पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. रक्षाबंधन के पावन अवसर पर शासकीय प्राथमिक शाला राजिम की छात्राओं ने एक अनूठी पहल की है. छात्राओं ने अपने हाथों से रंग-बिरंगी और भावपूर्ण राखियां बनाईं और उन्हें जम्मू-कश्मीर में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों के लिए डाक के माध्यम से भेजा है. इस पहल का उद्देश्य देश की सीमाओं पर तैनात वीर जवानों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करना है, जो सालभर अपनी जान जोखिम में डालकर देशवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं.

छात्राओं के मन में यह विचार तब आया जब उन्होंने महसूस किया कि देश के सैनिक, जो हर पल हमारी रक्षा के लिए सीमाओं पर डटे रहते हैं, त्योहारों के समय भी अपने परिवारों से दूर रहकर कर्तव्य निभाते हैं. रक्षाबंधन जैसे पवित्र पर्व पर उनकी कलाई सूनी न रहे, इस भावना के साथ छात्राओं ने अपने शिक्षकों के सहयोग से राखी बनाने का निर्णय लिया है. इन राखियों को बनाने में छात्राओं ने अपनी रचनात्मकता और भावनाओं को समर्पित किया, ताकि प्रत्येक राखी जवानों के लिए प्रेम और शुभकामनाओं का प्रतीक बन सके.

छात्राओं ने राखी निर्माण के दौरान यह कामना किया है कि देश के ये वीर जवान हमेशा स्वस्थ रहें, दीर्घायु हों और उनकी बहादुरी देश की एकता और अखंडता को और मजबूत करें. स्वनिर्मित रक्षा सूत्रों को सजाने के लिए उन्होंने रंगीन धागों, मोतियों और अन्य सजावटी सामग्रियों का उपयोग किया. प्रत्येक राखी के साथ छात्राओं ने अपने हृदय से निकली शुभकामनाएं और प्रार्थनाएं भी जोड़ीं, जिसमें जवानों के साहस, समर्पण और बलिदान के प्रति उनकी गहरी कृतज्ञता झलकती है.

इस कार्यक्रम में विद्यालय के प्रधान पाठक रेवती देशमुख और सहायक शिक्षक नेमीचंद साहू की महत्वपूर्ण भूमिका रही. उन्होंने न केवल छात्राओं को राखी बनाने की प्रक्रिया में मार्गदर्शन प्रदान किया, बल्कि उन्हें देशभक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी के मूल्यों को समझाने में भी सहायता की. इस पहल के माध्यम से छात्राओं में न केवल देश के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना जागृत हुई, बल्कि उन्हें यह भी समझ में आया कि छोटे-छोटे प्रयासों से भी समाज और देश के लिए बड़ा बदलाव लाया जा सकता है.

राखियों को डाक के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ के जवानों तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है. यह छोटी सी कोशिश उन जवानों के लिए एक बड़ा संदेश है, जो दिन-रात हमारी सुरक्षा के लिए तत्पर रहते हैं. इस पहल ने न केवल छात्राओं को देशभक्ति की भावना से जोड़ा, बल्कि स्कूल और समुदाय के बीच एक सकारात्मक संदेश भी प्रसारित किया. शासकीय प्राथमिक शाला सहीस पारा, राजिम की यह पहल अन्य स्कूलों और समुदायों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है. यह दर्शाता है कि छोटे-छोटे कदमों से भी हम अपने देश के नायकों के प्रति अपनी कृतज्ञता और प्रेम व्यक्त कर सकते हैं.