रायपुर। बस्तर अंचल के जिलों में व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्र के वितरण के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विभागीय अधिकारियों से विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही अंचल के दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिले में पात्र लोगों को वन अधिकार मान्यता पत्र देने जिला प्रशासन के सहयोग से विशेष कैम्प लगाए जाएंगे.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय में आदिम जाति कल्याण विभाग के काम-काज की गहन समीक्षा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि वनांचल के लोगों को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से स्थायित्व देने के लिए भूमि के उपभोग का अधिकार दिया जाना जरूरी है.  मुख्यमंत्री ने वन भूमि का पट्टा वितरण शुरुआत जिला मुख्यालय से लगे हुए गांवों से करने को कहा जिससे उन्हें खेती-किसानी के लिए आवश्यक मदद तथा शासन की अन्य योजनाओं से भी लाभान्वित किया जा सके.

बैठक में आदिम जाति तथा अनु-सूचित जाति विकास एवं स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, सचिव आदिम जाति तथा अनु-सूचित जाति विकास डीडी सिंह, आयुक्त शम्मी आबिदी एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि देवगुड़ी आदिवासियों की आस्था के केन्द्र है. सरकार की मंशा देवगुड़ियों को संरक्षित करने के साथ ही देवगुड़ी स्थल को बेहतर ढंग से विकसित किया जाना है. इसके लिए राशि की कमी नहीं होगी. उन्होंने विभागीय अधिकारियों को देवगुड़ी स्थल में आने वाले लोगों के लिए बैठक, पेयजल एवं अन्य मूलभूत सुविधाएं विकसित करने के निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि देवगुड़ी स्थल में विकास के कार्य कराते समय इस बात का ध्यान रखें कि वहां जनजाति समुदाय के लोग समय-समय पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन सहजता से कर सकें. मुख्यमंत्री ने आदिम जाति तथा अनु-सूचित जाति विकास द्वारा संचालित प्रयास अवासीय विद्यालयों सहित अन्य विशेष शैक्षणिक संस्थाओं में अध्ययन- अध्यापन की स्थिति की भी समीक्षा की.

बैठक में आदिम जाति तथा अनु-सूचित जाति विकास के सचिव डीडी सिंह ने बताया कि बीते तीन सालों में 47 बच्चों ने आईआईटी, 109 बच्चों ने एनआईटी, 244 बच्चों ने इंजीनियरिंग तथा 12 बच्चे मेडिकल कॉलेज में प्रवेश प्राप्त करने में सफल रहे हैं. राज्य में वर्तमान में कुल 71 एकलव्य विद्यालय संचालित है. चार और नए एकलव्य विद्यालय प्रारंभ किए जाने हैं. 29 एकलव्य विद्यालयों को सीबीएसई कोर्स से संबद्ध किया गया है, शेष की प्रक्रिया जारी है.