फीचर स्टोरी । महात्मा गांधी ग्राम स्वराज का सपना देखा करते थे. उनके इसी सपने को पूरा करने की कोशिश छत्तीसगढ़ में की जा रही है. कोशिश है गाँवों को आत्मनिर्भर बनाने, गाँवों को आर्थिक संपन्न बनाने, गाँवों को लोक-संस्कृति-परंपरा के साथ संवारने की. बीते 3 वर्षों में सरकार ने इस दिशा में जो काम किया है वह सराहनीय है.
कहते है न बात निकलेगी, तो दूर तलक तक जाएगी. कुछ ऐसा ही छत्तीसगढ़ में अब देखने और सुनने को मिल रहा है. छत्तीसगढ़ ने ग्रामीण विकास का जो मॉडल दिया है, आज उसकी चर्चा छत्तीसगढ़ से दूर, बहुत दूर देश के अन्य राज्यों तक यहाँ तक केंद्र सरकार तक होने लगी है.
इस रिपोर्ट में आपको छत्तीसगढ़ के ग्रामीण विकास वही मॉडल बताने, समझाने और तस्वीरों के जरिए दिखाने जा रहे हैं. यह मॉडल ग्रामीण अर्थव्यवस्था का ऐसा मॉडल है जहाँ सबकुछ गाँवों में मौजूद वस्तुओं, सामग्रियों पर आधारित है. यह मॉडल सही मायने में महात्मा गांधी का मॉडल है. जिसे साकार छत्तीसगढ़ में किया जा रहा है.
ग्रामीण अर्थवस्था की धुरी है क्या ? इस साधारण सवाल का बहुत ही सामन्य जवाब है खेती. ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खेती पर आधारित होती है. भूपेश सरकार ने यहीं से इसे खेती की निर्भरता को थोड़ा और व्यापक या कहिए विस्तार देते हुए जो नींव तैयार की है उसे सुराजी योजना का नाम दिया गया.
सुराजी अर्थात सुराज या स्वराज. गाँवों में विकास का सुराज. और गाँवों में विकास का यह सुराज आया है छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी से. चार चिन्हारी मतलब नरवा, गरवा, घुरवा, बारी से. इन चारों का मेल ही सुराजी है. और इसी सुराजी के जरिए आज ग्रामीण विकास की नई परिभाषा गढ़ दी गई है. इसी सुराजी के जरिए गाँवों को आज आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. इसी सुराजी के जरिए आज गाँवों में स्व-रोजगार बढ़ाया जा रहा है. इसी सुराजी से ग्रामीण उत्पादों का एक नया वैश्विक बाजार बनाया जा रहा है.
ग्रामीण विकास और सरकार पर बढ़ते जनविश्वास की यह कहानी है बालोद जिले की. बालोद जिले के आदिवासी बाहुल्य डौंडी ब्लॉक के सल्हाईटोला गाँव की. गाँव में सुराजी योजना के तहत शानदार गौठान का निर्माण हुआ. गौठान निर्माण के साथ ही विभिन्न गौ उत्पादों का निर्माण शुरू हुआ. इस कार्य में आगे गाँव की महिलाएं. महिलाओं ने समूह बनाकर विभिन्न कार्यों का संचालन शुरू किया. सरकार कई योजनाओं का समूहों ने लाभ लेना शुरू किया. इससे जो बदलाव सल्हाईटोला गाँव में आया आज वह सबके सामने है.
109 महिला-पुरूषों को रोजगार
सुराजी योजना के तहत वर्तमान में गाँव 109 महिलाएं और पुरूष आज आत्मनिर्भर बन चुके हैं. सबके पास आज स्वरोजगार है. आदिवासी ग्रामीण महिला-पुरूषों के पास उनका अपना खुद व्यवसाय है. वे आज दूसरों को रोजगार देने की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं. जिला प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक सल्हाईटोला के गौठान में विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियों में ग्राम के स्व-सहायता समूहों के लगभग 109 महिला एवं पुरूष जुड़े हुए हैं. स्व-सहायता समूह वर्मी-कम्पोस्ट के निर्माण के साथ-साथ मत्स्य पालन, कुक्कुट पालन, दोना-पत्तल निर्माण, राईस मिल संचालन, मशरूम उत्पादन, सब्जी उत्पादन जैसी विभिन्न गतिविधियों से जुड़े हैं.
ग्रामीणों की आर्थिक उन्नति
गौठान के माध्यम कार्यरत् महिला-पुरूष समूहों की आर्थिक स्थिति पहले की अपेक्षा काफी मजबूत हुई है. धीरे-धीरे वे आर्थिक रूप से संपन्न हो रहे हैं. समूहों की आर्थिक उन्नति से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी बेहतर होती जा रही है. गाँव में रहकर अब वहाँ के स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है. आँकड़ों के मुताबिक वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर रहे 2 समूह को 73 हजार रुपए, मछली पालन करने वाले समूह को 40 हजार रुपए की आमदनी अब तक हुई है. वहीं मुर्गी पालन करने वाले समूह को हर 45 दिन में लगभग 30 से 40 हजार रुपए की आमदनी हो रही है.
