फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना ने किसानों की जिंदगी बदल दी यह कहना अब गलत नहीं होगा. क्योंकि जैसे ही आप गाँवों में जाकर किसानों से मिलेंगे तो वे इस योजना की तारीफ करते हुए जरूर मिल जाएंगे. वास्तव में यह योजना किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने वाली और किसानों को वापस खेती की ओर लाने वाली योजना साबित हुई है. 25 सौ रुपये समर्थन मूल्य में धान की खरीदी का फायदा किस तरह से किसानों को हुआ है, हो रहा है यह आप इस रिपोर्ट में पढ़िए. पढ़िए  किस तरह से एक किसान न्याय योजना के बलबुते आज कर रहा है आधुनिक और उन्नत खेती….


राजधानी रायपुर से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर यह है पाटन ब्लॉक का जमराव गाँव. यह इलाका मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विधानसभा क्षेत्र भी है. इस क्षेत्र का यह जमराव गाँव खेती-किसानी के लिहाज से एक संपन्न गाँव है. यहाँ की कुल आबादी तकरीबन 5 हजार के आस-पास है. गाँव नदी किनारे है इसलिए पानी की उपलब्धता है. गाँव के अधिकतर किसानों के खेत में सिंचाई पंप है. यह दो फसली वाला गाँव है. मतलब यहाँ के किसान साल में दो फसल लेते हैं. इन दो फसलों में मुख्य रूप से धान का ही फसल होता है. गाँव के अधिकतर लोग किसानी ही करते हैं. एक तरह से कहा जा सकता है कि जमराव की आर्थिक शक्ति खेती ही है. खेती में भी धान की खेती है. वह धान जिसकी कीमत छत्तीसगढ़ में 25 सौ रुपये क्विंटल है. बीते दो वर्षों से याने जब से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सत्ता आई तब से ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसानों से किए वादे को पूरा करते हुए किसानों से 25 सौ रुपये में धान खरीद रहे हैं. केंद्र सरकार की ओर तय समर्थन मूल्य के बाद का अतिरिक्त मूल्य भूपेश सरकार राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत चार किश्तों में दे रही है. इस योजना के तहत दो किश्त सरकार अब तक किसानों को दे चुकी है.

प्रगतिशील किसान बी.आर. साहू

योजना का फायदा किसानों को किस तरह से हो रहा यह जानने के लिए आइये आपको जमराव के संपन्न किसान बी.आर. साहू से मिलवाते हैं. 50 वर्ष की आयु को पार कर चुके बी. आर. साहू बचपन के दिनों से ही खेती में जुटे हैं. जिस दौर में इन्होंने अपने पिता के साथ खेती की शुरुआत की थी तब इनके पास पाँच एकड़ की खेती थी. लेकिन आज ये 50 एकड़ में खेती करते हैं. इस 50 एकड़ खेती में इनके पास खुद की जमीन 30 एकड़ की, जबकि शेष ये रेगहा पर लेते हैं. बी. आर. साहू कहते हैं कि आज से दो साल पूर्व की स्थिति ये थी कि लोग खेती करने से कतराते थे. लोगों को लगता था की खेती करना घाटे का सौदा है. लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है. आज धान में प्रति क्विंटल 25 सौ रुपये मिल रहा है. नतीजा ये है कि किसान भूपेश सरकार से बेहद खुश हैं.


न्याय योजना से मिली बड़ी ताकत

बी. आर. साहू की पहचान इलाके में एक प्रगतिशील संपन्न किसान के तौर पर है. उन्होंने समय के साथ खेती के तौर-तरीके में परिवर्तन किया. उन्होंने खेती के लिए नई तकनीकों को अपनाया और उसके जरिए खुद को आर्थिक रूप से मजबूत किसान के तौर पर उभारा. लेकिन बी.आर. की आर्थिक मजबूती का एक बड़ा आधार बना भूपेश सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना. बी. आर. साहू बताते हैं कि जब भूपेश सरकार की ओर से 21 मई 2020 में इस योजना की शुरुआत की गई तो योजना के तहत उन्हें तकरीबन 75 हजार रुपये पहली किश्त के रूप में प्राप्त हुई. उन्हें लगा कि अगर इसी तरह से धान की खेती में लाभ मिलेगा तो फिर खेती को और उन्नत बनाने के लिए नवीन तकनीकों का प्रयोग किया जाए. लिहाजा उन्होंने बैंक से लोन लेकर एक हार्वेस्टर खरीद ली. क्योंकि अब लोन के पैसे चुकाने के लिए उनके पास धान से होने वाला अतिरिक्त लाभ जो है. बी. आर. साहू का कहना है कि इसके साथ-साथ उन्होंने एक बाइक भी खरीदी. वहीं उन्होंने दूसरी किश्त की राशि दवा और खाद में खर्च की. उन्हें अब तक करीब डेढ़ लाख रुपये किसान न्याय योजना के तहत प्राप्त हो चुका है.


अब रेगहा में जमीन मिलना आसा नहीं

राजीव गांधी किसान न्याय योजना का असर आज गाँव में ये है कि अब वे किसान भी स्वयं ही खेती करने लगे हैं, जो अपनी जमीन दूसरे किसानों को रेगहा में दे देते थे. बी. आर. साहू बताते हैं कि पहले उन्हें रेगहा के लिए आसानी से जमीन मिल जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं. जिन किसानों से रेगहा लेते थे वे खुद ही खेती करने लगे हैं. मुझे तो ये लगता है कि आने वाले 5 वर्षों में रेगहा में खेती करने वाले किसानों के पास अपनी खुद की जमीनें भी होंगी.


यह एक क्रांतिकारी योजना है

गाँव के जनप्रतिनिधि भी राजीव गांधी किसान न्याय योजना को किसानों के लिए एक क्रांतिकारी योजना मानते हैं. उनका मानना है कि इस योजना ने किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने का काम किया है.  सरपंच शकुंतला गायकवाड़ कहती हैं कि उनके गाँव के सभी किसानों को योजना के तहत दोनों किश्त की राशि मिल गई है. योजना से लोग बेहद खुश हैं. वहीं उपसरपंच दामोदार दास का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसानों के सच्चे हितैषी हैं. पूर्व सरकार में सिर्फ 18 सौ रुपये तक मिलता था. आज हमें 25 सौ रुपये मिल रहा है. किसानों के जीवन में संपन्नता लाने का काम भूपेश सरकार ने किया है.


हर गाँव की अब यही कहानी

वैसे यह एक जमराव गाँव की कहानी नहीं है, बल्कि आज छत्तीसगढ़ में गाँव-गाँव की कहानी भी यही है. राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत होने वाले लाभ से किसान इसी तरह से अब पहले से कहीं और मजबूत, आर्थिक रूप से सशक्त और खुशहाल हुए हैं, हो रहा है. किसान और ग्रामवासी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार जताते हुए यही कहते हैं कि सरकार इसी तरह से किसानों अगर मजबूत करती जाएगी तो वास्तव में किसान कर्ज से मुक्त हो जाएंगे, आत्महत्या के मामले नहीं आएंगे. खेती से किसान मुँह नहीं मोड़ेंगे. किसान मजदूरी करने के लिए गाँव नहीं छोड़ेंगे.