रायपुर। कोरोना संकट ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है. विश्व भर में अर्थव्यवस्था बिगड़ चुकी है. ऐसे कठिन हालात में किसानों की स्थिति बेहद ख़राब है. किसान कोरोना संकट के साथ ही बेमौसम हो रही बारिश से हाहाकार की स्थिति में पहुँच गए. आज सर्वाधिक मदद की जरूरत जिस वर्ग को है वो है किसान. क्योंकि खेती-किसानी चौपट होने से न सिर्फ़ किसान परिवार तबाह होंगे, बल्कि 70 फीसदी कृष आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो जाएगी. ऐसे में जरूरी है कि संकट के इस महाकाल में सबसे पहले किसानों को मजबूती से खड़ा किया जाए.

छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने इसी सोच को आगे बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है. चूंकि मुख्यमंत्री खुद किसान परिवार से आते हैं, लिहाजा वे किसान की दशा को ज़मीन स्तर पर बखूबी जानते है. वे जानते हैं कि इन हालातों में अगर हमने किसानों को नहीं संभालना, किसानों की मदद हमने नहीं की तो आने वाला कल भीषण तबाही का होगा. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे से छत्तीसगढ़ में मौजूदा स्थिति की पूरी जानकारी ली. मुख्यमंत्री ने तय किया है कि भारत सरकार से मदद मिले न मिले, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से तत्काल किसानों के लिए राहत पैकेज का ऐलान किया जाए.

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने मुख्यमंत्री के मंशानुरूप ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने इस तरह के कुछ बड़े ऐलान किए-

किसानों को लॉकडाउन में 900 करोड़ रूपए का भुगतान
राज्य के 22.48 लाख किसानों को क्रेडिट कार्ड जारी
15.80 लाख किसानों को 10212 करोड़ की क्रेडिट लिमिट मंजूर
खरीफ सीजन की तैयारियां शुरू, समितियों में खाद बीज का भण्डारण

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा गांव, गरीब और किसानों के विकास के लिए लगातार ठोस कार्य किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के दिशा-निर्देशों के तहत लॉकडाउन की अवधि में कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है. किसानों को फसल बीमा और प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत लॉकडाउन की अवधि में अब तक 900 करोड़ रूपए की राशि उनके खातों में अंतरित की जा चुकी है. इस अवधि में किसानों को राज्य शासन द्वारा खेती-किसानी के लिए आवश्यक छूट के साथ ही उनके उत्पाद के विक्रय की भी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. कृषि मंत्री ने कहा कि कि किसानों को रबी फसल बीमा की राशि का भुगतान भी शुरू कर दिया गया है. राज्य के कबीरधाम, मुंगेली और बलरामपुर जिले के 2668 किसानों को 2 करोड़ 59 लाख रूपए की राशि जारी की जा चुकी है. राज्य के अन्य जिलों के किसानों को भी रबी फसल की बीमा राशि का भुगतान शीघ्र किया जाएगा. उन्होंने बताया कि केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने फूड ग्रेन से बायो एथेनॉल बनाने के लिए भारतीय खाद्य निगम को अनुमति दी है. इसको देखते हुए यह उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ राज्य को बायो एथेनॉल बनाने की अनुमति शीघ्र मिल जाएगी.

किसानों धान बोनस की राशि मई से मिलेगी

किसानों को दी जा रही राहत के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर किसानों को धान बोनस का पैसा मई से देने की बात कही गई. मंत्री चौबे ने कहा कि किसानों के हित के लिए राज्य में शुरू की गई राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 5300 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है. इस राशि का वितरण आगामी मई माह से राज्य में समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले सभी किसानों को किया जाएगा. हमने जो वादा किया था उसे हम पूरा कर रहे हैं. वहीं उन्होंने कहा कि राज्य में तरबूज, केला, पपीता के साथ ही सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए मार्केटिंग की बेहतर व्यवस्था भी की जा रही है. क्योंकि मार्केटिंग सही न होने के कारण उन्हें बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ता है. लिहाजा राज्य सरकार ने इसकी खरीदी केन्द्रीय एजेंसियों के माध्यम से करने का अनुरोध किया है, ताकि किसानों को उनके बेहतर लाभ मिल सके.


