रायपुर। सही नीयत और नेकी के साथ जब आप कुछ अच्छा करते हैं, तो सिर्फ़ तस्वीर या तकदीर नहीं बदलते बल्कि एक अमिट इतिहास रचते हैं, कुछ ऐसा आप नया गढ़ते हैं कि सदियों तक आपको याद रखा जाता है. छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार कुछ इसी ध्येय के साथ नवा छत्तीसगढ़ को गढ़ने में लगी है. इस नवा छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बघेल लोगों की भावना के अनुरूप धर्म का कहिए कि सत कर्म एक ऐसा कार्य पूर्ण करने में जुट गए हैं, जिसकी चर्चा आने वाले दिनों में पूरी दुनिया में होगी.

आप सोच रहे हैं राज्य सरकार ऐसा क्या करने जा रही है कि जिससे छत्तीसगढ़ एक ऐतिहासिक छाप विश्व पटल पर छोड़ेगी. तो आइये आपको को सारी बातें विस्तार से समझाते हैं.

 

राम से पहले माता का मंदिर

आप को पता ही होगा कि छत्तीसगढ़ राम का ननिहाल है. याने माता कौशल्या की नगरी है. जी हाँ छत्तीसगढ़ के इस पुण्य धरा में एक पावन धाम है चंदखुरी. रायपुर जिला अतंर्गत मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर स्थित एक गाँव. इसी चंदखुरी गाँव में है माता कौशल्या का ऐतिहासिक-पुरातात्विक मंदिर. माता कौशल्या की पूरी दुनिया में यह एक इकलौता मंदिर है. इसी को विश्व मानचित्र में स्थापित करने अब राज्य की कांग्रेस पार्टी वाली सरकार जिसके मुखिया भूपेश बघेल हैं ने ठान ली है. वैसे मुख्यमंत्री यह कहते हैं कि छत्तीसगढ़ कोई भी धर्म, धर्म के आराध्य हमारे लिए राजनीति का विषय नहीं, बल्कि हम उसे संस्कृति के परिपेक्ष्य में देखते हैं. वे यह भी कहते हैं राम के नाम को लेकर राजनिति करने वालों को यह पता होना चाहिए कि राम हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं. राम छत्तीसगढ़ के कण-कण में, राम यहाँ के लोगों के रोम-रोम में, सबके अपने-अपने राम हैं, राम नाम हैं. राम को तो हम यहाँ भाँचा(भांजा) के रूप में पूजते हैं. छत्तीसगढ़ राम का मामा गाँव हैं.

भगवान राम के इसी मामा गाँव छत्तीसगढ़ को हम नए रूप में गढ़ने में लगे हैं. इस नए रूप में हमने राम वनगमन पथ को शामिल किया हैं. मतलब राम छत्तीसगढ़ के जिन-जिन स्थानों से गुजरे हैं उन स्थानों को हर सुविधाओं के साथ विकसित करने में लगे हैं.

वैसे सच कहे तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जन भावनाओं के अनुरूप छत्तीसगढ़ को गढ़ते हुए नज़र भी आ रहे हैं. छत्तीसगढ़ की पहचान दुनिया में धान के कटोरे के रूप में तो है ही, छत्तीसगढ़ की पहचान धर्म-कर्म के प्रमुख धाम के रूप में भी रही है. कहते हैं सप्त ऋषियों ने इसी प्रदेश में तपस्या की है, लव-कुश ने इसी धरा में जन्म लिया है. कबीर पंथ से लेकर सतनाम पंथ का छाप इस प्रदेश में पूर्ण रूप से दिखता है. लिहाजा सरकार छत्तीसगढ़ को पूरी दुनिया को यह बताना चाहती है कि छत्तीसगढ़ की जो पहचान नक्सलवाद की बना दी गई है, असल में छवि वो नहीं छवि तो कुछ और है.

