फीचर. छत्तीसगढ़ में 2018 के बाद के साल बड़े कमाल के रहे हैं. विशेषकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिहाज से या कहिए कृषि आधारित उद्योगों के लिहाज से. गाँवों से भी अब उद्योगों का संचालन हो सकता है, वह भी गाँवों वालों के साथ, गाँवों से प्राप्त उत्पादों के साथ. ऐसा भला किसने सोचा था ? शायद महात्मा गांधी ने ! जी हाँ महात्मा गांधी ने ही. महात्मा गांधी की जी ने ही ग्राम स्वराज्य का सपना संजोया था. गांधीजी ही यह सोचा करते थे कि गाँवों से विकास की शुरुआत होनी चाहिए. गाँवों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने पर जोर दिया जाना है. गांधी के इसी सपने को सच करने का काम बीते 3 सालों में भूपेश सरकार ने किया है.
भूपेश सरकार के पास तीन सालों में भले गिनाने के लिए ढेरों उपलब्धियां हों, लेकिन बड़ी उपलब्धि जो भूपेश सरकार के हिस्से आई है वह ग्रामीण-कृषि अर्थव्यवस्था. कृषि आधारित उद्योग को स्थापित करने की दिशा में काम करना. गांवों में छोटे-छोटे उद्योगों के साथ एक बड़ी शुरुआत करना है. फूड पार्क के लिए प्राथमिकता से काम करना. ग्रामीण औद्योगिक पार्क तैयार करना.
हम सभी जानते हैं कि छत्तीसगढ़ कृषि पर निर्भर राज्य है. राज्य में आज भी लगभग 75 फीसदी आबादी कृषि से जुड़े हुए हैं. राज्य की आर्थिक निर्भरता कृषि पर ही है. ऐसे में सरकार ने कृषि, किसान और गांव को प्राथमिकता रखा और काम करना शुरू किया. इसी का परिणाम है कि तीन साल में छत्तीसगढ़ ने तमाम मोर्चों पर सफलता हासिल की है.
राज्य सरकार ने जो नई उद्योग नीति बनाई है उसमें प्राथमिकता की श्रेणी में कृषि है. राज्य में कृषि उत्पादनों और वनोपजों के वैल्यूएडिशन के जरिए भी लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है. यही नहीं युवाओं को उद्यमी बनाने के लिए सरकार कई पैकजों पर काम भी कर रही है. नए स्टार्टअप विशेष प्रोत्साहन पैकेज युवाओं को दिया जा रहा है.
आंकड़ों के मुताबिक विगत 3 वर्षों में कुल एक हजार 751 औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई है, जिसमें 19550.72 करोड़ रूपए का निवेश किया गया है. इससे 32 हजार 912 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है. इस दौरान कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित 478 इकाईयां स्थापित हुई है, जिसमें कुल 1167.28 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ है तथा 6319 व्यक्तियों को रोजगार भी मिला है.
आइये आपको बताते हैं कि भूपेश सरकार ने किस तरह से कृषि आधारित उद्योगों के साथ नवा छत्तीसगढ़ पर जोर दिया और तीन सालों में कैसे छत्तीसगढ़ शिखर की ओर बढ़ चला है.
फूड पार्कों की स्थापना
कृषि क्षेत्र को उन्नत और विकसित बनाने के लिए सरकार कई तरह से नवीन तकनीकों के साथ काम कर रही है. जलवायु परिवर्तन के इस दौर में कैसे किसानों को विभिन्न तरह के नुकसानों से बचाकर कैसे अधिक लाभ पहुँचाया इस पर जोर दिया जा रहा है. लिहाजा सरकार ने फूड पार्क स्थापित करने का ऐलान किया और इस पर तेजी से काम भी शुरू किया. सरकार ने राज्य मे लगभग200 फूड पार्कों की स्थापना का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में सरकार काम भी कर रही है. जानकारी के मुताबकि लगभग 110 फूड पार्कों के लिए जमीन का चिन्हांकन एवं अन्य आवश्यक कार्यवाही की जा रही है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में फुडपार्क स्थापना हेतु 50 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है, आने वाले वर्षों में राज्य में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित कई उद्योग भी स्थापित होंगे और जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
खाद्य प्रसंस्करण मिशन
राज्य सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण के तहत किसानों को सहायता पहुँचाने पर काम किया है. इससे किसान उद्यानिकी फसलों में छूट और अनुदान के जरिए उन्नत खेती कर मुनाफा कमा सके. खाद्य प्रसंस्करण मिशन योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण सहायता अनुदान के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में 14 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा गया है. इस योजना के तहत उद्योगों का उन्नयन, स्थापना, आधुनिकीकरण तथा उद्यानिकी एवं गैर उद्यानिकी दोनों क्षेत्रों में कोल्ड चेन, मूल्य संवर्धन एवं संरक्षण अधोसंरचना का विकास, प्रसंस्करण केंद्र व संग्रहण केंद्र भी योजना में सम्मिलित है.
एथेनॉल प्लांट
छत्तीसगढ़ धान उत्पादक राज्य है. छत्तीसगढ़ को इसीलिए धान का कटोरा भी कहा जाता है. राज्य के सभी हिस्सों में किसान व्यापक पैमाने पर धान की खेती करते हैं. धान का बंपर पैदावार भी होता है. सरकार समर्थन मूल्य पर धान भी खरीदती है. लेकिन खाद्यान के लिए रखने के बाद काफी अधिक संख्या में धान शेष रह जाता है. इसी तरह राज्य में गन्ने का पैदावर भी अब राज्य के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर हो रहा है. लिहाजा सरकार ने धान और गन्ने से ऐथेनॉल बनाने पर काम करना शुरू कर दिया है. इस पर शुरुआती काम गन्ने से एथेनॉल पर किया जा रहा है. देश में पहली बार सहकारिता के क्षेत्र में पीपीपी मोड पर कंवर्धा जिले के भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने में एथेनॉल प्लांट की स्थापना के लिए अनुबंध किया गया है. इसी प्रकार कोण्डागांव जिले के कोकड़ी गांव में प्रस्तावित मक्का प्रसंस्करण ईकाई में मक्का आधारित एथेनॉल संयंत्र की स्थापना का निर्णय लिया गया है.
