फीचर स्टोरी । कोरोना संकट में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूरी क्षमता के साथ तमाम व्यवस्थाओं को बेहतर से बेहतर करने में जुटे हैं. वे अपनी इस कोशिश में सफल होते भी दिख रहे हैं. संकट की इस घड़ी में तमाम चुनौतियों के बीच छत्तीसगढ़ को कैसे मजबूत रखा जा सकता है इस दिशा में भूपेश सरकार का प्रयास बेहद सार्थक जान पड़ा रहा है. विशेषकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था जो कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यस्था का आधार स्तंभ है को सुचारू रूप से चलायमान रखा है. एक सरकार की संवेनदशील सोच, कारगर नीति क्या होती है इसे छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के बीच देखा जा सकता है, समझा जा सकता है, इस पर अध्ययन किया जा सकता है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्वव्यापी कोरोना संकट के बीच न सिर्फ़ ख़ुद को साबित किया है, बल्कि उन्होंने लॉकडाउन में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना का सफल क्रियान्वयन कर, 1.23 करोड़ मानव दिवस रोजागर सृजन कर देश में प्रदेश को नंबर वन बनाने काम भी किया है. 

वर्तमान समय में सबसे जरूरी है यही है कि ग्रामीण अर्थवस्था को डगमगाने से हम बचा ले. ग्रामीणों के सामने आजीविका की समस्या न हो, उनके पास सरकारी राशन के साथ-साथ अन्य जरूरतों के लिए जेब में पैसे भी हो. लिहाजा इन स्थितियों के बीच छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार ने मनरेगा के कार्यों पर जोर दिया. न सिर्फ़ जोर दिया, बल्कि सरकार ने संकट के समय में अपनी कार्यशाली और क्षमता अद्भूत उदाहरण पेश किया.

देश में कार्यरत कुल श्रमिकों में 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से

सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक नए वित्तीय वर्ष 2020-21 के पहले दिन 1 अप्रैल को प्रदेश में मनरेगा श्रमिकों की संख्या केवल 57 हजार 536 थी. लॉक-डाउन के मौजूदा दौर में गांवों में काम की जरूरत को देखते हुए सरकार द्वारा जोर-शोर से मनरेगा कार्य शुरू कराए गए. मैदानी अमले और सरपंचों की सक्रियता से महीने के आखिर में 30 अप्रैल को यह संख्या 19 लाख 85 हजार 166 जा पहुंची. इस दौरान मनरेगा जॉब कॉर्डधारी 10 लाख 24 हजार परिवारों को एक करोड़ 23 लाख से अधिक मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया गया. मजदूरी भुगतान की प्रक्रिया को तेजी से पूर्ण कर श्रमिकों को त्वरित भुगतान भी किया गया. अप्रैल माह में काम करने वालों को 200 करोड़ रूपए से अधिक का मजदूरी भुगतान किया गया है.


केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मनरेगा कार्यों में अभी पूरे देश में 77 लाख 85 हजार 990 मजदूर संलग्न हैं. इनमें सर्वाधिक 19 लाख 85 हजार मजदूर अकेले छत्तीसगढ़ से हैं, जो कुल मजदूरों की संख्या का करीब एक चौथाई है. इस सूची में 14 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ राजस्थान दूसरे और 12 प्रतिशत भागीदारी के साथ उत्तरप्रदेश तीसरे स्थान पर है. देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी पिछले वर्ष की ही तरह मनरेगा में प्रदेश का बेहतरीन प्रदर्शन लगातार जारी है.

अकेले अप्रैल महीने में 548.41 करोड़ मजदूरी भुगतान

लॉक-डाउन के बाद अकेले अप्रैल महीने में ही नए और पुराने कार्यों को मिलाकर कुल 548 करोड़ 41 लाख रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया है. राज्य शासन द्वारा सामग्री मद में भुगतान के लिए भी 210 करोड़ रूपए जारी किए गए हैं। 50 दिनों के अतिरिक्त रोजगार के लिए 76 करोड़ 94 लाख रूपए भी शीघ्र जारी किए जाएंगे.

