फीचर स्टोरी । छत्तीसगढ़ में एक नई परियोजना की शुरुआत हुई है. नाम है ‘चिराग’ ! जी हाँ चिराग. चिराग का अर्थ आप जानते ही होंगे रोशनी, उजाला, अंधकार को मिटाने वाला होता है. हालांकि यहाँ चिराग का मतलब दीया, दीपक, मोमबत्ती या बिजली से नहीं. लेकिन परियोजना का उद्देश्य अंधकार मिटाना, नया सवेरा लाना, नई रोशनी फैलाना ही है. दरअसल चिराग परियोजना आदिवासी क्षेत्रों में एक नई क्रांतिकारी शुरुआत है. इस परियोजना के जरिए आदिवासी किसानों के जीवन से अंधकार को मिटाने का खेती के जरिए किया जाएगा. विश्व बैंक की मदद से राज्य सरकार यह परियोजना प्रारंभ किया है. कह सकते हैं कि भूपेश सरकार ने आदिवासी इलाकों में एक नई लकीर खींची है. इस नई लकीर से आने वाले दिनों निश्चिच ही आदिवासियों की तकदीर बदलेगी इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.
आइये को इस परियोजना के नाम, उद्देश्य, कार्ययोजना और लाभ के बारे में विस्तार बताते हैं.
चिराग का पूरा नाम- Chhattisgarh Inclusive Rural and Accelerated Agriculture Growth है. परियोजना का शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 24 नवंबर को जगदलपुर से किया था.
परियोजना का उद्देश्य
परियोजना के तहत आदिवासी किसानों की आमदानी बढ़ाने, गाँवों में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने, युवाओं को खेती से जोड़ने, फसलों के उत्पादन बढ़ाने पर काम किया जाएगा. क्षेत्र की जलवायु पर आधारित पोषण-उत्पादन प्रणाली विकसित करना, प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के कार्यप्रणाली का विकास करना है. इसके अलावा इस परियोजना के तहत कृषि क्षेत्र में विकास के नए और विकसित तौर-तरीकों को बढ़ावा दिया जाएगा.
युवाओं को प्रशिक्षण-रोजगार
परियोजना के तहत स्थानीय आदिवासी युवाओं को खेती में विभिन्न नवाचारों का प्रशिक्षण दिया जाएगा. उन्हें वैज्ञानिक तरीके से खेती करना सीखाया जाएगा. तेजी से बदलते जलवायु परिर्तन की पूरी जानकारी दी जाएगी. जलवायु के मुताबिक किस तरह से खेती करना, क्या करना यह बताया जाएगा. खेती में मछली पालन, पशुपालन, उद्यानिकी के साथ ही विशेष प्रजातियों की फसलों के उत्पादन की पूरी जानकारी दी जाएगी. इसके साथ ही युवाओं को सेल्स, मार्केटिंग संबंधी भी प्रशिक्षण दिया जाएगा. उन्हें स्वरोजगार भी उपलब्ध कराया जाएगा.
14 जिलों में लागू होगी परियोजना
चिराग परियोजना को बस्तर और सरगुजा संभाग के सभी जिलों में लागू करने के साथ दो अन्य जिलों में लागू किया जा रहा है. कुल 14 जिलों में परियोजना लागू की जाएगी. जिन जिलों में परियोजना लागू की जा रही है उनमें- बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, सुकमा, मंगेली, बलौदाबाजार, बलरामपुर, जशपुर, कोरिया, सुरजपुर और सरगुजा शामिल हैं.
परियोजना के लिए विश्व बैंक से आर्थिक मदद
राज्य सरकार की इस परियोजना के लिए विश्व बैंक से आर्थिक मदद मिली है. सरकार और विश्व बैंक के बीच इसे लेकर एक समझौता हुआ है. विश्व बैंक द्वारा 730 करोड़ रुपए, आईएफएडी द्वारा 486.69 करोड़ रुपए की सहायता इस परियोजना के लिए दी गई है. राज्य सरकार ने इस परियोजना की कुल राशि में 30 प्रतिशत राशि, 518.68 करोड़ रुपये अपने राजकीय कोष से उपलब्ध कराए हैं.
बस्तर में एक नया दौर, बड़ा बदलाव- भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व बैंक की सहायता से संचालित होने वाली लगभग 1735 करोड़ रुपए की इस परियोजना को बस्तर के लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाली अब तक की सबसे बड़ी परियोजना कहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हर बड़ी योजना का शुभारंभ बस्तर में मां दंतेश्वरी का आशीर्वाद लेकर किया जा रहा है और इसी का परिणाम है कि ये योजनाएं सफल भी हो रही हैं. उन्होंने कहा कि “चिराग परियोजना” छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा संभाग सहित 14 जिलों मंे लागू की जाएगी. उन्होंने कहा कि चिराग परियोजना आदिवासी क्षेत्रों में विकास की नयी रौशनी फैलाएगी. यह परियोजना बस्तर में एक नया दौर है. बस्तर में आने वाले वर्षों में बड़ा बदलाव होगा. इस परियोजना के माध्यम से कृषि क्षेत्र में विकास के नये और विकसित तौर-तरीकों को बढ़ावा दिया जाएगा. “चिराग परियोजना” आदिवासियों के लिए नये अवसर और नयी आशाएं लाने वाली परियोजना है। आधुनिक खेती और नवाचारों से जुड़कर वे नये जीवन में प्रवेश करेंगे.
कृषि को बढ़ावा, ऑनलाइन बाजार- रविन्द्र चौबे
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे का कहना है कि इस परियोजना के माध्यम से अधोसंरचना के विकास के साथ ही तकनीकी आधारित कृषि को बढ़ावा देने और उत्पादों के प्रसंस्करण के माध्यम से स्थानीय युवाओं की आय में वृद्धि का कार्य किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बस्तर के उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता के कारण इसकी अपनी पहचान है. अब बस्तर के यह उत्पाद दिल्ली-मुंबई में भी बिकेंगे और फ्लिपकार्ट व अमेजन जैसे ऑनलाईन मार्केट प्लेटफार्म में भी उपलब्ध होंगे.
स्व-रोजगार के साथ युवाओं को रोजगार- अमरजीत भगत
खाद्य मंत्री का कहना है कि चिराग परियोजना का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के अनुसार उन्नत कृषि उत्तम स्वास्थ के दृष्टिकोण से पोषण आहार में सुधार, कृषि और अन्य उत्पादों का मूल्य संर्वधन कर कृषकों को अधिक से अधिक लाभ दिलाना है. परियोजना के अंतर्गत लघुधान्य फसलें, समन्वित कृषि, जैविक खेती को प्रोत्साहन, भू-जल संवर्धन, उद्यानिकी फसलों, बाड़ी और उद्यान विकास, उन्नत मत्स्य और पशुपालन तथा दुग्ध उत्पादन के अतिरिक्त किसानों के उपज का मूल्य संवर्धन कर अधिक आय अर्जित करने के कार्य किए गए हैं. इसके अलावा विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए बाजार उपलब्धता के भी प्रयास किए जाएंगे। परियोजना का क्रियान्वयन राज्य सरकार के सुराजी योजना के गौठानों को केन्द्र में रखकर किया जाएगा.
उम्मीद है कि चिराग अपने नाम के अनुरूप बस्तर और सरगुजा के आदिवासियों के जीवन से अंधिकार मिटाने वाली परियोजना साबित होगी. इस परियोजना के जरिए भूपेश सरकार ने जो नई लकीर खींची उससे आदिवासियों की तस्वीर भी बदलेगी और तकदीर भी ये भी उम्मीद कर सकते हैं.