रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में आदिवासियों की उन्नति और बेहतरी के लिए कई अभिनव योजनाएं बनाकर सार्थक पहल की जा रही है। तेंदूपत्ता संग्रहण की दर ढाई हजार रूपए से बढ़ाकर चार हजार रूपए प्रति मानक बोरा कर दी गई है। यह दर देश में सबसे अधिक है। अब 15 वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। बस्तर में प्रस्तावित स्टील प्लांट नहीं बनने पर लोहंड़ीगुड़ा क्षेत्र के किसानों की अधिगृहित भूमि लौटाने का महत्वपूर्ण निर्णय भी लिया गया है। यहां आदिवासियों को 4200 एकड़ जमीन वापस कर राजस्व अभिलेखों में नाम दर्ज करने की कार्रवाई भी पूर्ण कर ली गई है। राज्य सरकार ने आदिवासियों के हित में अनेक ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं, जिनमें वन अधिकार अधिनियम-2006 के सुचारू संचालन के लिए प्रशिक्षण, कार्यशाला आयोजित कर स्वीकृत नहीं किए गए प्रकरणों की समीक्षा कर निराकरण किया जा रहा है। अबूझमाड़ क्षेत्र के विशेष रूप से कमजोर जनजाति अबूझमाड़िया को वन अधिकार पत्र प्रदान करने की विशेष पहल की जा रही है। इसी तरह बच्चे के जन्म लेने के उपरांत पिता की जाति के आधार पर उसे जाति प्रमाण पत्र तत्काल प्रदान करने का निर्णय भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
राज्य सरकार द्वारा वनांचल क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए कई नए निर्णय लिए गए हैं। वनवासियों के वन अधिकार कानूनों का लाभ दिलाने के लिए वन अधिकार मान्यता पत्र की समीक्षा, वन क्षेत्रों में किसानों को सिंचाई सुविधा के लिए नदी-नालों के पुर्नजीवन के कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है। इन अंचलों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हाट बाजारों में मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना और महिलाओं और बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए गरम पौष्टिक भोजन देने मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शुरू की गयी। इन योजनाओं की सफलता को देखते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती से इस योजना को पूरे प्रदेश में लागू किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा जनगणना वर्ष 2011 की आबादी के अनुसार राज्य स्तरीय सीधी भर्ती के पदों में अनुसूचित जनजाति के लिए 32 प्रतिशत और अनुसूचित जाति के लिए 13 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है साथ ही आरक्षण के अनुरूप ही पदोन्नति में भी लाभ देने का निर्णय लिया गया है। आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए नेशनल ट्राइबल डांस फेस्टिवल राजधानी रायपुर में 27, 28 और 29 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा। इसी प्रकार नक्सल प्रभावित क्षेत्र अबूूझमाड़ अंतर्गत बस्तर संभाग के जिला नारायणपुर, बीजापुर तथा दंतेवाड़ा के लगभग 275 से अधिक असर्वेक्षित ग्रामों में वर्षों से निवासरत लगभग 50 हजार से अधिक लोगों को उनके कब्जे में धारित भूमि का मसाहती खसरा एवं नक्शा उपलब्ध कराया जाएगा। इस निर्णय से किसान परिवारों के पास उनके कब्जे की भूमि का शासकीय अभिलेख उपलब्ध हो सकेगा तथा वे अपने काबिज भूमि का अंतरण कर सकेंगे। इससे अबूझमाड़ क्षेत्र अंतर्गत लगभग 10 हजार किसानों को 50 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि का स्वामित्व प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा आदिवासी समाज के हित में विश्व आदिवासी दिवस पर सामान्य अवकाश घोषित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। बस्तर और सरगुजा में कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड का गठन करने की घोषणा से स्थानीय युवाओं को भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी। पांचवीं अनुसूची के जिलों में बस्तर, सरगुजा संभाग और कोरबा जिले में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय लोगों की भर्ती के लिए आयु सीमा में तीन वर्षीय छूट के आदेश जारी किए हैं। एनएमडीसी के नगरनार प्लांट में गु्रप सी और गु्रप डी की भर्ती परीक्षा दंतेवाड़ा में ही कराने के लिए राज्य सरकार की पहल पर एनएमडीसी द्वारा सहमति दी गई है। मुख्यमंत्री ने नक्सल पीड़ित युवा बेरोजगारों को डीएमएफ मद से बीएड की डिग्री पूर्ण होने पर रोजगार प्रदान करने और भोपालपट्टनम