अपने प्राकृतिक संसाधन,समृद्ध जनजातीय संस्कृति और हस्तशिल्प के लिये देश के मानचित्र में खास स्थान रखने वाला कोंडागांव जिला अब विकास के नये आयाम गढ़ रहा है. सीएम भूपेश बघेल की परिकल्पना के अनुरूप कोंडागांव जिले के चहुंमुखी विकास के लिए जिला प्रशासन लगातार काम कर रहा है. लॉकडाउन जैसी विपरीत परिस्थितियों में भी जिले के निवासियों को किसी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा. सीएम के निर्देश पर इन इलाकों में मनरेगा के माध्यम से लगातार रोजगार प्रदान किया गया है.

मनरेगा में रोजगार

मनरेगा के तहत जिले के इतिहास में सर्वाधिक 40 हजार श्रमिकों का एक ही दिन में रोजगार दिया गया. विगत 02 वर्षों में जिले को प्राप्त लक्ष्य के विरूद्ध शत्-प्रतिशत मानव दिवस सृजित किया गया है. मनरेगा के तहत औषधीय पौधों का क्लस्टर तैयार किया गया है, जिसमें गिलोय के 1 लाख और तीखुर के 3.70 लाख पौधे लगाये गये हैं.

किसानों की आर्थिक उन्नति

भूपेश सरकार के कर्ज माफी योजना से कोंडागांव जिले के 29927 किसानों को लाभ मिला है,इन किसानों के 116 करोड़ के ऋण माफ होने से इनके परिवार में खुशी का माहौल है.

कोंडागांव के किसानों की आर्थिक उन्नति के लिये भी राज्य शासन के निर्देश पर नवाचार किये जा रहें हैं. जिले में 285 एकड़ जमीन में 65 हजार ग्राफ्टेड काजू का रोपण किया गया है. अनुमान लगाया जा रहा है कि 3 साल बाद हर साल 6.5 करोड रुपये की आय काजू की खेती से होगी. एरोमेटिक कोण्डानार परियोजना के तहत् 2000 एकड़ में सुगंधित फसलों का उत्पादन किया जा रहा है.
कोण्डागांव को ऐरोमा हब के रूप में विकसित करने के लिये फलदार रोपण के साथ इंटर कापिंग में सात प्रकार के सुगंधित फसलों का रोपण किया जा रहा है. इन सुगंधित फसलों की प्रोसेसिंग के लिये 20 करोड़ की लागत से प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जायेगी. इस नये अभियान से किसानों को प्रति एकड़ एक लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी होगी.

सुराजी और गोधन योजना का कमाल

राज्य सरकार के नरवा-गरवा, घुरवा-बारी योजना ने भी कोंडागांव जिले के विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है. जिले में कुल 248 गौठान स्वीकृत किये गये हैं. इन गौठानों में कुल 142 तालाब मत्स्यपालन हेतु स्वीकृत किये गये हैं. इन सभी गौठानों को ग्रामीण आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसमें गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, मुर्गी पालन, बकरी पालन, डेयरी विकास, बाड़ी विकास, मशरूम उत्पादन कार्य प्रमुख है. गोधन न्याय योजना के तहत करीब 64 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है, जिसके फलस्वरूप किसानों के खाते में अब तक कुल 1 करोड़ 11 लाख से अधिक की राशि जमा करा दी गई है. खरीदे गये गोबर से अब तक कुल 19000 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट एवं 1826 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट तैयार कर लिया गया है. जिले में तैयार वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री 141 लाख रू. की हुई है, जिसमें 27.44 लाख रू. का लाभ महिला स्व-सहायता समूहों एवं गौठान समिति को हुआ है.

बिहान से नवा बिहान

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के तहत् जिले में अधिकाधिक महिलाओं को रोजगार देने के लिये जिला प्रशासन ने व्यापक योजना बनाई है. गोठानों में संचालित आजीविका गतिविधि से तैयार उत्पाद को बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कोण्डागांव में उड़ान आजीविका केन्द्र संचालित किया जा रहा है. उड़ान आजीविका केन्द्र के तहत कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियां संचालित हो रही है, जिसमें मुख्यतः कोल्ड प्रेस्ड कोकोनट ऑयल, तिखूर पाउडर, कुकीज, नॉन ऊलन बैग,तिखूर शेक, 07 प्रकार के आचार, मुर्गी दाना बनाने का कार्य चल रहा है. 100 महिलाओं को प्रत्यक्ष रूप से मासिक आमदनी 5000-6000 हजार रूपये हो रही है साथ ही उड़ान कम्पनी को विगत 06 माह में 25 लाख से अधिक शुद्ध आय प्राप्त हुआ है.

स्वास्थ्य पर विशेष जोर

जिले के दूरदराज के इलाकों में मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना वरदान साबित हो रही है. योजना के तहत धूर नक्सल प्रभावित ग्रामों के 10 हाट बाजारों में हर सप्ताह स्वास्थ्य शिविर लगाकर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जा रही है. कुपोषित बच्चों, मानसिक रोगियों और दूसरे मरीजों के लिये हाट बाजारों को फॉलो अप के लिए उपयोग किया जा रहा है. हाट बाजार क्लिनिक के तहत कुल 1010 हाट बाजारों शिविर में 35285 मरीजो का स्वास्थ्य सुविधा प्रदाय कर लाभाविन्त किया गया है. मानसिक रोगियों के बेहतर इलाज के लिये संवेदना कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है.

मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान से मलेरिया के पॉजीटिव प्रकरणों में करीब 58 फीसदी की गिरावट आई है. कोंडागांव जिले में मलेरिया मुक्त बस्तर कार्यक्रम 04 चरणों में संचालित किया जा रहा है.