पिछड़ा वर्ग को प्रोत्साहन
छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी बाहुल्य राज्य. राज्य की बड़ी आबादी आदिवासी, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग की है. ऐसे में सरकार ने एससी-एसटी वर्ग के पिछड़े लोगों को उद्योग से जोड़ने, उन्हें उद्यमी बनाने पर ध्यान दिया है. इसी तरह से महिलाओं को उद्यमी बनाया जा रहा है. सरकार ने इसके लिए पिछड़ा वर्ग प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की है. योजना के तहत
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिला वर्ग के उद्यमियों के लिए स्वयं का उद्योग स्थापित करने हेतु अंशपूंजी सहायता के रूप में अनुदान के तहत दिया जाएगा. अन्य पिछड़ा वर्ग के उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में 10 प्रतिशत भूमि आरक्षित करने का निर्णय लिया गया है. राज्य के बंद एवं बीमार उद्योगों को क्रय किए जाने पर नवीन पंजीयन के साथ ही अनुदान एवं छूट की भी पात्रता देने का निर्णय लिया गया है.
3 साल में 167 एमओयू
राज्य सरकार ने नई उद्योग नीति तैयार कर औद्योगिक घरानों को छत्तीसगढ़ में निवेश करने के लिए प्रेरित भी किया है. इसी का परिणाम है कि नए उद्योग की स्थापना के लिए जनवरी 2019 से फरवरी 2022 तक कुल 167 एमओयू किए गए हैं. जिनमें 78 हजार करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित है. जिसके तहत 90 इकाइयों ने उद्योग स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अब तक 2,750 करोड़ रूपए से अधिक का निवेश किया गया है. कुछ इकाइयों ने व्यवसायिक उत्पादन प्रारंभ कर दिए हैं.
508 स्टार्टअप इकाईयां पंजीकृत
राज्य सरकार ने युवाओं को उद्यमी बनाने पर भी व्यापक जोर दिया है. इसके तहत स्टार्टअप शुरू करने पर युवाओं को प्रोत्साहन भी दिया है. सरकार से ही मिली जानकारी के मुताबिक औद्योगिक नीति 2019-24 में स्टार्टअप इकाईयों को प्रोत्साहित करने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य स्टार्टअप पैकेज लागू की गई है. जिसके तहत विगत 3 वर्षों में 508 स्टार्टअप इकाईयां पंजीकृत हुई है। भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त इकाइयों को छत्तीसगढ़ में स्थापित होने पर विशेष प्रोत्साहन पैकेज देने की घोषणा की गई है. इसके तहत ब्याज अनुदान, स्थाई पूंजी निवेश अनुदान, विद्युत शुल्क पर छूट, स्टांप शुल्क में छूट, परियोजना प्रतिवेदन में छूट इत्यादि छूट प्रदान की जा रही है.
नवीन उद्योगों के लिए रियायत
इसी तरह से सरकार ने औद्योगिक नीति 2019-24 के अंतर्गत 16 प्रमुख से एमएसएमई सेवा श्रेणी उद्यमों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, सेवा केंद्र बीपीओ 3 डी प्रिंटिंग, बीज ग्रेडिंग इत्यादि सेवाओं को सामान्य श्रेणी के उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान किया है. महिला स्व-सहायता समूह एवं तृतीय लिंग के उद्यमियों को उद्योग निवेश प्रोत्साहन हेतु पृथक से वर्गीकृत किया है. इसके अलावा मेडिकल एवं लेबोरेटरी उपकरण, मेडिकल ऑक्सीजन गैस, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर, फेस मास्क, कोविड जैसे संक्रमण वाली बीमारियों के टेस्ट में उपयोग होने वाले उपकरण, टीका बनाने के उपकरण को प्राथमिकताओं वाली उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहित किया जा रहा है.
ग्रामीण औद्योगिक पार्क
राज्य सरकार की ओर गांव-गांव में औद्योगिक पार्क तैयार किया जा रहा है. औद्योगिक पार्क के रूप में गांव के गौठान को स्थापित किया जा रहा है. जहाँ नरवा-गरवा-घुरवा-बारी और गोधन न्याय योजना के तहत विभिन्न ग्रामीण स्व-रोजगारमूलक गतिविधियों को संचालन किया जा रहा है. ग्रामीण औद्योगिक पार्क विभिन्न योजनाओं का समायोजन कर कई छोटे-छोटे कुटीर उद्योग शुरू किया गया है. उद्योगों से गांव के ही लोगों को जोड़ा गया है विशेषकर महिलाओं को. आज ग्रामीण औद्योगिक पार्क में गोबर खरीदी, वर्मी खाद निर्माण के साथ-साथ फूल से गुलाल निर्माण, पूजन सामग्री, चंदन निर्माण, बांस शिल्प, मशरूम का उत्पादन, आदि किया जा रहा है. इसी के साथ-साथ यहाँ मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के तहत फदलदार वृक्ष भी लगाए जा रहे हैं. वहीं बतख पालन, मछली पालन भी किया जा रहा है.