हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर नगर निगम में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले में लगातार lalluram.com आपके सामने पुख्ता सबूत के साथ खुलासे कर रहा है। ऐसा ही एक और खुलासा lalluram.com करने जा रहा है जिसमें इंदौर नगर निगम ने वर्क आर्डर जारी करने से 5 दिन पहले ही भुगतान भी स्वीकृत कर दिया। कैसे एस्टीमेट में 1875 किलो लोहा जिसका मूल्य 103125 है उसका एस्टीमेट बदलकर 100 गुना अधिक लोहा 188626 किलो जिसकी कीमत 1 करोड़ 374435 रुपए किया। देखिए दस्तावेजों के आधार पर हमारी है पूरी खास रिपोर्ट जिसकी जांच पुलिस अब तक नहीं कर सकी।
इस 16 करोड़ के घोटाले में कोर्ट के समक्ष परिवाद दायर किया था। जिसमें तत्कालीन अधिकारी संदीप सोनी अपर आयुक्त इंदौर नगर निगम, सुनील गुप्ता कार्यपालन यंत्री नगर निगम इंदौर सेवक राम पाटीदार सहायक यंत्री नगर निगम इंदौर, धर्मचंद्र पालीवाल कार्यालय अधीक्षक, धीरेंद्र बायस जोनल अधिकारी, चेतन सिंह चंदेल उप यंत्री जोन क्रमांक 9, अभिषेक शर्मा डी आर ए कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड, मेजर्स जम रमन एंड कंपनी सूरत गुजरात डॉ पवन शर्मा प्रशासक अधिकारी इंदौर नगर निगम, परिवाद में दोषी बताकर 406 420 467 468 471 120 भी की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने की परिवारी द्वारा मांग की गई है।
इसके साथ ही इस पूरे प्रकरण में दस्तावेज भी 31 मई 2022 को कोर्ट के समक्ष पेश भी किया गया। इस पूरे प्रकरण में कोर्ट ने 10 जून 2022 को एमआईजी पुलिस से जांच प्रतिवेदन आहूत किया जाना था। आरक्षित केंद्र एमआईजी को उक्त प्रतिवेदन प्रेषित कर प्रतिवेदन आहुत किया जाए का आदेश जारी किया था। जिसके बाद 18, 2022 को भी प्रतिवेदन कोर्ट के समक्ष पेश नहीं किया गया। इसके बाद 18 अक्टूबर 2022 को भी कोर्ट के समक्ष प्रतिवेदन पुलिस ने पेश नहीं किया।
किन क्षेत्र में होना था यह 16 करोड रुपए के काम
इन्दौर नगर निगम के द्वारा शास्त्री बिज से राजकुमार बिज तक तथा माणिकबाग रोड से चोइथराम हास्पिटल तक सीवरेज लाइन रिक्टीफिकेशन के कार्य मेसर्स जे एम रमानी एण्ड कम्पनी सुरत (गुजरात) किया जाना था। जिसकी कुल राशि 16,07,05,917/- (सोलह करोड सात लाख पांच हजार नो सौ सत्रह)। इन्दौर नगर के मध्य क्षेत्र में इन्दौर रियासत के समय सीवरेज लाइनों का नेटवर्क बिछाया गया था। तत्पश्चात वर्ष 2015 में केन्द्र सरकार द्वारा 10 लाख से अधिक की आबादी के नगरों की अधोसंरचना विकास हेतु जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन कार्यक्रम अंतर्गत इन्दौर नगर का सीवर सिस्टम विकसित करने के लिए 307.54 करोड की योजना भारत सरकार ने निम्नांकित कार्यो के वास्तविक खर्च को आधार बनाकर स्वीकृत की है। 300 एम.एम. से 1800 एम.एम. डाया तक 165.05 कि.मी. तक लाईन बिछाने का कार्य करना। 245 एम.एम.डी. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य करना। 260 कि.मी. 200 से 300 एम.एम. डाया तक सेकेण्डरी सीवर लाईन बिछाना एवं प्रायमरी लाईन से जोडने का कार्य करना ।
