फीचर. छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने लगभग हर क्षेत्र को विकास की रोशनी से रोशन किया है. शिक्षा की रोशनी, खुशहाली का दीया, विकास का उजाला, सम्पन्नता का प्रकाश, तरक्की और कामयाबी की मशाल जैसी बातों के अलावा भी प्रदेश के सुदूर अंचलों तक विद्युत की पहुंच बनाकर शाब्दिक रूप से गांव-गांव और घर-घर में उजाला किया है. प्रदेश के मार्गों में कुल विद्युतीकरण का सर्वाधिक प्रतिशत ग्रामीण मार्ग का है.

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत की पहुंच
छत्तीसगढ़ में बिजली का प्रमुख स्रोत ताप विद्युत है. विद्युत के इस विकल्प को चुनने के पीछे का कारण राज्य में कोयले के विशाल संसाधनों का होना है. ग्रामीण विद्युतीकरण न केवल शिक्षा, स्वास्थ्य और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने में मदद करता है बल्कि जीवन को हर दिशा से आसान बनाकर इंसान को आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करता है.

सुदूर और दूरूह क्षेत्रों में विद्युत की पहुंच हुआ संभव
छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचल तक भी विद्युत की पहुंच अभी बन रही है, पहले कभी ऐसा नहीं हुआ. ऐसे दूरूह स्थानों तक बिजली पहुंचाई जा रही है, जिसकी पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. बस्तर का घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र जहां किसी किस्म का विकास कार्य संभव नहीं माना जाता था, ऐसे स्थानों को हर तरह से विकसित करके वहां तक शासकीय सेवा और सुविधा की आसान पहुंच बनाई जा रही है, जिसमें बिजली भी शामिल है.

अंधेरे गांव में जगी आशा की नई ज्योति
तमस की कालिख में विकास की रोशनी डालने वाली छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने विकास की मुख्यधारा से दूर रहने वाले गांव में आशा की एक नई किरण पैदा की है. सुकमा क्षेत्र के सिलगेर, कोलईगुड़ा, कमारगुड़ा गांव इस बात का जिंदा सबूत है कि जब अंधेरा दूर होता है तो जीवन कैसे गति पाती है. नक्सल समस्या से जूझते और विकास की दौड़ में पिछड़ते गांव में छत्तीसगढ़ सरकार ने गांव की सुरक्षा के लिए बने कैंपों को मजबूत किया. इसके बाद उन्हीं कैंपों की सुरक्षा घेरे में गांव में विकास की गंगा बहाने की मुहिम प्रारंभ की है. उसी तारतम्य में कभी नक्सल समस्या से जूझते गांव-गांव के घर-घर रोशन हो रहे हैं.

मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना हुई कारगर
मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना से 653 परिवारों के जीवन में हुई रोशनी एक दिन बढ़ते हुए निश्चित रूप से समूचे छत्तीसगढ़ में फैल जाएगी. आधुनिक जीवन में विद्युत की भूमिका कितनी अहम है ये कहने सुनने जैसी कोई बात ही नहीं है. विकास के पथ में बिजली के बिना एक पग भी धरना मुहाल है. बिजली के बिना कमरे, घर और गांव में ही नहीं अब तो जीवन में भी अंधकार फैल जाता है. छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने ऐसे अंधकारमय जीवन जीने को मजबूर 615 परिवारों को विद्युत रौशनी का नया सवेरा दिया है.

विद्युतीकरण योजना की सामूहिक प्रयास का सुंदर परिणाम
कार्यपालन अभियंता, सीएसपीडीसीएल जूसेफ केरकेट्टा ने बताया कि कलेक्टर हरिसण् एस के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना के तहत कोलईगुड़ा के 82 परिवारों के साथ ही करीगुण्डम के 160, कमारगुड़ा के 120, नागलगुण्डा के 81 तथा सिलगेर के 210 घरों में विद्युत लाइन कनेक्शन किया गया है. घर, बिजली के तार से जुड़ते ही चमक उठा, इन घरों में बिजली पहुंची नहीं इनकी बुझी-बुझी सी जिंदगी में बिजली कौंध गई कहना ज्यादा उपयुक्त होगा. ये तमाम वही क्षेत्र हैं जहां नक्सल अवरोध विकास के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा बनी हुई थी. इन क्षेत्रों में पूर्व में नक्सल अवरोध के कारण विद्युत व्यवस्था किया जाना संभव हो नहीं पा रहा था, लेकिन सुरक्षा कैम्प स्थापित होने के बाद गांव का पूरा माहौल ही बलद चुका है. पहले बिजली कैंप तक उसके बाद गांव के घर-घर तक पहुंचा दी गई है.

