फीचर स्टोरी. नक्सलियों का कोर क्षेत्र माने जाने वाला अबूझमाड़ अब विकास में पीछे नहीं रहेगा. आजादी के 75 बरस बाद भी जिस इलाके में विकास नहीं पहुंच पाया था, उस क्षेत्र में राज्य की भूपेश सरकार ने अपनी पहुंच सुनिश्चित करा दी है. राज्य सरकार की ओर से अबूझमाड़ इलाके में तेजी से मसाहती सर्वे का काम जा रही है. गांवों में सर्वे जैसे-जैसे पूरा हो रहा, वैसे-वैसे ही गांवों में विकास भी पहुंचता जा रहा है. सड़कें बन रही, बोर खनन हो रहा है, राशन पहुंच रहा, अंदर की दुनिया अब बाहर से नजर आने लगी है. आवागमन के साथ विकास के द्वार खुल गए हैं. विकास के इसी द्वार की एक गांव की कहानी इस रिपोर्ट में आप पढ़िए.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 300 किलोमीटर दूर उत्तर और दक्षिण बस्तर के पश्चिमी छोर पर एक घना जंगल वाला इलाका है अबूझमाड़. अबूझमाड़ के इसी इलाके को नारायणपुर जिले के तौर पर जाना और पहचाना जाता है. इसी इलाके को नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना भी माना जाता है और यह भी माना जाता रहा है कि नक्सली यहां विकास में सबसे बड़े बाधक हैं. नक्सलियों की मौजूदगी के चलते ही सघन वन वाले अबूझमाड़ के सैकड़ों गांव अब तक विकास की पहुंच से दूर रहे हैं, लेकिन भूपेश सरकार ने इसी दूरी को मिटाने का संकल्प लिया है. इसमें सरकार को सफलता भी मिल रही है. अबूझमाड़ के अंदर बसे गांवों तक विकास पहुँचा पाने में सरकार को मिल रही कामयाबी को कुमगांव से समझा जा सकता है.
कुमगांव जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर घने जंगल और पहाड़ों से घिरा गांव है. गांव का कोई राजस्व रिकॉर्ड नहीं रहा है. गांव में कितने लोग रहते हैं, कितने घर हैं, इसकी जानकारी भी सर्वे से पहले सरकार को नहीं थी, लेकिन मसाहती सर्वे के साथ गांव की पूरी जानकारी अब अंदर से बाहर आ गई है.
पहाड़ों की तराई में बसे कुमगांव के लोगों तक विकास पहुँच चुका है. 25 परिवारों की छोटी बस्ती वाला है कुमगांव. 25 परिवारों में करीब 120 सदस्य निवासरत् हैं. दुर्गम क्षेत्र में बसाहट होने के चलते गांव अब तक सर्वे वंचित रहा, लेकिन राज्य सरकार की ओर से कराए जा रहा मसहाती सर्वे के साथ कुमगांव बाहरी दुनिया के नक्शे में आ गया. सर्वे के साथ सबसे पहले गांव तक सड़क बनाने का काम हुआ. सड़क निर्माण के साथ गांव में अन्य सुविधाएं पहुँचने लगी. गांव के लोगों का भी आना-जाना अब जिला मुख्यालय तक होने लगा है. सरकार की योजनाएं भी अब गांववालों तक पहुँच रही है.
सड़क बनने के साथ ही आवागमन सुगम हुआ है. कुमगांव में अब बिजली है, साफ पीने का पानी है, स्कूल है और स्कूल में शिक्षक हैं. गांव तक सड़क बन जाने से अब स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ-साथ एम्बुलेंस और अन्य बुनियादी सुविधायें गांवों तक पहुंच जाएगी. प्रशासन के इस कार्य से ग्रामवासी काफी उत्साहित है और प्रशासन के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है.
कुमगांव के ग्रामवासी रानो दुग्गा और मंगाया दुग्गा ने बताया कि सदियों से बसे इन गांवों में लगभग 100 लोग रहते है. कुछ महीने पहले इस गांव तक पहुंच पाना ही सबसे बड़ी समस्या होती थी. इस गांव तक पहुंचने के लिए एकमात्र साधन पगडंडी थी. इस पगडंडी से लोग लाठी का सहारा लेकर ही यहां से आते जाते थे. हमे पहले शासन की योजना का लाभ नही मिल पाता था अब हमारे गांव का सर्वे पूर्ण हो गया है. सर्वे उपरांत कलेक्टर साहब हमारे गांव आये थे, हमारे गांव पहुँचने वाले पहले कलेक्टर थे. पूरा गांव को घूमकर देखे थे उसके कुछ दिनों बाद ही यहां रोड बनाना शुरू हो गया था.
अबूझमाड़ में जारी महासती सर्वे के साथ यह बात स्पष्ट तौर पर कही जा सकती है अबूझमाड़ आने वाले कुछ वर्षों में अबूझ नहीं रहेगा. राज्य सरकार की ओर जो प्रयास किया जा रहा उससे जल्द ही अबूझ पूरी तरह से बूझा लिया जाएगा. अबूझमाड़ के अंदर जितने भी गांव हैं, वह सब रिकॉर्ड में आ जाएंगे. गांवों के अंदर विकास पहुँचेगा. सरकारी की योजनाएं पहुँचेगी. स्थानीय आदिवासी-ग्रामीणों का इसका लाभ मिलेगा और वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ते चले जाएंगे. इससे अबूझमाड़ नक्सल मुक्त होते चले जाएगा. उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में तेजी से कामयाबी हासिल करेगी.
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