फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ के गौठान महिलाओं की तकदीर बदल रहे हैं. महिलाएं आत्मनिर्भर हो गई हैं. भूपेश सरकार की योजनाएं धनवर्षा कर रही हैं. यूं कहें कि महिलाओं की झोली अब विकास की बयार से छलक रही हैं. मेहनत के बूते महिलाएं नित नई इबारतें लिख रही हैं. कहानी बलौदाबाजार-भाटापारा की है, जहां पेवर ब्लॉक से बदली महिलाओं की जिंदगानी बदल गई. रूरल इंडस्ट्री पार्क में खुशहाली की निशानी देखने को मिल रही है. नारी शक्ति ने मेहनत तले सफलता की कहानी लिखी है.

रूरल इंडस्ट्री पार्क में नारी शक्ति की कहानी

दरअसल, बलौदाबाजार-भाटापारा के गौठान में रूरल इंडस्ट्री पार्क बना है, जहां से महिलाएं नित नई इबारतें लिख रही हैं. जिलें में पहली बार महिलाएं पेवर ब्लॉक बना रही हैं. मांग इतनी की पूर्ति मुश्किल हो जा रही है. अकेले ग्राम गुडेलिया में नारी शक्ति ग्राम संगठन को 2 लाख वर्गफीट का एडवांस ऑर्डर मिला है.

महिलाएं सफलता की नई इबारतें लिख रहीं

बता दें कि घरेलू कामों में व्यस्त रहने वाली कई महिलाएं सफलता की नई इबारतें लिख रहीं है. इनमें बलौदाबाजार भाटापारा जिले के विकासखण्ड भाटापारा के ग्राम गुडेलिया एवं विकासखंड पलारी के ग्राम गिर्रा की महिलाएं भी शामिल हैं, जो पेवर ब्लॉक बनाकर अपनी राह मजबूत बना रही हैं. जिलें में इस तरह पहली बार महिलाएं पेवर ब्लॉक बनाने का काम रही हैं.

कुल 22 ट्रॉली 16500 वर्ग फीट पेवर ब्लॉक का निर्माण

ग्राम संगठन समूह की सदस्य संतोषी ध्रुव ने बताया कि लगभग 1 माह पूर्व प्रारंभ हुआ उक्त यूनिट से अभी तक कुल 22 ट्रॉली 16500 वर्ग फीट पेवर ब्लॉक का निर्माण एवं सप्लाई हो चुका है. पेवर ब्लॉक की मांग अधिकतर आसपास के ग्राम पंचायतों द्वारा की जा रही है, जिसमें ग्राम धनेली, खपराडीह,लेवई,कडार एवं भरतपुर शामिल है. इसके साथ ही निजी व्यक्तियों द्वारा भी पेवर ब्लॉक की मांग की जा रही है. अभी तक हमारे संगठन को 2 लाख वर्ग फिट का एडवांस ऑर्डर मिल चुका है, जिसकी विक्रय दर 52 लाख रुपये है.

एक वर्गफीट का 26 रुपये दर निर्धारित

लगभग 12 लाख रुपये का शुद्ध लाभांश नारी शक्ति ग्राम संगठन के सदस्यों को प्राप्त होगा. उन्होंने आगें बताया कि एक वर्गफीट का 26 रुपये दर निर्धारित की गई है, जिसमें लगभग 20 रुपये खर्च होता है और 6 रुपये की बचत होती है. हमारे यहां 2 प्रकार के पेवर ब्लॉक बनाएं जा रहे हैं, जिसमें कॉस्मिक एवं जिगजैग प्रकार का शामिल है.

पर्याप्त मजदूरी साथ ही लाभांश राशि

कॉस्मिक में 1000 नग में 555 फिट एवं जिगजैग 1000 नग में 357 फिट का पेवर ब्लॉक बन जाता है. सीमा ध्रुव कहती है की यूनिट के प्रारंभ होने से स्थानीय स्तर में ही हम को रोजगार एवं पर्याप्त मजदूरी साथ ही लाभांश राशि पर्याप्त मिल जा रही है.

पेवर ब्लॉक बनाने की प्रेरणा

हमारे समूह को पंचायत विभाग के बिहान योजना के माध्यम से पेवर ब्लॉक बनाने की प्रेरणा मिली. उन्हें इसके लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत प्रशिक्षण भी दिया गया. इसके बाद पेवर ब्लॉक निर्माण करना हम लोगो ने प्रारंभ किया.

आर्थिक गतिविधियों में बंटा रहीं अपना हाथ

इसी तरह समूह की अन्य सदस्य मंजू ध्रुव कहती है की रिपा के संचालन से महिला समूह की सभी सदस्य बेहद ही खुश है. अतिरिक्त आय प्राप्त कर अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ परिवार के आर्थिक गतिविधियों में भी अपना हाथ बंटा रही हैं. उन्हें काम की तलाश में अब बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती. इसी तरह ग्राम गिर्रा की जय चंडी मां महिला स्व सहायता समूह के द्वारा पेवर ब्लॉक बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया है. उक्त यूनिट में 25 हजार नग पेवर ब्लॉक तैयार कर ली गई है.

नरवा, गरूवा, घुरूवा और बारी योजना का कमाल

गौरतलब है कि राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरवा, गरूवा, घुरूवा और बारी योजना के अंतर्गत गांव में निर्मित की गई गौठान के माध्यम से अब गांव एवं महिलाओं को एक नयी पहचान मिल रही है. गौठान में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) बनाने की परिकल्पना अब न केवल साकार हो रही है, बल्कि इसके सकारात्मक परिणाम भी मिलने लगें है. रीपा अंतर्गत विभिन्न निर्माण इकाइयों की स्थापना जिला खनिज न्यास की मदद से की गई है.

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