छत्तीसगढ़ में कोरोना संकट काल में शिक्षा के क्षेत्र में हुए नवाचार की चर्चा पूरे देश में है। दूरस्थ और वनांचल क्षेत्रों में बच्चों की पढ़ाई के लिए चाहे लाउडस्पीकर क्लास हो या मोटर सायकिल में छाता बांध कर बच्चों को पढ़ाते हुए शिक्षक, सोशल मीडिया में देश भर के लोगों की सराहना मिली। पढ़ई तुंहर दुआर को नीति आयोग ने भी सराहा।
पढई तुंहर दुआर
कोरोना महामारी के दौर में जब पूरे देश में लाक डाउन लगा था तब स्कूली बच्चों की पढ़ाई लगातार जारी रखना बड़ी चुनौती थी। ऐसे समय कक्षाओं का संचालन नहीं किया जा सकता था। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बच्चों के भविष्य की चिंता करते हुए तथा उन्हें पढ़ाई से जोड़ने ऑन लाइन और ऑफलाइन शिक्षा पर जोर दिया। पढ़ई तुंहर दुआर नाम से आन लाइन कक्षाओं की शुरूआत की गई। एन्ड्राईड एप के माध्य से आनलाइन कक्षाओं की सफलता ने पूरे देश में इस कार्यक्रम को चर्चित कर दिया। आनलाइन कक्षाओं से 20 लाख बच्चे और 2 लाख शिक्षक जुड़े हुए हैं। प्रतिदिन आन लाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों की जिज्ञासाओं और उनकी दिक्कतों को दूर कर रहे हैं। अब तक 39.57 लाख ऑनलाइन कक्षाएं संचालित हो चुकी है शिक्षकों द्वारा बच्चों की पढ़ाई के लिए 18 हजार 184 वीडियो पाठ और 914 ऑडियो पाठ अपलोड किए गए हैं।
पढ़ई तुंहर पारा
राज्य में लगभग 44 प्रशिक्षत क्षेत्र में सघन वन है इसके अलावा नदी पहाड़ आदि हैं। इसके कारण वनांचल क्षेत्रों में जहां इंटरनेट कनेक्विटीविटी नहीं थी वहां और बच्चों को दिक्कत होने लगी, इस समस्या का समाधान पारों मुहल्लों में छोटी-छोटी कक्षाएं लगाकर किया गया। पढ़ई तुंहर पारा में 23 हजार 643 शिक्षकों द्वारा 35 हजार 982 केन्द्रों में 7 लाख 48 हजार 266 विद्यार्थियों को पढ़ाई जारी रखने में मदद की जा रही है।
बुल्टू के बोल
ऐसे परिवारों के बच्चों को जिनके पास न तो इंटरनेट कनेक्शन और स्मार्ट फोन नहीं थे उन बच्चों को बुल्टू के बोल के माध्यम से स्तरीय शिक्षण सामग्री और आडियो सामग्री उपलब्ध करायी गयी। इस कार्यक्रम के तहत एक हजार 608 शिक्षकों द्वारा ऐसे 27 हजार पालकों को जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है उन्हें साधारण फोन में 4677 साप्ताहिक हाट बाजारों के माध्यम से बच्चों के लिए 60 हजार से अधिक आडियो लेक्चर ब्लूटूथ के माध्यम से उपलब्ध कराया गया।
लाउड स्पीकर स्कूल
राज्य में स्कूली बच्चों को बड़ी संख्या में एक साथ पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए गांवों में लाउड स्पीकर स्कूल का संचालन किया जा रहा है। लगभग दो हजार से अधिक शिक्षकों ने लाउडस्पीकर कक्षाओं में 69 हजार से अधिक बच्चों की पढ़ाई जारी रखी है।
बढ़ा शिक्षा के अधिकार का दायरा
राज्य में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए शिक्षा के अधिकार के दायरे में अब 12 कक्षा तक की पढ़ाई को लाया गया है। पहले कक्षा आठवीं तक ही इस अधिनियम के दायरे में लाया गया था राज्य में गरीब बच्चों की जरूरत को समझते हुए उत्कृष्ठ शालाओं में दाखिला कराया जाता है। इन्हें निःशुल्क शिक्षा एवं पाठ्य पुस्तकें दी जाती हैं। राज्य सरकार द्वारा हाल ही में निर्णय लिया गया है कि इस अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को बच्चों के शिक्षण शुल्क राशि सीधे स्कूलों के बैंक खाते में उपलब्ध करायी जाएगी।
स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल
राज्य के गरीब परिवारों के विद्यार्थियों को अखिल भारतीय स्तर की परीक्षाओं में सफलता दिलाने के उद्देश्य से स्वामी आत्मानंद के नाम पर नई योजना शुरू की है। प्रदेश में 53 स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी मीडियम स्कूल चुने हुए जिला मुख्यालयों में राज्य स्थापना दिवस के अवसर शुरू किए गए हैं इन स्कूलों 27 हजार बच्चों को प्रवेश दिया गया है जहां इन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है। सभी विकासखण्ड मुख्यालयों में कम से कम एक-एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य में बच्चों को शिक्षा देने के लिए सिर्फ नवाचार ही नहीं शिक्षा के पूरे तंत्र को मजबूत करने की भी पहल की जा रही है।
शिक्षकों का संविलियन
राज्य में नई सरकार बनने के बाद प्रदेश में दो वर्ष की सेवा की अवधि पूर्ण करने वाले पंचायत और नगरीय निकाय के 16 हजार 278 शिक्षक का संविलियन 01 नवम्बर 2020 से स्कूल शिक्षा विभाग में किया गया।
संकट काल में बच्चों को सूखा राशन
लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद रहने की वजह से राज्य के 45 हजार स्कूलों के 28 लाख से अधिक बच्चों को सूखा राशन का वितरण स्कूलों और घर पहुंचाकर किया गया। कोरोना संक्रमण काल में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मध्यान्ह भोजन के अंतर्गत स्कूली बच्चों को घर-घर पहुंचाकर सूखा राशन देने के कदम की सराहना पूरे देश भर में की गई।
स्थानीय भाषा में पढ़ाई
वनांचल क्षेत्रों में निवास करने वाले आदिवासी परिवारों के बच्चों को गोड़ी, हल्बी, सरगुजिया, कुड़ुख आदि भाषाओं में पढ़ाई के लिए व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार द्वारा प्राथमिक स्कूल की पढ़ाई स्थानीय भाषा में देने के लिए पहली और दूसरी कक्षा की पढ़ाई के लिए द्विभाषिक पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं।
गणवेश एवं पाठ्य पुस्तक
राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल के स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को निःशुल्क गणवेश का वितरण भी किया गया है। शासकीय स्कूल और मदरसों के 49 लाख बच्चों को गणवेश उपलब्ध कराया गया है। इसी प्रकार कक्षा पहली से 10 वीं तक के 55 लाख बच्चों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें भी उपलब्ध करायी गई हैं।