फीचर स्टोरी. छत्तीसगढ़ में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने सरकार कई योजनाएं शुरू की है. बीते साढ़े 3 सालों में सरकार की योजनाओं का व्यापक असर भी देखने को मिला है. मैदानी क्षेत्र हो या वानांचल का इलाका, हर कहीं महिलाएं सरकार की योजनाओं से जुड़ी और लाभांवित होती चली गईं. भूपेश सरकार की योजनाओं ने ऐसा कमाल किया कि आज गाँव में रहकर महिलाओं के पास घेरलु काम-काज और खेती के अतिरिक्त भी ढेरों काम हैं.

सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जिस तरह मजबूती दी है. वह विकास का एक नया मॉडल है. न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है, बल्कि ग्रामीण महिलाएं आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ बेहद सशक्त हुई हैं. महिलाओं ने समूह बनाकर न सिर्फ खुद का उत्थान किया है, बल्कि परिवार और समाज को आर्थिक संपन्न बनाने की दिशा में भी काम किया है.

इस रिपोर्ट में बलरामपुर और कोंडागांव(कोंडानार) में कार्यरत् महिला समूहों की कहानी आपको बताने जा रहे हैं. दरअसल सरकार सुराजी(नरवा-गरवा-घुरवा-बारी) योजना से नया सुराज लाने का काम किया है. इस योजना ने गाँव से लेकर शहर तक क्रांति ला दी. गौठानों के माध्यम महिलाएं समूह से जुड़ती चली गईं. और स्वरोजगार के जरिए खुद को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाती चली.

सरकार ने गौठानों के माध्यम से अनेक तरह के कार्यों को शुरू किया है. इन कार्यों में परंपरागत व्यवसाय तो है ही, साथ ही कई नवीन और आधुनिक कार्य भी शामिल हैं. राज्य सरकार ने वनोपज का संग्रहण करने वालों को भी स्वरोजगार से जोड़ा है. उन्हें बाजार भी उपलब्ध कराया है.

सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक गौठान, प्रसंस्करण केन्द्र और मल्टीयूटिलिटी सेंटर जैसे कई नए केन्द्रों के शुरू होने से महिलाओं के स्वावलंबन के लिए नई राहें तैयार हुई हैं, जिससे वे तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर अपने कदम बढ़ा रही हैं.

पंचायत, नगरीय प्रशासन, महिला बाल विकास विभाग, वन विभाग सहित कई विभागों में राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई महिला सशक्तिकरण की योजनाओं से जुड़कर महिलाओं की न सिर्फ आमदनी बढ़ी है, बल्कि उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है

बलरामपुर : औद्योगिक पार्क बनता गौठान, ग्रामीण महिलाओं को गांव में मिला काम

उत्तर छत्तीसगढ़ में सरगुजा अँचल का छोटा और बहुत खूबसूरत जिला है बलरामपुर. और ये जो आप तस्वीरें देख रहे हैं ये बलरामपुर जिले में वाड्राफनगर विकासखंड अंतर्गत बसंतपुर ग्राम पंचायत की है. यहाँ पर स्थित गौठान को महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है. गौठान में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ अन्य शासकीय योजनाओं के तहत महिला स्व सहायता समूहों को प्रशिक्षण के साथ ही स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है.

बंसतपुर गौठान में मुर्गीपालन का काम करने वाली किस्मतिया की किस्मत बदल चुकी है. किस्मतिया कहती हैं कि डेढ़ माह पूर्व उन्होंने इस कार्य की शुरुआत की. 200 चूजों के साथ जिस कार्य की शुरुआत हुई थी. लेकिन अब वे सभी चूजे मुर्गे में तब्दील हो चुके हैं. विक्रय के लिए तैयार है. इससे अच्छी खासी आमदनी हो जाएगी. सरकार की ओर से इस कार्य के लिए प्रशिक्षण के साथ अन्य तरह की सुविधाएं और सहयोग मिला है.

किस्मतिया की तरह ही फूलवंती रवि भी अब आत्मनिर्भर हो गई हैं. फूलवंती के पास दोना-पत्तल का कार्य है. वहीं कलावति रवि पोहा बनाने के कारोबार से जुड़ी हैं. दोनों ही महिलाएं अब आर्थिक रूप से प्रगति कर रही है. बाजार में उत्पादन का विक्रय भी हो रहा है. सरकार और प्रशासन की ओर से पूर्ण सहयोग मिल रहा है.


