फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बने 20 साल हो गए. इसी अलग राज्य का सपना 80 साल पहले राज्य के महान विभूति डॉ. खूबचंद बघेल ने देखा था. उन्होंने पृथक छत्तीसगढ़ का सपना इसलिए देखा था, क्योंकि छत्तीसगढ़ के लोगों को उनका हक-अधिकार नहीं मिल रहा था. छत्तीसगढ़ के संसाधनों का बेहताशा दोहन हो रहा था और छत्तीसगढ़ियों का शोषण हो रहा था. इस पीड़ा को करीब से महसूस कर रहे थे डॉ. खूबचंद बघेल.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी से लेकर राजनेता तक उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोगों को अपने हक-अधिकारों के लिए लड़ते देखा. उन्होंने देखा कि किस तरह से छत्तीसगढ़ियों का, मूलनिवासियों का हक मारा जा रहा, उन पर बाहरी लोग राज कर रहे हैं. लिहाजा उन्होंने 60 के दशक में सड़क से लकर सदन तक में पृथक छत्तीसगढ़ के लिए आवाज उठाई. उनके द्वारा उठाई गई यह मांग छत्तीसगढ़ में एक बड़े आंदोलन बनकर उभर आया. नतीजा तकरीबन 40 साल के संघर्ष के बाद नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ नए राज्य के रूप में अस्तिव में आ गया.

सन् 2000 में मध्यप्रदेश अलग राज्य बनने बाद छत्तीसगढ़ अस्तिव में तो आ गया था, लेकिन डॉ. खूबचंद बघेल के सपनों का छत्तीसगढ़ नहीं ! दरअसल डॉ. खूबचंद ने जो सपना देखा था वह पूरा नहीं हो रहा था. अलग राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ियों के साथ न्याय नहीं हो रहा था. लेकिन राज्य निर्माण के 18 साल बाद नए बदलाव और छत्तीसगढ़ में गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के नारे के साथ डॉ. खूबचंद बघेल के छत्तीसगढ़ को गढ़ने की शुरुआत हुई. आज राज्य सरकार इसी दिशा में आगे बढ़ रही है.

बीते दिनों 22 फरवरी को डॉ. बघेल की पुण्यतिथि पर उनके गृह ग्राम पथरी में आयोजित पुरखा के सुरता कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसी संकल्प को दोहराया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि, “पथरी हमर पुरखा के गाँव हरय. छत्तीसगढ़ के सबले बड़े नेता के गाँव हरय. अलग छत्तीसगढ़ राज के सपना देखने वाले महान विभूति के गाँव हरय. अइसन गाँव ल अब हमला देस-दुनिया म सबले सुग्घर गाँव बनाना हे. जेन सपना हमर पुरखा देखे रहिन, वो सपना सच करना हे. हम उही दिसा म आगू बढ़त हन. येखर संगे-संग मयँ आप सब ल इहूँ बताना चाहत हव के पथरी गाँव ल राजधानी रायपुर ले जोड़ने वाला सबो दिसा के सड़क टू लेन के होही. नवा रायपुर के परमुख चउराहा म डॉ. बघेल के बड़का मुर्ति घलोक लगही. हमर पुरखा ह छत्तीसगढ़यिा स्वाभिमान के प्रतीक हरय.

गौठान से रोजगार, सपने हो रहे साकार

छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार सुराजी योजना के तहत नरवा-गरवा-घुरवा-बारी को बचाने और इसके जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के दिशा में शानदार काम कर रही है. डॉ. खूबचंद बघेल के गाँव पथरी में इस योजना का सफल क्रियान्वयन देखा जा सकता है. मुख्यमंत्री जब डॉ. बघेल के पुण्यतिथि के मौके पर पथरी पहुँचे तो गौठानों का अवलोकन करने भी गए. इस दौरान उन्होंने आत्मनिर्भर बन रहीं स्व-सहायता समूहों की महिलाओं से भी मुलाकात की और काम-काज की जानकारी ली.

स्व-सहायता समूहों की सराहना

इस मौके पर पर उन्होंने कहा कि राज्य शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के तहत गौठान का निर्माण ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत बनाने एवं स्व-सहायता समूह की महिलाओं और युवाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए किया जा रहा है, ताकि गांव के लोग स्वावलंबी बन सकें. गौठान आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित हो रहे हैं. यहां संचालित गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीणजन जीवन में एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है. ग्रामीणजन आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहे हैं. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिली है.

मुख्यमंत्री बघेल ने गौठान में संचालित बकरी पालन, सामुदायिक मुर्गी पालन, मशरूम उत्पादन, वर्मी खाद निर्माण सहित अन्य गतिविधियों का भी अवलोकन किया. उन्होंने गौठान के बाड़ी में सब्जी की खेती का भी मुआयना किया और गौठान परिसर में पीपल का पौधा रोपा.