में बांस आधारित कारखाना स्थापित करने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने आदिवासी क्षेत्र विकास प्राधिकरणों का अध्यक्ष स्थानीय विधायकों को बनाने का फैसला लिया गया है। बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र विकास प्राधिकरण तथा सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण को समाप्त करते हुए अब तीन प्राधिकरण बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण, सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण और मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण का गठन कर आदिवासियों को अधिकार सम्पन्न बनाया गया है। प्रत्येक प्राधिकरण में क्षेत्रीय अनुसूचित जनजाति विधायकों में से एक अध्यक्ष और दो उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं। पहले इन प्राधिकरणों के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते थे। अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण अब स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल जैसे कार्यों तथा अन्य प्राथमिकता के 11 प्रकार के कार्यों को स्वीकृत किए जाएंगे। ये कार्य अब बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण, सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण और मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अंतर्गत भी किए जाएंगे। सरकार ने निर्णय लिया है कि नक्सल प्रभावित अंचलों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के रहवासियों के विरूद्ध दर्ज प्रकरणों की समीक्षा की जाएगी। आपराधिक प्रकरणों से प्रभावित आदिवासियों को राहत और प्रकरण वापसी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है।
भूपेश बघेल ने आदिवासी अंचलों में नई पहल करते हुए इन्द्रावती नदी विकास प्राधिकरण के गठन, बस्तर में आदिवासी संग्राहलय की स्थापना की घोषणा की है। राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि डीएमएफ की राशि का उपयोग खदान प्रभावित क्षेत्र में लोगों के जीवन में बेहतर परिवर्तन लाने के लिए किया जाएगा। आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण दूर करने के लिए चना वितरित किया जा रहा है, यहां गुड़ भी दिया जाएगा। बस्तर संभाग में कुपोषण दूर करने के लिए बच्चों और महिलाओं को विशेष पोषण आहार के वितरण का काम प्रारंभ हो चुका है। राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना नीति आयोग ने भी की है। इसी तरह सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित जगरगुण्डा सहित 14 गांवों की एक पूरी पीढ़ी 13 वर्षों से शिक्षा से वंचित थीं। अब यहां स्कूल भवनों का पुनर्निर्माण कर दिया गया है। साथ ही कक्षा पहली से बारहवीं तक के बच्चों को प्रवेश दिलाकर उनकी शिक्षा प्रारंभ की गई है। यहां 330 बच्चों को निःशुल्क आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस तरह 13 साल के अंधकार के बाद शिक्षा की ज्योति फिर एक बार प्रज्ज्वलित हो उठी हैं। मुख्यमंत्री द्वारा तोंगपाल, गादीरास और जगरगुण्डा को उप तहसील का दर्जा देने की घोषणा की गई है। सरगुजा में नये 100 बिस्तर जिला अस्पताल के लिए 135 पदों का सृजन, उद्यमिता विकास संस्थान की स्थापना की जाएगी। जशपुर जिले में मानव तस्करी रोकने विशेष सेल का गठन, शंकरगढ़ विकासखण्ड में को-ऑपरेटिव बैंक की शाखा खोली जाएगी। जशपुर में एस्टोटर्फ हॉकी मैदान का निर्माण किया जाएगा।
मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व में सरकार द्वारा रोजगार की बेहतर व्यवस्था करने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। लोक निर्माण विभाग के माध्यम से संचालित निर्माण कार्यों के द्वारा भी स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के प्रयास हो रहा है। इन क्षेत्रों में लघु वनोपज पर आधारित लघु उद्योगों और प्रसंस्करण इकाईयों को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया गया है। जिससे यहां के नागरिकों को रोजगार और आय अर्जन के अवसर मिल सकेंगे। बघेल ने इन क्षेत्रों में लघु वनोपजों पर आधारित प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री से वन अधिनियम के प्रावधानों को शिथिल करने का आग्रह किया गया है, जिससे यहां रोजगारमूलक इकाईयों के लिए जमीन आवंटित करने और संचालित करने के लिए सुविधा मिलेगी।