फीचर स्टोरी । बस्तर का इलाका वनांचल का इलाका है. दुरस्त और घने जंगलों के बीच सैकड़ों गाँव बसे हैं, जहाँ लाखों की संख्या में लोग रहते हैं. ऐसे इलाकों में किसी भी सुविधा को पहुंचना एक चुनौती रहती है. सरकारी योजनाएं तो फिर भी विभिन्न माध्यमों से लोगों तक पहुँच जाती है, लेकिन वनांचल में बैंकिंग सुविधा पहुंचना कठिन है. लेकिन इस कठिनाई का भी अब हल निकाल लिया गया है. बस्तरियों की जो दुविधा है उसे बैंक सखियों ने बैंकिंग सुविधा के साथ दूर कर दिया है.

इस रिपोर्ट में बात कोंडागांव जिले की करेंगे. कोंडागांव नक्सल प्रभावित जिला है. उत्तर बस्तर और दक्षिण बस्तर के मध्य में पड़ने वाला कोंडागांव उड़ीसा की सीमावर्ती जिला भी है. जिले कई दर्जनों गांव बुरी तरह नक्सल प्रभावित हैं. ऐसे गाँवों में सरकारी योजनाओं को पहुँचाना या किसी तरह की सुविधा गांव वालों तक ले जाना एक बड़ी चुनौती है. बावजूद इसके सरकार अब अंदरुनी इलाकों तक न सिर्फ पहुँच रही है, बल्कि योजनाओं और सुविधाओं के साथ पहुँच रही है.

भूपेश सरकार ने बीते साढ़े तीन सालों में अंदरुनी इलाकों में विकास को पहुँचाने में सफलता हासिल की है. सरकार की सफलताओं को अनेक योजनाओं से लाभांवित परिवारों से मिलकर देखा और जाना सकता है. हालांकि इस रिपोर्ट में बात बैंक सखी की करेंगे. यह एक तरह से गांवों में बैंकिंग सुविधा को ले जाना और इसके जरिए गांव की पढ़ी-लिखीं महिलाओं को रोजगार मुहैय्या कराना भी है.

कोंडागांव जिले कुछ ही जगह है जहाँ पर सरकारी और निजी मिलाकर बैंक की सुविधा है. ऐसे में उन सैकड़ों गांवों का क्या, जिन्हें आर्थिक लेनदारी के काम-काज के लिए भटकना पड़ता है. ऐसे ही लोगों की मदद करने की पहल है बैंक सखी.

राज्य सरकार महिलाओं को बीसी सखी बनाकर ग्रामीणों को बैंक सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही है. इससे दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में भी बैंक सुविधाओं की पहुंच हो गई है और महिलाएं बैंक दीदी के नाम से पहचानी जाने लगी है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नक्सल प्रभावित कोण्डागांव की 383 ग्राम पंचायतों में भी कुछ ऐसे गांव हैं, जहां अब तक बैंकिंग सुविधाओं का विकास नहीं हो सका है. ऐसे गांवों में बैंक सखियों के माध्यम से मदद पहुँचाई जा रही है.

बैंकवाली दीदी बैंक सखी लता

ये कहानी है कोंडागांव जिले में बड़ेठेमली के आश्रित गांव के मस्सूकोकोड़ा निवासी लता पांडे की. लता पांडे बैंकवाली दीदी के तौर पर इलाके में जानी और पहचानी जाती हैं. लता सरकार की ओर से संचालित ग्रामीण बैंकिंग सुविधा के तहत बतौर बैंक सखी कार्यरत् हैं.

लता एक सामान्य परिवार से आती हैं. लता आर्थिक रूप से पहले बहुत कमजोर थीं. लेकिन उन्होंने खुद को अब आर्थिक रूप से काफी मजबूत कर लिया है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के साथ जुड़कर उन्होंने अपने जीवन को एक नया आयाम दिया, जीवन में नया बिहान का आगमन हुआ.

बिहान से जुड़ने के बाद लता को सरकार की ओर से संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी हुई. उन्हें बैंक सखी का काम बहुत बढ़िया लगा. उन्होंने बैंकिंग से जुड़ी कई जानकारी जुटाई, योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण भी लिया. पूरी तरह से जानकारी होने के बाद लता ने गांव में स्व-सहायता समूह का निर्माण किया. समूह का नाम रखा माँ बम्लेश्वरी स्व-सहायता समूह. लता इसके बाद आगे बढ़ती गई और कामयाब होती चलीं. लता को पढ़ी-लिखीं होने के चलते बैंकिंग के कार्य में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. जल्द ही उन्होंने जगदलपुर से अन्य और प्रशिक्षण प्राप्त कर लिए. कम्प्यूटर का प्रशिक्षण भी उन्होंने ले लिया. इसके बाद बिहान योजना के तहत लता को बैंकिंग सेवा शुरू करने के लिए लोन दिया गया. साथ ही योजना के तहत एक पहचान आईडी भी दी गई.

लता के मुताबिक यह बैंकिंग सेवा के कार्य से जुड़ना उनके लिए अच्छा अवसर रहा. निरंतर ही मुझे इसमें आगे बढ़ने को मिला. सबसे ज्यादा अच्छा अनुभव अब तक ये रहा कि दुरस्त अंचल के लोगों की आर्थिक समस्याओं का निराकरण वह बैंक सखी बनकर कर पाई. इससे मुझे नाम, दाम, सम्मान सब मिला.

अब लोग मुझे गांव में बैंक दीदी के रूप में जानते हैं. मेरे द्वारा अब तक कुल 26.44 करोड़ मूल्य के 25864 लेन-देन किये गये हैं. जिससे मुझे कमीशन के रूप में कुल 8.64 लाख रूपये प्राप्त हुए. मुझे हर माह कमीशन के रूप में 12 हजार के लगभग प्राप्त हो जाते हैं. यह सब कुछ बैंक सखी बनकर ही संभव हो सका है.

लता यह भी बताती हैं कि बैंक सखी बनने के साथ अधिकारियों द्वारा मुझे आर्थिक स्थिति सुधार हेतु समूह में कार्य करने, पैसों की बचत एवं पंचसूत्र पालन के संबंध में भी जानकारी दी गई इसके कारण अब मेरे सभी सपने पूरे हो रहे हैं.

अब फैंसी स्टोर और कपड़ों की भी दुकान

लता ने बैंक सखी होने के साथ अब फैंसी स्टोर और कपड़ों की भी एक दुकान खोल ली. खुद इसका संचालन भी कर रही है. इससे 20 हजार रुपये तक अतिरिक्त आमदनी हर महीने हो जा रही है.

वह मानती हैं कि सरकार की सभी योजनाएं अच्छी होती है. भूपेश सरकार में हजारों की संख्याएं में महिलाएं आत्मनिर्भर हुई हैं. महिलाओं को स्वालंबी बनाने में सरकार मजबूती से काम कर रही है. उनके जैसे ही न जाने कितनी ही महिलाएं सरकारी योजनाओं से लाभांवित होकर आज आत्मनिर्भर बन गई हैं , बन रही हैं. वर्तमान समय में महिलाओं की आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी है. बस्तर से वनांचल इलाके में बैंक सखी की बैंकिंग सुविधा के लिए मजबूत आधार स्तंभ है ऐसा कहा जा सकता है.