फीचर स्टोरी। अपने प्राकृतिक सौन्दर्य और अनुपम आदिम संस्कृति के लिये प्रसिद्ध बस्तर जिला विकास की नई इबारत लिखता हुआ दिख रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विकास, विश्वास और सुरक्षा के नारे का बस्तर अंचल में सुखद परिणाम दिखाई देने लगा है. सीएम ने शपथ लेते ही बस्तर अंचल के विकास को अपनी प्राथमिकता में रखा था. सत्ता संभालने के महज कुछ ही दिन बाद उन्होंने ने लोहंडीगुड़ा में टाटा स्टील के लिये अधिग्रहित की गई जमीन को आदिवासियों को वापस कर दिया. आज लोहंडीगुड़ा इलाके के किसान अपनी जमीन पर फिर से खेती कर अपने परिवार का जीवनस्तर उठाने में लगे हुए हैं.

शिक्षा पर जोर, बस्तर भविष्य की ओर

बस्तर जिले में राज्य शासन के निर्देशानुसार जिला प्रशासन ने शिक्षा, स्वास्थ्य और अधोसंरचना निर्माण पर विशेष ध्यान दिया है. बात करें शिक्षा क्षेत्र की तो जिले के 6 विकासखंड में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल शुरु किये गये हैं. साथ ही प्रसिद्ध साहित्यकार लाला जगदलपुरी के नाम पर एक अत्याधुनिक ग्रंथालय का निर्माण कराया गया है. जगदलपुर के बीचो बीच स्थापित इस भव्य ग्रंथालय में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए पाठ्य सामग्री उपलब्ध है. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले स्थानीय युवाओं के लिए भी यहां भरपूर पठन सामग्री ऑफलाइन और ऑनलाइन माध्यम में उपलब्ध है. इस ग्रंथालय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह चौबीसों घंटे खुली रहती है. इससे कामकाजी युवा भी रात में आकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हुए देखे जाते हैं.

स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, सस्ता, सुलभ सबको उपचार

बस्तर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का भी तेजी से विस्तार हो रहा है. जिले में कोविड-19 के उपचार के लिये 6 कोविड केयर सेंटर स्थापित किए गए हैं, जिसमें 1600 स्वीकृत बेड हैं. 20 हजार से ज्यादा लोग कोरोना को मात देने में सफल हुए हैं. कोरोना संक्रमण के दौरान स्थापित बस्तर नोनी कॉल सेंटर और एप्प के माध्यम से चिकित्सा परामर्श तथा आवश्यक जानकारी प्रदान की गई. मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के तहत चार मोबाईल यूनिट का संचालन किया जा रहा है, जिसमें लगभग 713 शिविर के माध्यम से 45 हजार से अधिक लोगों का निशुल्क इलाज, दवा वितरण एवं लैब परीक्षण किया गया है. हाट-बाजार क्लीनिक योजना के तहत पिछले चार माह में 42 हाट-बाजारों में 1512 लोगों स्वास्थ्य लाभ मिला. संभाग के सबसे पुराने महारानी अस्पताल का जीर्णोद्धार करने के साथ ही इसकी क्षमता 100 बिस्तरों से बढ़ाकर 200 बिस्तर कर दी गई है. डिमरापाल स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल सिर्फ बस्तर जिला ही नहीं पूरे संभाग के मरीजों के उपचार के लिए वरदान साबित हुआ है. यहां ऑक्सीजन निर्माण संयंत्र की स्थापना के साथ ही कोरोना के तीसरे लहर से निपटने के लिए भी पर्याप्त तैयारी की गई है.

पर्यटन को बढ़ावा, सबके मन को भावा

बस्तर को प्रदेश की पर्यटन राजधानी कहा जाता है. इसलिये राज्य सरकार ने इस इलाके में सड़कों के विस्तार को प्रमुखता दी है. इसके मद्देनजर संभाग मुख्यालय जगदलपुर सहित अंदरुनी क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण किया जा रहा है. उन दूरस्थ अंचलों को भी सड़कों से जोड़ा जा रहा है, जो अत्यंत संवेदनशील थीं.सड़कों के निर्माण के साथ ही उन दूरस्थ अंचलों में भी अब विकास के अन्य कार्य सहजता से संभव हो रहे हैं. जिले में स्थित चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ़ सहित अन्य पर्यटन स्थलों का विकास किया जा रहा है. साथ ही पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए ग्रामीण जनों को पर्यटन समिति के माध्यम से रोजगार के अवसर दिए जा रहें हैं. साथ ही पर्यटन केन्द्रों के समीप होम स्टे की सुविधा देकर पर्यटकों को आकर्षित किया जा रहा है.

पुलिसिंग मजबूत, निशाना अचूक

पुलिस और सुरक्षा बलों की मदद से अंदरूनी इलाकों में सड़क और दूसरे अधोसंरचनाओं का निर्माण कराया जा रहा है, जिससे नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में लगातार सफलता मिल रही है. अंदरुनी इलाकों तक विकास कार्य पहुंचने से स्थानीय लोगों को सरकार पर विश्वास बढ़ा है और नक्सलियों का मनोबल लगातार गिर रहा है. आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित इलाके में हर हाथ को रोजगार देने के अपने संकल्प के साथ राज्य सरकार ने मनरेगा के माध्यम से लोगों को रोजगार मुहैया कराया है. मनरेगा के तहत वर्ष 2020-21 में 30 लाख 66 हजार से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं.

