फीचर स्टोरी। कोरोना संकट के बीच हर राज्य आर्थिक कठिनाइयों के दौर से गुजर रहा है. छत्तीसगढ़ भी इस संकट से अछूता नहीं है. बावजूद इसके साथ भूपेश सरकार की मंशा यही रही है कि इस कठिन समय में किसान, आदिवासियों को कोई तकलीफ न हो, लिहाजा उन्हें संकट से उबारने सरकार उनके साथ हर मोर्चे पर खड़ी हुई है.

आदिवासी हितों का ध्यान रखते हुए सरकार ने तेंदूपत्ता की खरीदी को जहाँ जारी रखा, वहीं संग्राहकों को भुगतान देने के साथ-साथ प्रोत्साहन राशि देने का वादा भी पूरा किया. सरकार ने वर्ष 2018 की प्रोत्साहन राशि 20 अगस्त 2020 को राजीव गांधी की जयंती के मौके पर जारी की.

दरअसल सरकार ने वन संपदा के संग्रहण, खरीदी-बिक्री को तमाम सुरक्षा मानकों के बीच जारी रखने का फैसला किया. आदिवासियों की जीविका सबसे बड़ा आधार लघु वनोपज के मद्देनज़र सरकार ने इस मामले में अपनी नीति-नीयत को बेहद साफ रखा है. लॉकडाउन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुए तय किया कि आदिवासियों की पूँजी को बेकार जाने नहीं दिया जाएगा. लघु वनोपज से आदिवासियों को सालाना होने वाली आय पर किसी तरह के संकट का प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाएगा. नतीजा ये कि छत्तीसगढ़ ने लघु वनोपज की 90 प्रतिशत से अधिक की खरीदी कर पूरे देश में नंबर वन होने का गौरव हासिल कर एक रिकॉर्ड बना लिया.


20 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय राजीव गांधी की जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में राज्य के तेंदूपत्ता संग्राहकों के खाते में 232.81 करोड़ रूपए की प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदान की. यह राशि राज्य के 728 समितियों से जुड़े 11 लाख 46 हजार 626 तेंदूपत्ता संग्राहकों को संग्रहण वर्ष 2018 के प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में दी जा रही है.

इस मौके पर तेंदूपत्ता संग्राहकों को प्रोत्साहन पारिश्रमिक वितरित करने के लिए संबंधित जिलों में जिला स्तर पर और 114 विकासखण्डों में भी कार्यक्रम आयोजित किए गए.  विकाखण्ड स्तर पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों में अधिकतम प्रोत्साहन पारिश्रमिक की राशि प्राप्त करने वाले 10 संग्राहक को सम्मानित भी किया गया.


संग्राहकों की आय में 60 प्रतिशत तक वृद्धि

इस मौके पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राज्य के तेंदूपत्ता संग्राहकों को 233 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई है, इससे पूर्व वर्ष 2018 संग्रहण वर्ष में 371 करोड़ रुपए का पारिश्रमिक वितरित किया गया था. इससे राज्य के 12 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों की आय में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि 4000 रुपए प्रति मानक बोरा की दर से तेंदूपत्ता की खरीदी का वादा हमने निभाया है. तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए राज्य सरकार द्वारा शुरु की गई शहीद महेंद्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके जरिये संग्राहकों को बीमा योजना जैसा लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि दुर्घटना एवं मृत्यु होने की स्थिति में इसके जरिये पीड़ित संग्राहक परिवारों को राशि का भुगतान एक माह के भीतर किया जाएगा, जबकि पूर्व की बीमा योजना के तहत प्रकरण के निपटारे में सालभर का समय भी लग जाया करता था.


पारिश्रमिक 4 हजार, 7 की जगह 31 वनोपज की खरीदी

गौरतलब है कि तेंदूपत्ता संग्रहण वर्ष 2018 सीजन में प्रदेश की 880 प्राथमिक वन समितियों द्वारा कुल 14.85 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया था. संग्रहण पारिश्रमिक की दर वर्ष 2018 में 2500 रूपए प्रति मानक बोरा थी. वर्ष 2018 में 11 लाख 98 हजार 673 तेंदूपत्ता संग्राहकों को 371.15 करोड़ रूपए की राशि संग्रहण पारिश्रमिक के रूप में वितरित की गई थी. इन 880 समितियों में से 854 समितियों के तेंदूपत्ता का निर्वर्तन निविदा के माध्यम से किया गया है. इनमें से 728 समितियां लाभ की स्थिति में रहीं. तेंदूपत्ता व्यापार से शुद्ध लाभ की 80 प्रतिशत राशि प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में तेंदूपत्ता संग्राहकों को वितरण करने का प्रावधान राज्य शासन की नीति में है.  प्रदेश में तेंदूपत्ता का संग्रहण पारिश्रमिक 2500 रुपए से बढ़ाकर 4000 रुपए प्रति मानक बोरा किया गया है. इसी प्रकार राज्य ने 7 लघु वनोपजों की खरीदी के स्थान पर अब राज्य सरकार द्वारा 31 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की गयी है.


