड़ेगा। उससे डॉकिंग करेगा। इसके अलावा इसमें एक महत्वपूर्ण टेस्ट और हो सकता है। सैटेलाइट से एक रोबोटिक आर्म निकले हैं, जो हुक के जरिए यानी टेथर्ड तरीके से टारगेट को अपनी ओर खींचेगा। ये टारगेट अलग क्यूबसैट हो सकता है. इस प्रयोग से फ्यूचर में इसरो को ऑर्बिट छोड़ अलग दिशा में जा रहे सैटेलाइट को वापस कक्षा में लाने की तकनीक मिल जाएगी। साथ ही ऑर्बिट में सर्विसिंग और रीफ्यूलिंग का ऑप्शन भी खुल जाएगा. Spadex मिशन में दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में जोड़कर दिखाया जाएगा।

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