ग्रामीण जन-जीवन के लिए विद्युतीकरण कितना आवश्यक
ग्रामीण जीवन की कितनी दुश्वारियां हैं इस बात का अंदाज शहरों में बसने वाले जन कभी भी नहीं समझ पाएंगे, क्योंकि शहरों में बिजली का ना होना संचार माध्यम से दूर होना और कुछ बुनियादी असुविधाएं ही हो सकती है, मगर ग्रामीण जीवन की अंधेरी रातें सांप, बिच्छू के दंश से जान पर भी बन आती है. इस तरह से कहा जा सकता है कि एक लंबे इंतजार के बाद ग्रामीण जीवन में विद्युत का प्रवेश नवजवानों के जीवन को संवारने वाला, महिलाओं के लिए घरेलु काम आसान बनाने वाला, आम जन के सुविधा के साथ वक्त बचाने वाला ही नहीं बल्कि जीवन सुरक्षित रखने वाला भी साबित हो रहा है.

विकास के लिए नक्सल समस्या से निजात पाना जरूरी
एक समय में नक्सल गतिविधियों के लिए पहचाने जाने वाले बस्तर के गांव कोलईगुड़ा, कमारगुड़ा, नागलगुण्डा और करीगुण्डम में प्रशासन की पहुंच भी दूभर थी. इन इलाकों में नक्सल शासन ही चलाया करता था. ऐसे हालात में गांव के विकास की बात करना एक भद्दे मजाक से कम नहीं था. नक्सल प्रभावित ये गांव पिछड़े थे और पिछड़े ही रहे जब तक छत्तीसगढ़ में भूपेश की सरकार नहीं आ गई. आज छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने शासन के विकास, विश्वास और सुरक्षा के सूत्र को सफल बनाते हुए पुलिस एवं सुरक्षा बलों ने नक्सल गुटों को खदेड़ दिया है.

सुरक्षा कैंप से ग्रामीणों का दूर हुआ भय
नक्सल प्रभावित और संभावित नक्सल प्रभावित हर गांव के आसपास सुरक्षा कैम्प की स्थापना ने आदिवासी ग्रामीणों के भीतर एक अभय का भाव पैदा कर दिया है. निर्भय होकर जीना कितनी संभावनाओं को जन्म दे सकता है ऐसे गांव में आकर महसूस किया जा सकता है. नक्सल आतंक के विदा होते ही गांव में विकास ने प्रवेश किया. सुरक्षित जीवन से विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ. इसके साथ ही विकास का सबसे महत्वपूर्ण अवयव विद्युत ने भी गांव में अपनी जगह बनाई.

सुकमा में भूपेश सरकार की हो रही सराहना
सुकमा जिले की बदलती तस्वीर ने समूचे राज्य में एक उत्साह का वातावरण पैदा कर दिया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, क्षेत्रीय विधायक प्रदेश के उद्योग मंत्री कवासी लखमा के प्रयासों की हर तरफ प्रशंसा हो रही है. जन जीवन को सीधे-सीधे प्रभावित करने वाले कदम की हर दूर सराहना होती है. अगर विकास कार्य को लेकर भूपेश सरकार की चहुंओर गुणगाान हो रही है तो वो इसके हकदार भी. सुकमा जिले में हर वो प्रयास किया गया है जिस पर सवार होकर ही विकास आ सकती है. सड़क विहीन क्षेत्रों को अब गुणवत्ता पूर्ण सडकों के निर्माण से उन्हें मुख्य मार्ग से जोड़ा जा रहा है.

पक्की सड़कों ने बदली सुकमा की तस्वीर
सुदूर और कठिनाइयों से भरे यहां के गांव-गांव तक पहुंच रही पक्की सड़कों ने सुकमा के ग्रामीण क्षेत्रांे की तस्वीर ही बदल दी है. सड़क बनने से जहां विकास की गति तेज हुई है तो वहीं सुरक्षा कैंपों की स्थापना से ग्रामीणों को सुरक्षा सुनिश्चित हुई है. अधोसंरचना निर्माण और जन जीवन की मूलभूत सुविधाओं की आसान पहुंच के लिए सड़क पहली जरूरत होती है. इस कमी को चरण बद्ध तरीके से पूरा करके भूपेश सरकार ने अपनी दूरदर्शिता का बहुत ही प्रभावशाली तरीके से परिचय दिया है.