फीचर स्टोरी । छत्तीसगढ़ में मलेरिया मुक्त अभियान का बेहद ही प्रभावकारी असर देखने को मिला है. इस अभियान की कामयाबी ने इतिहास रच दिया है. राज्य में मलेरिया परजीवी का दर पहली बार इतिहास में सबसे कम 1.17 तक पहुँच गया. आखिर यह संभव कैसे हुआ ? क्या बस्तर मलेरिया मुक्त हो गया ? इस अभियान को अब किस तरह से आगे बढ़ाया जा रहा है ? आखिर भूपेश सरकार की क्या है मलेरिया मुक्त अभियान की रणनीति ? इन सब सवालों का जवाब आपको इस विशेष रिपोर्ट मिलेगा.

मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का असर

छत्तीसगढ़ का नैसर्गिक सुंदरता, खनिज संपदा से परिपूर्ण एक इलाका है बस्तर. लेकिन इसी बस्तर में तीन बड़ी चुनौतियाँ है नक्सलवाद, कुपोषण और मलेरिया. मलेरिया की समस्या से बस्तर दशकों से लड़ रहा है. बस्तर के आदिवासी मलेरिया से बचने के लिए कई पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इसके बावजूद मलेरिया का फैलाव होते रहा है. मलेरिया सर्वाधिक प्रभावित नक्सल मोर्चे पर तैनात सुरक्षा बल के जवान रहे हैं. यहाँ नक्सली हमलों से ज्यादा जाने मलेरिया से जवानों की जाती रहीं है. लेकिन अब ऐसा नहीं है. भूपेश सरकार बस्तर में नक्सलियों के साथ मलेरिया और कुपोषण के खिलाफ भी यह जंग छेड़ दिया है.

भूपेश सरकार ने 2020 में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की शुरुआत की थी. 15 जनवरी 2020 से 14 फरवरी 2020 तक पहले चरण का अभियान चलाया गया. व्यापक तैयारियों के साथ इस अभियान का आगाज हुआ. सरकार अमला जंगल के अंदर गाँव-गाँव तक पहुँचा. नतीजा अभियान का असर पहले चरण में दिखने लगा.

मलेरिया पीड़ितों की संख्या तेजी से घट रही

पहले चरण में 14 लाख छह हजार लोगों की जाँच की गई. इस जाँच में 64 हजार 646 लोग मलेरिया पॉजिटिव मिले, जिनका पूर्ण उपचार किया गया. जून-जुलाई में दूसरा चरण संचालित किया गया. दूसरे चरण में 23 लाख 75 हजार लोगों का जाँच हुई. इसमें 30 हजार 076 लोग पॉजिटिव मिले, जिनको तत्काल इलाज उपलब्ध कराया गया. नवंबर-दिसंबर में तीसरे चरण में 10 लाख 58 हजार लोगों की मलेरिया जांच की गई है. तीसरे चरण में 14 हजार 828 लोगों का तत्काल उपचार किया गया. इसका असर ये हुआ कि प्रथम चरण में मलेरिया की पॉजिटिविटी दर (जांच धनात्मक दर) 4.6 प्रतिशत थी जो दूसरे चरण में घटकर 1.27 प्रतिशत हो गई. वहीं तीसरे चरण में कुल जांच धनात्मक दर और घटकर 1.04 प्रतिशत हो गई है.

मलेरिया मुक्त अभियान का विस्तार

बस्तर में मिली सफलता के बाद मलेरिया मुक्त अभियान का विस्तार सरगुजा संभाग में किया गया. क्योंकि बस्तर के बाद सर्वाधिक प्रभावित इलाका सरगुजा है. सरगुजा संभाग में मलेरिया परजीवी का पूरी तरह से खत्म करने के लिए सघन जाँच अभियान शुरू किया गया. अभियान के तहत सरगुजा संभाग के पाँच जिले सरगुजा, कोरिया, जशपुर, बलरामपुर-रामानुजगंज और सूरजपुर में तीन लाख 69 हजार 676 लोगों की जांच की गई. इस दौरान पॉजिटिव पाए गए 22 लोगों का त्वरित इलाज किया गया.

अब मिल रहे हैं औसतन केवल 1.17 व्यक्ति

बस्तर और सरगुजा संभाग में चलाए अभियान का असर व्यापक असर छत्तीसगढ़ में देखने को मिला. नतीजा आज मलेरिया पीड़ितों की संख्या तेजी घट रही है. सरकार की ओर जारी आँकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वर्षों (2015 से 2020 तक) में प्रदेश की एपीआई (API – Annual Parasite Incidence) में सर्वाधिक 4.04 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है. एपीआई रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में यहां प्रति एक हजार की आबादी में औसत 5.21 व्यक्ति मलेरिया से पीड़ित होते थे. बीते पांच वर्षों में घटकर अब यह मात्र 1.17 हो गई है. वर्ष 2005 में प्रदेश में प्रति एक हजार की जनसंख्या में मलेरिया के मरीजों की औसत वार्षिक संख्या आठ, 2010 में 6.14 और 2015 में 5.21 थी, जो अब घटकर केवल 1.17 हो गई है.

मलेरिया के साथ अन्य बीमारियों का भी ईलाज

यहाँ यह भी जानना जरूरी है कि मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के अंतर्गत दिसम्बर-2020 एवं जनवरी-2021 में बस्तर व सरगुजा संभाग के 2309 गांवों के कुल 14 लाख 27 हजार 358 लोगों की मलेरिया जांच की गई थी. अभियान के तहत सुदूर, दुर्गम, पहाड़ों व वनों से घिरे पहुंचविहीन गांवों में मलेरिया जांच के साथ विभिन्न बीमारियों का इलाज और निःशुल्क दवाई वितरण किया गया था. अभियान के दौरान कई गांवों में बरसों बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची थी.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशा के अनुरूप काम

मलेरिया मुक्त अभियान शुरू करने से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशा के अनुरूप ही हाट-बाजार क्लिनिक योजना की शुरुआत हो गई थी. इसके पीछे मुख्यमंत्री की मंशा यह रही है कि बस्तर के दुरस्त गाँवों तक चलित अस्पतालों को पहुँचाना. बाजार में आने वाले आदिवासियों को चिकित्सा सुविधा पहुँचाना. इस योजना से मिली सफलता के बाद बस्तर के बीहड़ों में मलेरिया से मुक्ति का महा-अभियान छेड़ा गया. इसे नाम दिया गया मलेरिया मुक्त बस्तर. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से अभियान को गति दिया गया. नतीजा आज बस्तर मलेरिया से मुक्ति की ओर है. इस बड़ी कामयाबी का परिणाम आज यह बी देखा जा सकता है कि अब सरगुजा संभाग से मलेरिया को खत्म करने का संकल्प लिया गया है. कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ पूरी तरह से मलेरिया मुक्त होने की दिशा में आगे बढ़ चुका है.