गोधन-गौठान, समूहों में नई जान

भूपेश सरकार की गोधन न्याय योजना भी इलाके की तस्वीर बदलने में कारगर दिखाई देती है. स्थानीय आदिवासी अब पशुपालन में विशेष रूचि लेने लगे हैं, जिससे उनके परिवार का आर्थिक स्त्रोत बढ़ा है. गोधन न्याय योजना के तहत 203 गोठानों में 5548 गोबर विक्रेता किसानों से अगस्त माह तक लगभग 85 हजार 450 क्विंटल गोबर खरीदा गया है. 15 अगस्त तक 1 करोड़ 67 लाख से अधिक राशि का भुगतान किया गया है. बस्तर जिले के गौठानों में 19 हजार क्विंटल से ज्यादा वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया जा चुका है और गोठान समितियों द्वारा वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय से 62 लाख रुपये की राशि प्राप्त हुई है. महिला स्व-सहायता समूहों को 33 लाख रूपए से अधिक तथा गोठान समिति को 53 लाख से अधिक राशि का भुगतान सहकारी केन्द्रीय बैंक द्वारा किया गया है. स्वसहायता समूहों को प्रशिक्षण देकर आदिवासी महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है, जिसके आशातीत परिणाम सामने आ रहें हैं.

वनोपज में वृद्धि, आदिवासी जीवन में समद्धि

वनोपज संग्रहण बस्तर के आदिवासियों का परंपरागत व्यवसाय रहा है, जिसे भूपेश सरकार ने भरपूर प्रोत्साहित किया है. लॉकडाउन जैसी विपरीत परिस्थितियों का बस्तर जिले के आदिवासियों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है और कोविड काल के दौरान भी वनोपज संग्रहण का काम निर्बाध गति से चलता रहा. आज राज्य् सरकार 52 से ज्यादा वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर कर रही है,जिससे स्थानीय आदिवासियों के आय से साधन मजबूत हुए हैं. वर्ष 2020-21 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर वनोपज संग्रहण के लिए जिले के 71 हजार संग्राहकों को करीब 26 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया. वर्ष 2021-22 में 9539 संग्राहक परिवार को लगभग 6 करोड़ राशि का भुगतान किया गया है. वर्ष 2021 में तेन्दूपत्ता संग्रहण करने वाले 34 हजार परिवारों को 5 करोड़ 51 लाख का भुगतान किया गया है. हाल ही में वन धन विकास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड में बस्तर जिले की कुरन्दी और बकावंड के वनधन केंद्र को प्रथम और द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जो ये दर्शाता है कि वनों में रहने वाले आदिवासियों के उत्थान के लिए भूपेश सरकार ने सराहनीय कदम उठाये हैं.

पर्यावरण को संरक्षण, हर क्षेत्र में वृक्षारोपण

बस्तर में पर्यावरण और नदी-नालों को संरक्षित करने के लिए वृक्षारोपण का अभियान जन सहयोग से चलाया जा रहा है. इन्द्रावती,नारंगी और मारकंडी नदी के संरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर फलदार वृक्षों के पौधे लगाए जा रहे हैं, जिससे नदी का तट भी सुरक्षित हो और जलस्तर भी बढ़े. इसके साथ ही यहां सड़कों के किनारे भी फलदार पौधों के वृक्ष लगाए जा रहे हैं. भविष्य में ये फलदार पौधे ग्रामीणों के रोजगार का एक बड़ा साधन बनेंगे और कुपोषण सीएम भूपेश बघेल के प्रयास से बस्तर अब वायु परिवहन सेवा से जुड़ गया है, जो आने वाले दिनों में बस्तर संभाग के समग्र विकास के लिये मील का पत्थर साबित होगा.

यातायात में बड़ा काम, बस्तर से दिल्ली तक उड़ान

बस्तर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होने के साथ ही आदिम सभ्यता और संस्कृति का एक जाना-माना नाम है. जगदलपुर में हवाई सेवाएं बहाल होने से बस्तर के पर्यटन उद्योग और व्यापार के लिए आशा की एक नई किरण दिखाई दी है. रायपुर और हैदराबाद के हवाई मार्ग से जुड़ने से क्षेत्रवासियों को कम समय में स्वास्थ्य सुविधाएं और व्यापार के लिए महानगरों तक पहुंचने में आसानी हुई है. ऐतिहासिक दलपत सागर की सफाई के साथ-साथ सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है.

युवा शक्ति, युवा विकास…अटूट भरोसा और विश्वास

बस्तर की कला और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु बस्तर आर्ट गैलरी का भी विकास किया जा रहा है. समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के इच्छुक युवाओं की शक्ति को समर्थन देने का कार्य बस्तर जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है.‘युवोदय‘ के नाम से संगठित इस युवा शक्ति के कार्यों से प्रभावित होकर ‘यूनिसेफ‘ जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था भी इससे जुड़ चुकी है और इन्हें बेहतर प्रशिक्षण उपलब्ध कराते हुए इनकी नेतृत्व क्षमता को निखारा जा रहा है.भूपेश सरकार की दूरदर्शी सोच और इसके अनुरुप बस्तर जिला प्रशासन द्वारा किये जा रहे बहुआयामी प्रयासों से अब पिछड़ा माने जाने वाले बस्तर जिले की तस्वीर अब बदलने लगी है.