संवेदना कार्यक्रम से बनी बात

संवेदना कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी और मितानिन कार्यकर्ताओं द्वारा मानसिक रोगियों का सर्वेक्षण किया जा रहा है और ऐसे रोगियों को बेहतर इलाज मुहैया कराया जा रहा है,जिसके अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं. माइक्रोस्कोप, डायलिसिस मशीन, सिटी स्कैन, सोनोग्राफी मशीन, सीएआरएम मशीन, एक्सरे मशीन, ईसीजी मशीन, वेंटिलेटर जैसी अत्याधुनिक मशीनों का संचालन कर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान किया जा रहा है. संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये मोचो जचकी- मोचो अस्पताल कार्यक्रम का संचालन जिले में किया जा रहा है. जिसके बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आ रहें हैं.

लघु वनोपज में नंबर वन

लघु वनोपज खरीदी में कोण्डागांव पूरे देश में अव्वल जिला बन गया है. जिले में दिसम्बर 2018 से मई 2021 के बीच कुल 2,70000 क्विंटल लघु वनोपजों की खरीदी की गई है,जिससे वनोपज संग्राहकों को कुल 64.19 करोड रूपये की राशि का भुगतान किया गया है.देश में सर्वाधिक 3409 सामुदायिक वन अधिकार एवं 52783 व्यक्तिगत वनाधिकार पत्रों का वितरण किया गया है.

शिक्षा गुणवत्ता पर ध्यान

आदिवासी बहुल इस इलाके में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिये भी कई स्तर पर प्रयास किये जा रहें हैं. राष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं के साथ जिले में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल की स्थापना की गई है, जिसमें सर्व सुविधा युक्त क्लासरूम, कंप्यूटर कक्ष, पुस्तकालय, खेल मैदान, बिजली एवं पेयजल की सुविधा उपलब्ध है. पब्लिक स्कूल की तर्ज पर स्थापित स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल में गरीब एवं वंचित वर्ग के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है.

कौशल विकास से स्व-रोजगार

कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित युवाओं को स्वरोजगार स्थापना हेतु ऋण प्रदान किया गया है. जिले में 10 प्रकार के खेल को प्रोत्साहित करने के लिये खेल अकादमी की स्थापना की जा रही है. दुर्गम ग्रामों की 300 बसाहटों में जल जीवन मिशन के तहत सौर ऊर्जा से पेयजल की व्यवस्था की गई है.

कुपोषण से मुक्ति

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से 2 वर्षों में जिले के कुपोषित बच्चों में देश में सर्वाधिक 41.54 प्रतिशत कुपोषण में कमी आई है. कोण्डागांव जिले में वजन त्यौहर 2019 अन्तर्गत 19572 बच्चे कुपोषित थे. 02 अक्टूबर 2019 से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का संचालन किया जा रहा है, जिसके माध्यम से 8132 बच्चें सामान्य स्तर में आये हैं. माह जुलाई तक कुपोषित बच्चों की संख्या में 41.54 प्रतिशत की कमी आई है. नक्सल प्रभावित 80 गांव के लोगों ने जीवन में पहली बार बिजली देखी है. जिले में विगत ढाई वर्षों में 80 ग्रामों के विद्युतविहीन मजरा-टोला का विद्युतीकरण किया गया एवं वहाँ के 8509 निवासियों एवं बी0पी0एल0 हितग्राहीयों को विद्युत प्रदान की गई.

अधोसरंचना पर फोकस

जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में 138 किलोमीटर लंबी लिंगोदेव पथ का निर्माण किया गया है. यह सड़क उत्तर बस्तर, मध्य बस्तर एवं दक्षिण बस्तर को जोड़ती है, जिसके द्वारा जिला कांकेर से चित्रकोट होते हुए दंतेवाड़ा जा सकते हैं. जिले में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर भी महत्वपूर्ण कार्य किया गया है. यहां पिछले दो सालों में 3 पुल, 350 पुलियों,67 भवन और 293 किमी सड़कों का निर्माण कराया गया है, जिससे जिले के अंदरूनी इलाकों में बेहतर कनेक्टिविटी स्थापित हुई है.

पर्यटन को बढ़ावा

कोंडागांव जिले में 34 पर्यटन स्थलों का चिन्हांकन कर 21 नये जल प्रपातों की खोज की गई है,जिससे पर्यटन के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति दिखाई देती है.बस्तर प्रवेश करते ही पर्यटकों के विश्राम, शौचालय, खान-पान, पेयजल की सुविधा प्रदान करने रायपुर से जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में लीमदरहा मिडवे रिसार्ट का निर्माण किया जा रहा है. टाटामारी एवं अतिसंवेदनशील क्षेत्र में स्थित 18 जलप्रपातों एवं कोण्डागांव के विश्व प्रसिद्ध शिल्प ढोकरा कला, रॉट आयरन कला, टेराकोटा कला का समन्वय कर टूरिज्म सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है. प्रत्येक पर्यटन स्थलों में कम से कम 10 स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है. पर्यटन स्थल पर बाहर के पर्यटकों के आवागमन से स्थानीय लोग के नजरियें में बदलाव हो रहा है.

छत्तीसगढ़ में जिला कोण्डागांव सभी आकांक्षी जिलों में सर्वाधिक बार पुरस्कार प्राप्त करने वाला जिला बन गया है.सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व में कोंडागांव जिले ने निरंतर प्रगति की है और आने वाले दिनों में सर्वांगीण विकास का ये सिलसिला अनवरत चलता रहेगा.