गौठान में विभिन्न तरह के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. सभी उत्पादों के लिए अलग-अलग समूहों का गठन किया गया है. इसी में से एक रीता यादव की समूह है. रीता यादव अपनी टीम के साथ सरोसा तेल निर्माण का काम करती हैं. कच्ची घानी से तैयार शुद्ध सरसो तेल का कारोबार चल निकला है. प्रशासन की ओर से तेल पेराई मशीन और पैकेंजिंग मशीन दिया गया है. वहीं समूह की महिलाओं को बाजार के हिसाब उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण समय-समय पर दिया जाता है.

वाड्रफनगर में ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर के पद पर कार्यरत प्रभाती एक्का बताती हैं कि वनांचल की महिलाओं को समूह बनाकर सरकार की योजनाओं से जुड़ने के लिए प्रेरित करने का कार्य मुख्य रूप से किया जाता है. उन्हें पंचायतों में गौठानों के माध्यमों से स्व-रोजागार उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है. मुख्य रूप से मुर्गी पालन, मशरूम की खेती, तेल पेराई, मसाला निर्माण, जैविक खाद निर्माण जैसे कार्य बसंतपुर गौठान में महिलाएं कर रही हैं और आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं.

कोंडागांव ( कोंडनार) : आदिवासी महिलाओं ने भरी ‘उड़ान’ से ऊँची उड़ान

बलरामपुर के बाद आपको लिए चलते हैं कोंडागांव. जिसे कोंडानार भी कहा जाता है. कोंडागांव आज वनांचल में महिलाओं को रोजगार देने वाला प्रमुख जिलों में शुमार हो चुका है. राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं के जरिए महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने जिला प्रशासन ने उड़ान की नींव रखी. उड़ान के जरिए आज वनांचल की महिलाएं नई उड़ान भरती जा रही हैं. कोंडागांव में तैयार ढेरों उत्पाद आज छत्तीसगढ़ के बाजारों से निकलकर देश और विदेशों तक पहुँच चुका है.

उड़ान के जरिए अपने सपनों को नई उड़ान देने में लगी माँ शाकंभरी उत्पादक समूह की अध्यक्ष विनीता आत्मविश्वास भरी हुई नजर आती हैं. विनीता कहती हैं कि समूह में 10 निदेशक सदस्य हैं. इसके साथ आज समूह से 90 महिलाएं जुड़ी चुकी हैं. केशकाल, माकड़ी, कोंडागांव जैसे जगहों पर महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ी रही हैं.


समूह की सदस्य भगवती बताती हैं कि आज ग्रामीण महिलाओं के पास रोजगार है. उड़ान सच में हमें उड़ान भरने का अवसर मिला है. आज महिलाएं अगरबत्ती, दोना पत्तल, नारियल तेल, बिस्किट, मसाला, आचार, मुर्गी दाना जैसे कार्य से जुड़ी हैं. उड़ान में निर्मित उत्पाद छत्तीसगढ़, दिल्ली, लखनऊ, दुबई तक भेजे जा रहे हैं.

एक ही छत के नीचे आज सैकड़ों महिलाओं को काम मिला है. यहां भी दंतेवाड़ा की तरह ही कोंडानार गारमेंट फैक्ट्री की स्थापना की गई है. कोंडानार गारमेंट फैक्ट्री‘ में प्रतिवर्ष 30 करोड़ मूल्य के कपड़ों का उत्पादन अनुमानित है. 350 महिलाओं को मिलेगा प्रत्यक्ष रोजगार का लक्ष्य रखा गया है. इस कार्य से जुड़ीं वेदिका पाण्डेय बताती है कि आज प्रत्येक महिलाओं को 10 से 12 हजार रुपये तक की आय प्राप्त हो रही है. वहीं चिचकोलन की रहने वाली सरस्वती नाग कहती है कि पढ़ाई के बाद भी बेरोजगार थी. लेकिन अब रोजगार है. आर्थिक उन्नति हुई है.

उड़ान की स्थापना और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा बताते हैं कि उड़ान समूह में कार्यरत् महिलाओं को 2 करोड़ का लाभांश प्राप्त हो चुका है. कंपनी में निर्मित उत्पाद पूरी तरह से नेचुरल है और आज विदेशों तक हम यहाँ से उत्पाद भेज रहे हैं.