
फीचर स्टोरी। कहते हैं शिक्षा अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाती है, शिक्षा जीवन में नई ज्योति जलाती है. शिक्षा एक ऐसा ब्रमास्त्र है, ऐसा हथियार है, जिसकी ताकत से आप दुनिया को बदल सकते हैं. इन्हीं मजबूत इरादे और बस्तर की आबादी को नई उड़ान देने की भूपेश सरकार ने वीणा उठा ली है. जहां कभी नक्सलियों की धमक होती थी, जहां कभी लाल आतंक का खौफ मंडराता था. वहां आज लाल आतंक की काली परछाईं को चीर कर शिक्षा की अलख जग रही है. भूपेश सरकार की योजनाएं नौनिहालों के भविष्य को उज्जवल कर रही हैं. छात्रों को असली उड़ान दे रही हैं, जिन स्कूलों को नक्सलियों ने ध्वस्त किया था, वहां अब क…ख…ग…से लेकर A..B..C..D.. और Z की गूंज है. छात्रों के हाथों में कागज, कलम और किताब है. नौनिहाल शिक्षा की ज्योत से आसमान नापने को तैयार हैं.
कैसे बदल रही बस्तर की तस्वीर
बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में ध्वस्त किए गए स्कूल भवनों के मलबे को देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता था कि यहां की तस्वीर यूं बदल जाएगी पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर साल 2018-19 में बस्तर के संवेदनशील इलाकों में पूर्व में जमींदोज स्कूलों को दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया गया. कई जगहों पर भवन बनने के बाद स्कूल भी शुरू हो गए हैं. जगदलपुर में आयोजित ‘भरोसे का सम्मेलन’ में संवरता सुकमा स्टॉल पर मॉडल बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शिक्षा के कायाकल्प की तस्वीर सब कुछ बयां कर रही थी.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर साल 2018-19 में बस्तर के संवेदनशील इलाकों में पूर्व में जमींदोज हुए शालाओं को दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया गया. नक्सलियों द्वारा अधिकांश स्कूल भवनों को ध्वस्त करने के कारण सुकमा जिला अंतर्गत विकासखंड कोंटा के संचालित शालाएं कुल 123 शालाएं वर्ष 2006 से 2010 तक बंद हो गई थी.
नक्सलियों द्वारा अधिकांश शाला भवनों को ध्वस्त कर दिया गया था. लगभग 12 से 13 वर्ष तक शालाएं संचालित नहीं हुई. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप 2018-19 से 2022-23 तक सुकमा जिले में बंद 123 शालाओं को पुनः प्रारंभ कर दिया गया.

शुरूआत में ग्रामीणों द्वारा निर्मित झोपड़ी में शालाओं का संचालन किया गया. वर्तमान में शासन ने 30 स्थानों में भवन की स्वीकृति प्रदान की है, जिसमें से 54 स्थानों पर भवन बनकर तैयार हो गया है. शेष जगहों पर निर्माण कार्य प्रगतिरत है. वर्तमान में 4382 बच्चे उक्त शालाओं में अध्ययनरत है एवं 45 स्थानों पर नियमित शिक्षकों की पदस्थापना कर दी गई है.

शिक्षादूतों ने बदली तस्वीर
प्रशासन की पहल पर उसी ग्राम पंचायत के शिक्षित युवकों को शिक्षादूत बनाने का निर्णय गया, जिन्होंने अपने गांव में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखा. इनके प्रयासों से विगत चार सालों से जिले में बंद पड़े सभी स्कूल शिक्षादूतों के माध्यम से दोबारा संचालित हो रहे हैं.

जगरगुंडा को 14 साल बाद परीक्षा केंद्र की मिली स्वीकृति
सलवा जुडूम अभियान के बाद से जगरगुंडा की शैक्षणिक संस्थाओं को दोरनापाल में संचालित की जाती थी, जिससे परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल होने के लिए 56 किमी की दूरी तय करके एक माह पूर्व दोरनापाल पहुंचते थे. वहीं विभाग द्वारा परीक्षा सम्पन्न होने तक परीक्षार्थियों के ठहरने के लिए आश्रम-छात्रावास में वैकल्पिक व्यवस्था कराई जाती थी.
कुछ बच्चे किराए के मकान में रहकर परीक्षा में शामिल होते थे. 2019 में आश्रम-शालाओं को दोरनापाल से पुनः जगरगुंडा में संचालित की गई. 10वीं, 12वीं के परीक्षार्थियों को 2 साल तक बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए दोरनापाल आना पड़ता था. अब नवीन केंद्र बनाये जाने से विद्यार्थियों को ज्यादा दूर सफर नहीं करना पड़ा.

नए परीक्षा केंद्र बनने से परीक्षार्थियों को मिली राहत
धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र जगरगुंडा में हालात सामान्य होते ही जिला प्रशासन ने परीक्षार्थियों को राहत दिलाने के लिए परीक्षा केंद्र बनाया. केंद्र बनने से परीक्षार्थियों को अतिरिक्त परेशानियां भी कम हुई, जिससे परीक्षा की तैयारी के लिए परीक्षार्थियों को भरपूर समय मिला.
जिले में माशिमं की परीक्षा के सफल आयोजन के लिए 16 परीक्षा केंद्र बनाये गए थे. विगत वर्षों में 14 केंद्रों में बोर्ड परीक्षा सम्पन्न कराई जाती थी. इस वर्ष 3 नए परीक्षा केंद्र बनाए गए. परीक्षा केंद्र खुलने से आसपास के विद्यार्थी और उनके पालक खुशी जाहिर करते हुए परीक्षा केंद्र बनाने पर शासन-प्रशासन का आभार व्यक्त किया.

जगरगुंडा परीक्षा केंद्र में हेलीकॉप्टर से भेजे गए प्रश्नपत्र
इस वर्ष दूरस्थ इलाकों में हालात सामान्य होता देख शासन से 3 नए परीक्षा केंद्र की स्वीकृति मिली, जिनमें सुकमा विकासखंड के मुरतोंडा, कोंटा विकासखंड के जगरगुंडा और मराईगुड़ा (वन)शामिल है. विगत वर्षों में 14 परीक्षा केंद्रों से बोर्ड परीक्षा संपन्न कराई जाती थी.
जगरगुंडा के परीक्षा केंद्र में 16 बच्चे 10वीं के और 26 बच्चे 12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए. इसी तरह मरईगुड़ा (वन) में और मुरतोंडा में 10वीं के तथा 12वीं के बच्चों ने बोर्ड परीक्षा दी. जगरगुंडा के विद्यार्थियों को परीक्षा में किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो इसके लिए शासन-प्रशासन ने पर्याप्त व्यवस्था करते हुए हेलीकॉप्टर से 4 दिन पहले ही प्रश्नपत्र पहुंचाए.
- छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- दिल्ली की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक