फीचर स्टोरी. धान के कटोरे में अब लाख की खेती से भी किसान लखपति बनने की ओर कदम बढ़ा चुके हैं. राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे नवाचारों से प्रदेश के किसान प्रोत्साहित हो रहे हैं. किसान अब धान के साथ-साथ अन्य फसलों की ओर भी ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि सरकार कम समय में अधिक उत्पादन, जलवायु और भूमिगत वातावरण के अनुसार किसानों को सही फसल के लिए प्रेरित कर रही, किसानों को प्रशिक्षित कर रही है.

उत्तर से लेकर दक्षिण और मध्य छत्तीसगढ़ तक सरकार किसानों के लिए नीति बनाकर काम कर रही है. अलग-अलग क्षेत्रों के किसानों के लिए सरकार अलग प्रबंध कर रही है. जहाँ जैसी जमीन और सिंचाई की व्यवस्था उस रूप में सरकार प्रबंध कर रही है. सरकार ने खेती में धान को तो बढ़ावा दिया है, वहीं राज्य में फल और सब्जी की खेती में अब बड़े पैमाने पर होने लगी है. इसके साथ ही दलहन-तिलहन और रागी, कोदो-कुटकी पर समर्थन मूल्य घोषित कर सरकार ने किसानों को एक और बड़ा विकल्प दे दिया है. मछली पालन और वृक्षारोपण को भी खेती का दर्जा देकर सरकार ने एक और नवा प्रयोग किया है.

इसी तरह से सरकार राज्य में लाख की खेती की ओर किसानों को प्रोत्साहित करने में लगी है. लाख की खेती से किसान अधिक से अधिक लाभ कमा सके, इसके लिए उचित प्रबंध भी सरकार की ओर से की जा रही है. सरकार ने लाख की खेती का रकबा, उत्पादन बढ़ाते हुए 250 करोड़ रुपये की आय का लक्ष्य रखा है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों की आय बढ़ाने दिशा में इसे लेकर व्यापक निर्देश भी जारी किए हैं. मुख्यमंत्री के निर्देशों पर अमल भी शुरू हो चुका है. लाख की खेती में किसानों को रंगीनी बीहन लाख की ओर ले जाने का काम किया जा रहा है. लघु वनोपज संघ की ओर से बीहन लाख की आपूर्ति, विक्रय और फसल ऋृण की उपलब्धता कराई गई है.

क्लस्टर का गठन

सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक लाख उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रदेश में एक क्लस्टर का गठन किया गया है. क्लस्टर का गठन 20 जिला यूनियनों में 3 से 5 प्राथमिक समिति क्षेत्र को जोड़ते हुए किया गया है. इसके माध्यम से सर्वेक्षण काम किया जा रहा है. वहीं कृषकवार जानकारी भी मांगी गई है. कृषकों के लिए एक निर्देश भी क्लस्टर के जरिए जारी किया गया है. निर्देशानुसार कृषकों को संघ द्वारा निर्धारित मूल्य पर बीहन लाख प्रदाय करने हेतु आवश्यक कुल राशि को अग्रिम रूप से जिला यूनियन खाते में जमा कराना होगा.

मूल्य का निर्धारण

वहीं एक सूचना किसानों के लिए यह भी है कि राज्य में बीहन लाख की कमी को दूर करने हेतु कृषकों के पास उपलब्ध बीहन लाख को उचित मूल्य पर क्रय करने के लिए क्रय दर का निर्धारण किया गया है. इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त) के लिए कृषकों को देय क्रय दर 550 रूपए प्रति किलो ग्राम तथा रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) के लिए कृषकों को देय क्रय दर 275 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है. इसी तरह कृषकों को बीहन लाख उपलब्ध कराने हेतु विक्रय दर का भी निर्धारण किया गया है. इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त ) के लिए कृषकों को देय विक्रय दर 640 रूपए प्रति किलोग्राम और रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) के लिए कृषकों को देय विक्रय दर 375 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है.

निःशुल्क ऋृण सुविधा

सरकार जैसे दूसरे फसलों के लिए ऋण उपल्बध कराती है, उसी तरह से बीहन लाख की खेती के लिए निःशुल्क ब्याज दर पर ऋृण उपलब्ध करा रही है. जिला सहकारी बैंकों के माध्यम से ऋृण की व्यवस्था की गई है. इसमें लाख पालन करने हेतु पोषक वृक्ष कुसुम पर 5 हजार रूपए, बेर पर 900 रूपए तथा पलाश पर 500 रूपए प्रति वृक्ष ऋण सीमा निर्धारित है.

साल में दो फसल पर जोर

लाख की खेती के लिए पलाश, कुसुम और मीठा बेर उपयोगी वृक्ष माना जाता है. लिहाजा सरकार की ओर इसके अधिक रोपण पर दिया ज रहा है. विशेषकर मौसम अनुसार लाख की खेती के मद्देनजर वृक्षों का रोपण किया गया है और किया जा रहा है. जैसे गर्मी के मौसम में कुसुम या पलाश में लाख की खेती को उपयुक्त माना गया है, वहीं बारिश के दिनों में मीठे बेर के पेड़ में लाख की खेती उपयुक्त है. ऐसे में किसानों को साल में दो बार लाख की खेती करने की ओर प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे कि किसान अतिरिक्त लाभ कमा सके.

तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार के युवाओं को अवसर

वहीं तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार के युवा सदस्यों को लाख की खेती प्रोत्साहित करने का भी काम किया जा रहा है. परिवार में 12वीं पास युवाओं को वनधन मित्र बनाकर उन्हें लाख की खेती से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों से जोड़ा जा रहा है. इसके लिए उन्हें उचित मानदेय भी दिया जा रहा है. वर्तमान में लगभग 200 वनधन मित्र (लाख) द्वारा विभिन्न जिला यूनियनों में अपनी सेवाएं लाख कृषकों को प्रदाय किया जा रहा है.

लक्ष्य 4 हजार से 10 हजार टन

जानकारी के मुताबिक वर्तमान में कई जिलों में लाख की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. लगभग 50 हजार किसानों द्वारा कुसुम एवं बेर वृक्षों पर कुसुमी लाख, पलाश एवं बेर वृक्षों पर रंगीनी लाख पालन किया जाता है. राज्य में वर्तमान में 4 हजार टन लाख का उत्पादन होता है, जिसका अनुमानित मूल्य राशि 100 करोड़ रूपए है. सरकार की ओर से लाख का उत्पादन बढ़ाने के साथ आय बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है. राज्य में 4 हजार से बढ़ाकर 10 हजार टन लाख उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. वहीं 250 करोड़ रुपये की आय का भी लक्ष्य है.

इससे बढ़ा किसानों में रुझान

सरकार की ओर से दी गई एक और जानकारी के मुताबिक संपूर्ण देश में लाख उत्पादन के गिरावट के कारण वर्तमान में कुसुमी लाख का बाजार दर 300 से 900 रुपए प्रति किलोग्राम तक वृद्धि हुई है. इससे लाख खेती बढ़ाने किसानों का रूझान बढ़ रहा है.