फ़ीचर स्टोरी । छत्तीसगढ़ की पहचान कुछ साल पहले तक कुपोषित राज्य के रूप में भी रही है. राज्य में बस्तर सहित कई जिले भयंकर कुपोषण की समस्या से ग्रसित रहे हैं. अभी भी कई जिलों में कुपोषण एक बड़ी चुनौती है. इन चुनौतियों से मुकाबला कर कुपोषण में कमी लाने की एक सफल कोशिश राज्य सरकार ने सुपोषण अभियान के जरिए की.

सुपोषण अभियान की शुरुआत साल 2019 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद हुई थी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका आगाज़ दंतेवाड़ा से किया था. 2019 से लेकर 2022 तक बीते 3 साल में कुपोषण का दाग मिटाने का काम सरकार ने बहुत ही मजबूत से किया है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार जब बनी थी, तब राज्य में कुपोषण की दर क़रीब 40 फीसदी थी. राज्य सरकार के सामने इसमें कमी लाने की एक बड़ी चुनौती थी. क्योंकि कुपोषण की समस्या सिर्फ़ बच्चों में थी ऐसा नहीं था. बच्चों के साथ-साथ महिलाओं में भी यह समस्या रही. ऐसे में बच्चों के साथ माताओं को समूचित सुपोषण पहुँचाना जरूरी था.

भूपेश सरकार ने इसके लिए अभियान चलाने का निर्णय लिया था. महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से एक व्यापक कार्यक्रम तैयार किया गया था. नाम दिया गया था मुख्यमंत्री सूपोषण अभियान. अभियान की शुरुआत गांधी जयंती के मौके पर 2 अक्टूबर 2019 को हुई. और इस तरह से बीते तीन सालों से सूपोषण अभियान सतत् जारी है.

बस्तर में इस अभियान पर ख़ासा जोर दिया गया. क्योंकि बस्तर के सभी 7 जिले बुरी तरह से कुपोषण से प्रभावित रहे हैं. आदिवासियों में कुपोषण की समस्या सबसे ज्यादा देखी गई है. इस समस्या का असर स्वास्थ्य के सामाजिक और आर्थिक तौर पर हर परिवार में भी पड़ा है.

भूपेश सरकार के सामने ढेरों चुनौतियाँ रही. चुनौतियाँ उन तक पूर्ण रूप से पोषण आहार पहुँचाने के साथ ही समाज को जागरुक करना, ज़मीनी स्तर पर योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन कराना, सूपोषण अभियान के लिए जनप्रतिधियों को भी पूरी ताकत के प्रेरित करना.

सरकार ने जब कुपोषण मिटाने की शुरुआत की तो उन्हें बस्तर के अंदरुनी इलाकों तक पोषण आहार लेकर भी जाना पड़ा. लेकिन कहते हैं जहाँ चाह है, वहाँ राह है. ऐसा ही हुआ. अच्छी सोच और नीतय के साथ सरकार आगे बढ़ती गई और सफलता मिलती गई.

सरकार की ओर से एकीकृत बाल विकास सेवा, मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना, वजन त्यौहार तथा नवा जतन जैसी योजनाओं को जोड़कर मुख्यमंत्री सूपोषण अभियान को अंज़ाम दिया गया. इसी का आज सुखद परिणाम यह है कि 9 फीसदी तक कुपोषण दर में कमी आई है.

राष्ट्रीय औसत से भी कम छत्तीसगढ़ में कुपोषण का प्रतिशत

राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं. कुपोषित बच्चों में अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचलों के थे. योजना शुरू होने के समय वर्ष 2019 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में लगभग 4 लाख 33 हजार 541 बच्चे कुपोषित थे.

सरकार से प्राप्त आँकड़ों के मुताबिक़ मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के चलते राज्य में अब तक 1,72,000 से अधिक बच्चे अब कुपोषण मुक्त हो गए हैं. इस तरह कुपोषित बच्चों की संख्या मे कुल 39 प्रतिशत की कमी आई है. राज्य में 85 हजार महिलाएं एनीमिया से मुक्त हो चुकी हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के मुताबिक राज्य में कुपोषण का प्रतिशत 31.3 है जो कुपोषण के राष्ट्रीय औसत से 32.1 प्रतिशत से कम है.

पोषण आहार के अतिरिक्त

अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर निःशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है. अतिरिक्त पोषण आहार में हितग्राहियों को गर्म भोजन के साथ अण्डा, लड्डू, चना, गुड़, अंकुरित अनाज, दूध, फल, मूंगफली और गुड़ की चिक्की, सोया बड़ी, दलिया, सोया चिक्की और मुनगा भाजी से बने पौष्टिक और स्वादिष्ट आहार दिये जा रहे हैं. इससे बच्चों में खाने के प्रति रूचि जागृत हुई है. स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सब्जियों और पौष्टिक चीजों के प्रति भी जागरूकता बढ़ी है. इससे पोषण स्तर में सुधार आना शुरू हो गया है. स्वास्थ विभाग के सहयोग से एनीमिया प्रभावितों को आयरन फोलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जाती है.

कोरोना काल में भी चला अभियान

राज्य में महिलाओं और बच्चों को पोषण और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान कुपोषित महिलाओं, शिशुवती महिलाओं एवं शाला त्यागी किशोरियों एवं 51,455 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 27 लाख हितग्राहियों को भी घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट फूड वितरित किया गया.

कौशल्या मातृत्व योजना का भी संचालन
छत्तीसगढ़ राज्य में कौशल्या मातृत्व योजना संचालित की जा रही है. इस योजना के तहत महिलाओं के पोषण में सुधार के लिए द्वितीय संतान बालिका के जन्म पर राज्य द्वारा 5 हजार रूपये की एकमुश्त सहायता राशि दी जा रही है.

बदल रही है छवि, दिख रहा है असर

छत्तीसगढ़ में आज मुख्यमंत्री सूपोषण अभियान कुपोषण से लड़ने में एक ताकत बन गई है. सतत् जारी अभियान से जहाँ बच्चों और महिलाओं पौष्टिक आहार उपलब्ध हो रहा है, तो वहीं समाज में जागरुकता भी आई है. सरकार के इस अभियान का व्यापक असर बस्तर से सहित प्रदेश भर में दिखाई दे रहा है. आज छत्तीसगढ़ कुपोषण की दाग को मिटा पाने में कामयाब होते जा रहा है. राज्य सरकार कुपोषण मुक्त में तेजी से आगे बढ़ रहा है. कह सकते हैं कुपोषित राज्य की छवि में अब बदलते जा रही है. बीते 3 साल में जो काम भूपेश सरकार में हुआ उसका व्यापक असर दिखाई दे रहा है.