नया दौर, नई फसल
खेती के लिए लिहाज से यह नया दौर है. इस आधुनिक दौर में कई तरह से खेती हो रही है. नई फसलों के साथ किसान खेती में प्रयोग कर रहे हैं. ज्यादातर किसान इसमें सफल भी हो रहे हैं. खास तौर पर गाँवों में भी फलों की खेती तेजी हो रही है. ऐसे में सल्हाईटोला के किसान भी पीछे नहीं है. महिलाएं समूह बनाकर खेती करने आगे आ रही हैं. गायत्री स्व-सहायता महिला समूह ने ड्रेगन फ्रूट की खेती की शुरुआत की है. समूह की ओर से फलदार वृक्षों की नर्सरी लगाई है. इस नर्सरी में 1 हजार ड्रेगन फ्रूट के पौधे लगाए गए हैं. जिनसे आने वाले समय में अच्छी खासी आमदनी की उम्मीद समूह को है. यहां दुग्ध उत्पादन के लिए डेयरी की गतिविधि भी संचालित की जा रही है.
मछली और मुर्गी पालन
इसी तरह से प्रेरणा स्व-सहायता समूह की 10 महिलाओं ने मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया है. वहीं सरस्वती समूह की ओर से मुर्गी पालन किया जा रहा है. दोनों समूहों के पास आज एक बड़ा काम है. दोनों समूहों ने बीते कुछ महिलाओं में अच्छी-खासी आय अर्जित कर ली है. मछली पालन करने वाली महिलाओं को जहाँ 40 हजार रूपये अतिरिक्त आय प्राप्त हुई है, तो वहीं सरस्वती स्व-सहायता समूह की 10 महिलाओं द्वारा गौठान में निर्मित शेड में ब्रायलर मुर्गी पालन का कार्य किया जा रहा है, जिसमें प्रत्येक चक्र (लगभग 45 दिवस) में लगभग 30 से 40 हजार रूपए की आय प्राप्त होगी.
दोना-पत्तल और मसाले का कारोबार
इसी तरह से संगम स्व-सहायता समूह की 10 महिलाओं ने दोना-पत्तल निर्माण कार्य शुरू किया. इस काम समूह को 15 हजार रुपये की आय कुछ दिनों में ही प्राप्त हो गई है. वहीं सरस्वती स्व-सहायता समूह की 05 महिलाओं द्वारा मिनी राईस मिला के माध्यम से प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गई है, जिसमें दाल, हल्दी, धनिया, मिर्च आदि को प्रसंस्कृत कर विक्रय किया जा रहा है, जिससे लगभग 17 हजार रूपए आय प्राप्त हुई है.
मशरूम और नेपियर घास की खेती
सल्हाईटोला गाँव की त्रिवेणी स्व-सहायता समूहों की 11 महिलाओं ने मशरूम की खेती को अपनाया है. साथ ही समूह की ओर से गौठान में गायों के चारा के लिए नेपियर घास की खेती भी की जा रही है. वहीं चारागाह की शेष भूमि पर बमलेश्वरी स्व-सहायता समूह एवं संगम स्वसहायता समूह की 21 महिलाओं द्वारा ड्रिप सिंचाई पद्धति से सब्जी उत्पादन का कार्य किया जा रहा है.
वर्मी कम्पोस्ट बना कमाई का बड़ा जरिया
राज्य सरकार की कोशिश है कि गोबर खाद को बढ़ावा दिया है. जैविक खेती ओर किसान अग्रसर हो. इसलिए सभी गौठानों में 2 रुपये प्रति किलो गोबर की खरीदी की जा रही है. खरीदे गए गोबर से विभिन्न उत्पादों के साथ ही वर्मी कम्पोस्ट तैयार भी किया जा रहा है. सहेली स्व-सहायता समूह और ज्योति स्व-सहायता समूह की 22 महिलाओं की ओर से वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन का कार्य किया जा रहा है. आँकड़ों के मुताबिक अब तक 1210 क्विंटल गोबर क्रय कर 299 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन कर 223 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट विक्रय किया गया है, जिससे समूह को 73 हजार रूपए तथा गौठान समिति को 13 हजार रूपए की आय प्राप्त हुई है.
आत्मनिर्भर गाँव बनाना, आर्थिक संपन्नता लाना है- जन्मेजय महोबे
कलेक्टर जन्मेजय महोबे का कहना है कि राज्य सरकार की प्राथमिकता में है कि गाँवों को आत्मनिर्भर बनाना है, गाँव-गाँव आर्थिक संपन्नता लाना है. इस ध्येय के साथ पूरे जिले में काम किया जा रहा है. सल्हाईटोला गाँव इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. गाँव में जिस तरह काम हो रहा वह हमारे लिए यह गौरव का विषय है. शासन की मंशा के अनुरूप पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से गौठान में गांव की महिलाएं एवं युवा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहे हैं, जिससे इनकी आय में भी अतिरिक्त वृद्धि हो रही हैं. वहीं गौठान में पशु चिकित्सा विभाग द्वारा समय-समय पर पशु उपचार एवं टीकाकरण शिविर का आयोजन किया जाता है. गौठान में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु एच.एफ.नस्ल की गायों के माध्यम से डेयरी कार्य का संचालन भी किया जा रहा है.