चालू सीजन में 112 करोड़ से अधिक की खरीदी

राज्य में लघु वनोपजों का संग्रहण कार्य सुचारू रूप से जारी है. इसके तहत चालू सीजन के दौरान अब तक 112 करोड़ 21 लाख रूपए की राशि के 4 लाख 74 हजार 667 क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण हो चुका है. वन विभाग के मुताबिक अब तक अपने निर्धारित लक्ष्य के 70 प्रतिशत से अधिक संग्रहण वनमंडल केशकाल, दक्षिण कोण्डागांव और धमतरी द्वारा किया गया है. इनमें वन मंडलवार केशकाल में लक्ष्य का 95 प्रतिशत तक 15 करोड़ रूपए की राशि के 72 हजार 61 क्विंटल, दक्षिण कोण्डागांव में 81 प्रतिशत तक 21 करोड़ रूपए के 1 लाख 1 हजार 317 क्विंटल तथा धमतरी में 72 प्रतिशत तक 4 करोड़ रूपए के 16 हजार 25 क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण हो चुका है.


देश में समर्थन मूल्य पर खरीदी करने वाला पहला राज्य

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल से छत्तीसगढ़ देश में सर्वाधिक मूल्य की लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी करने वाला राज्य बन गया है. लघु वनोपजों की पुनरीक्षित दरें एक मई 2020 से प्रभावशील हो गई है इसके तहत पुनरीक्षित दरें ईमली. बीज सहित 31 रूपए से बढ़ाकर 36 रूपए, महुआ बीज 25 रूपए से बढ़ाकर 29 रूपए, काल मेघ 33 रूपए से बढ़ाकर 35 रूपए, नागरमोथा 27 रूपए से बढ़ाकर 30 रूपए तथा बेल गुदा 27 रूपए से बढ़ाकर 30 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है। इसी तरह शहद 195 रूपए से बढ़ाकर 225 रूपए, फूल झाडू 30 रूपए से बढ़ाकर 50 रूपए, महुआ फूल (सूखा) 17 रूपए से बढ़ाकर 30 रूपए, जामुन बीज (सूखा) 36 रूपए से बढ़ाकर 42 रूपए, कौंच बीज 18 रूपए से 21 रूपए, धवई फूल (सूखा) 32 रूपए से बढ़ाकर 37 रूपए तथा करंज बीज 19 रूपए से बढ़ाकर 22 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है.

इसी तरह से बायबड़िग 81 रूपए से बढ़ाकर 94 रूपए, आंवला (बीज रहित) 45 रूपए से बढ़ाकर 52 रूपए, फूल ईमली (बीज रहित) 54 रूपए से बढ़ाकर 63 रूपए, साल बीज 20 रूपए से 20 रूपए, चिरौंजी गुठली 109 रूपए से बढ़ाकर 126 रूपए, हर्रा 15 रूपए से 15 रूपए, बहेड़ा 17 रूपए से 17 रूपए और पुवाड़ (चरौटा बीज) 14 रूपए से बढ़ाकर 16 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है. इनमें गिलोय 21 रूपए से बढ़ाकर 40 रूपए, भेलवा 8 रूपए से बढ़ाकर 9 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है. इसके अलावा कुसुमी लाख 203 रूपए से बढ़ाकर 275 रूपए प्रति किलोग्राम भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गई है, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 25 रूपए प्रति किलोग्राम की वृद्धि करते हुए 300 रूपए प्रति किलोग्राम की दर निर्धारित है. इसी तरह रंगीनी लाख 130 रूपए से बढ़ाकर 200 रूपए प्रति किलोग्राम भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गई है, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 20 रूपए प्रति किलोग्राम की वृद्धि करते हुए 220 रूपए निर्धारित की गई है. इसके अलावा कुल्लू गोंद 98 रूपए से बढ़ाकर 114 रूपए प्रति किलोग्राम भारत सरकार द्वारा निर्धारित है, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 11 रूपए प्रति किलोग्राम की वृद्धि करते हुए 125 रूपए निर्धारित की गई है.