   फाइट फोटो
25 लाख मानव दिवस का कार्य

वहीं उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को वृहद पैमाने पर गांव में रोजगार देने के उद्देश्य से कृषि विभाग द्वारा वाटरशेड मिशन के काम भी शुरू कराए गए हैं. इससे 25 लाख मानव दिवस का सृजन होगा. उन्होंने यह भी बताया कि जल संसाधन विभाग के बंद पड़े निर्माणाधीन कार्यों को भी शुरू कराया गया है. विभाग के टेंडर वाले लगभग 250 करोड़ रूपए की लागत वाले निर्माण कार्य भी शुरू कराए जा रहे हैं, ताकि लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके. बोधघाट परियोजना का काम भी तेजी से शुरू कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि आगामी खरीफ सीजन को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है.

 फाइल फोटो

खाद्य-बीज का पर्याप्त भण्डारण

मंत्री चौब ने यह भी जानकारी दी कि खाद्य-बीज का पर्याप्त मात्रा में भण्डारण कराया जा रहा है. खरीफ के विभिन्न फसलों के लिए 9.08 लाख क्विंटल बीज की मांग को देखते हुए राज्य के सभी जिलों में अब तक 1.70 लाख क्विंटल धान बीज तथा 755 क्विंटल सोयाबीन बीज का भण्डारण प्रक्रिया केन्द्र एवं समितियों में कराया गया है. इसी तरह राज्य में 5.8 लाख मीट्रिक टन खाद का भण्डारण किया गया है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से यहां के पशुपालकों द्वारा उत्पादित दूध की खपत नहीं हो पा रही है. इसको देखते हुए दूध पावडर बनाने की अनुमति देने का केन्द्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री ने भरोसा दिलाया है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए पूरी प्रतिबद्वता से काम कर रही है. किसानों को लॉकडाउन की अवधि एवं आगामी खरीफ सीजन में खेती-किसानी के कामों में किसी भी तरह की दिक्कत न आए इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है.


       फाइल फोटो

राज्य में लॉकडाउन का सख्ती से पालन

छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैला हुआ है. इसको देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य की सीमाओं को सील किया गया है. यहां से आवागमन न हो सके, इसके लिए निरंतर निगरानी रखी जा रही है. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की एडवाइजरी के अनुसार ही छत्तीसगढ़ राज्य में लॉकडाउन में रियायत का निर्णय लिया जाएगा. किसानों के विद्युत देयक अधिक आने तथा ओलावृष्टि की वजह से चना फसल को हुए नुकसान के संबंध में उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा की जाएगी.

6563000 कार्डधारी परिवारों को कराया गया राशन उपलब्ध

खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण पूरा विश्व प्रभावित है. यह संकट का समय है . कोरोना संक्रमण से बचने के लिए केन्द्र सरकार की एडवाइजरी तथा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में बेहतर काम हुआ है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने की बेहतर व्यवस्था सरकार ने की है. लॉकडाउन जैसी स्थिति में भी हमने राज्य के 65 लाख 63 हजार राशन कार्डधारी परिवारों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने का चुनौती पूर्ण कार्य पूरा किया है. इन कार्डधारी परिवारों को दो माह का खाद्यान्न निःशुल्क देकर हमने 2 करोड़ 44 लाख लोगों के भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित की है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार के फैसलों से यहां की अर्थव्यवस्था बेहतर रही है. इसकी सराहना रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने की है. मनरेगा के कामों से तथा वनांचल के क्षेत्रों में लघु वनोपज के संग्रहण से लोगों को गांवों में ही रोजगार मिल रहा है.