जानिए जिलेवार आँकड़ा

प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत सर्वाधिक रोजगार देने में राजनांदगांव, जाँजगीर-चाम्पा और महासमुन्द जिला शीर्ष पर हैं.
राजनांदगांव में एक लाख 74 हजार 859.
जाँजगीर-चाम्पा में एक लाख 39 हजार 995.
महासमुन्द में एक लाख 28 हजार 896.
कबीरधाम में एक लाख 25 हजार 330.
मुँगेली में एक लाख 18 हजार 290.
बिलासपुर में एक लाख 14 हजार 137.
बालोद में एक लाख 10 हजार 082.
बलौदाबाजार-भाटापारा में 90 हजार 985.
बेमेतरा में 87 हजार 747.
रायपुर में 82 हजार 297.
धमतरी में 80 हजार 732.
जशपुर में 64 हजार 323.
गरियाबंद में 63 हजार 969.
दुर्ग में 58 हजार 732.
काँकेर में 56 हजार 278.
सूरजपुर में 55 हजार 309.
सरगुजा में 47 हजार 271.
रायगढ़ में 46 हजार 722.
कोरिया में 41 हजार 518.
बलरामपुर-रामानुजगंज में 37 हजार 801.
कोरबा में 30 हजार 824.
कोण्डागाँव में 23 हजार 999.
सुकमा में 20 हजार 547.
बस्तर में 18 हजार 800.
दंतेवाड़ा में 12 हजार 911. नारायणपुर में 9 हजार 925
बीजापुर जिले में 9 हजार 257 श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है.

कार्य स्थल पर सुरक्षा के सभी उपाय

मनरेगा के कार्यों के दौरान सरकार की ओर से कोरोना से बचने के लिए सुरक्षा को लेकर भी विशेष दिशा-निर्देश दिए गए हैं. कार्य स्थल पर शारीरिक दूरी बनाकर, मुंह ढंककर और स्वच्छता मानकों के साथ ही श्रमिकों से काम लिया जा रहा है. साबून से लेकर सेनेटाईजर तक की व्यवस्था सरकार की ओर से की गई है. वहीं गाँव वालों को सरकार के सभी संदेशों की जानकारियाँ भी दी जा रही है.

मनरेगा से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पटरी पर- भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मनरेगा के बेहतरीन क्रियान्वनय को लेकर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के चलते विपरीत परिस्थितियों में श्रमिकों के हाथों में राशि पहुंचने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर पड़ा है. हमने रोजगार की चिंता से मुक्त करने के साथ ही ग्रामीणों की क्रय-क्षमता भी बढ़ाने की एक कोशिश की है. वर्तमान कठिन परिस्थितियों में गांवों को राहत पहुंचाने व्यापक संख्या में मनरेगा कार्य शुरू करने के निर्देश दिए गए थे. निर्देश पर राज्य की मनरेगा इकाई और ग्राम पंचायतों ने मिशन मोड पर काम करते हुए अप्रैल माह में ही एक करोड़ 23 लाख मानव दिवस से अधिक का रोजगार सृजन किया है. लॉकडाउन में यह राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि है.

मनरेगा से ग्रामीणों की क्रय-शक्ति बढ़ी- टी. एस. सिंहदेव

वहीं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि पंचायतों में इस कठिन दौर में भी मनरेगा के बेहतरीन क्रियान्वयन के लिए मैं सरपंचों की सक्रियता एवं तत्परता की सराहना करता हूँ. उन्होंने इस उत्कृष्ट कार्य के लिए सरपंचों के साथ ही मनरेगा की राज्य इकाई तथा जिला एवं जनपद पंचायतों की टीम को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच यह बड़ी उपलब्धि है. लॉक-डाउन के बाद अकेले अप्रैल महीने में ही नए और पुराने कार्यों को मिलाकर कुल 548 करोड़ 41 लाख रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया है. राज्य शासन द्वारा सामग्री मद में भुगतान के लिए भी 210 करोड़ रूपए जारी किए गए हैं. 50 दिनों के अतिरिक्त रोजगार के लिए 76 करोड़ 94 लाख रूपए भी शीघ्र जारी किए जाएंगे.