कैसे वर्क आर्डर से पहले ही स्वीकृत हुई राशि
इस पूरे काम में 300 म से 1800 म दाई तक 165 किलोमीटर तक प्राइमरी लाइन बिछाने के जगह पर तीन पूर्वी पश्चिमी और मध्य विभाजित क्षेत्र में 135 डायमीटर 18 किलोमीटर शिवराज लाइन बिछाई गई। एम रामानी कंपनी द्वारा इन्दौर नगर निगम के द्वारा शास्त्री बिज से राजकुमार बिज तक तथा माणिकबाग रोड से चोइथराम हास्पिटल तक सीवरेज लाइन रिक्टीफिकेशन किया जाना था। दस्तावेजों के आधार पर एक नोट शीट चलाई गई जिसमें 16 करोड़ 70 लाख 75 हजार 69 की राशि के काम करवाने का उक्त कार्यालय का एसपी 41 पर अपर यांत्रिक सहायक यंत्री जोनल अधिकारी के समीकरण अनुसार फॉर्म जे एम रामानी का भुगतान पत्र प्रस्तुत किया गया। यह भुगतान पत्र डैमेज विभाग के कार्यकाल अधीक्षक धर्मेंद्र चंद पालीवाल ने अनुशंसा के लिए सहायक केंद्रीय मुख्यालय को भेजा। इसके बाद कार्यपालन यांत्रिक सुनील गुप्ता ने भुगतान की स्वीकृति के लिए अप्रयुक्त के पास पेंशन के लिए भेजा। संदीप सोनी ने सैंक्शन करने के बाद कार्यपालन यंत्री सुनील गुप्ता के पास वापस पहुंचा। इसके बाद सुनील गुप्ता ने अवलोकन कर राशि स्वीकृति पत्र पर सिग्नेचर कर दिए।
100 करोड़ के घोटाले में इस फाइल को पुलिस ने नहीं किया शामिल
इंदौर नगर निगम में ड्रेनेज विभाग में हुए फर्जी बिल घोटाले के मामले में इस 16 करोड़ की फाइल पुलिस तक पहुंची ही नहीं जिसमें अपर आयुक्त संदीप सोनी , कार्यपालन यंत्री सुनील गुप्ता, के हस्ताक्षर किए गए हैं। इस फाइल में पहले भुगतान की राशि की स्वीकृति 10/03/21 को ही ले ली गई। उसके बाद तत्काल इन नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने अनुशंसा पत्र बनाकर प्रशासक पवन शर्मा के पास वर्क आर्डर जारी करने के लिए अनुशंसा की गई। तत्कालीन प्रशासक डॉक्टर पवन शर्मा ने 17/ 3 / 2021 को वर्क आर्डर जारी किया। अगर पुलिस इस फाइल को अपनी जांच की जद में लेती तो शायद अपर आयुक्त निगम आयुक्त और प्रशासक तत्कालीन भी जांच के घेरे में आ जाते। हालांकि अब lalluram.com ने उक्त दस्तावेजों के साथ यह बड़ा खुलासा किया है।
अब देखना होगा 100 करोड रुपए के निगम घोटाले में क्या पुलिस इस 16 करोड रुपए की फाइल को भी शामिल करती है, और अगर इस 16 करोड रुपए की फाइल को पुलिस जांच में लेती है, तो पुलिस द्वारा बनाए गए मुख्य आरोपी अभय राठौर की भूमिका क्या होगी यह देखना होगा। हालांकि पुलिस ने 100 करोड रुपए के घोटाले में अभय राठौर को मुख्य किरदार बताया है। हालांकि अभय राठौर के पहले ही फर्जी बिल घोटाला 16 करोड रुपए का हो चुका था। इस घोटाला के पीछे कई बड़े आईएएस अधिकारियों का हाथ है या नहीं यह तो आने वाला समय में पुलिस की जांच रिपोर्ट ही बता सकेंगी, लेकिन पुलिस क्या उन आईएएस अधिकारियों तक पहुंचने में कामयाब होगी जो पर्दे के पीछे रहकर फर्जी बिल घोटाला लगातार करते रहे।
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