छत्तीसगढ़ के इस सांस्कृतिक छवि में माता कौशल्या, भांचा राम और इनके पुण्य धाम वास्तविक पहचान के साथ उभर कर आने की दिशा बढ़ चुका है.

इसकी एक और बानगी बीते दिनों माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी में देखने को मिली, जहाँ मुख्यमंत्री परिवार के साथ पूजा करने और मंदिर निर्माण के कार्यों का जायजा लेने पहुँचे. वहां परिवार के साथ पूजा-पाठ किया, प्रदेश की खुशहारी की कामना की. उन्होंने कहा कि मंदिर के सौन्दर्यीकरण के दौरान मंदिर के मूलस्वरूप यथावत रखते हुए यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए.

छत्तीसगढ़ सरकार ने राम वन गमन पर्यटन परिपथ में प्रस्तावित 09 स्थलों के विकास के लिए बनाया है 137.45 करोड़ की कार्ययोजना बनाई है. जिसमें चंद्रखुरी में 15 करोड़ की लागत से सौन्दर्यीकरण का किया जाएगा. भव्य मंदिर निर्माण की कार्ययोजना में परिसर में विद्युतीकरण, तालाब का सौंदर्यीकरण, घाट निर्माण, पार्किंग, परिक्रमा पथ का विकास आदि कार्य शामिल किए गए हैं। यहां तालाब के बीच से होकर गुजरने वाले पुल की मजबूती के साथ ही बड़ा परिक्रमा पथ, सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला और शौचालय भी बनाए जाएंगे. मंदिर के पास बायपास सड़क का निर्माण और राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखाएं भी खोली जाएंगी.

रोम रोम में हैं राम, एक सम्प्रदाय राम नामी

छत्तीसगढ़ में राम सिर्फ एक नाम ही नहीं, बल्कि एक समाज, एक सम्प्रदाय हैं. देश में छत्तीसगढ़ ही एक मात्र स्थान ऐसा है जहाँ रामनामी परिवार मिलता है. जाँजगीर और सारंगढ़ अंचल में निवासरत रामनामी परिवार पूरी तरह से राममय है. रामनामी परिवार के प्रत्येक सदस्य राम में ऐसे रमे हुए हैं कि उनके पूरे शरीर में राम ही राम मिलते हैं. रामनामी परिवार अपने शरीर को राम नाम से गुदवा लेते हैं. यह इतना बड़ा परिवार है कि इसे एक समाज, सम्प्रदाय होने का गौरव मिल चुका है. हर साल रामनामियों का एक बड़ा मेला लगता है, जिसे देखने देश-दुनिया भर से लोग पहुँचते हैं.

राम ने जिन 51 स्थलों में व्यतीत

माता कौशल्या का मंदिर ही नहीं बल्कि राम गमन के उन 51 स्थलों को भी विकसित किया जाएगा, जहां से राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ गुजरे थे. जिसमें उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा से लेकर दक्षिण में बस्तर तक के तमाम स्थल शामिल हैं.

त्रेतायुगीन छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दक्षिण कोसल एवं दण्डकारण्य के रूप में विख्यात था. राम ने उत्तर भारत से छत्तीसगढ़ में प्रवेश के बाद विभिन्न स्थानों से विचरण करते हुए दक्षिण भारत में प्रवेश किया था. छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले की गवाई नदी से होकर सीतामढ़ी हरचौका नामक स्थान से राम ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था. इस दौरान उन्होंने 75 स्थलों का भ्रमण करते हुए सुकमा जिले के रामाराम से दक्षिण भारत में प्रवेश किया था. इन स्थलों में से 51 स्थल ऐसे है, जहां प्रभु श्रीराम ने भ्रमण के दौरान रूक कर कुछ समय व्यतीत किया था. प्रथम चरण में इनमें से 9 स्थलों को विकसित किया जाएगा.

इन स्थलों में सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अम्बिकापुर), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर), रामाराम (सुकमा) शामिल हैं.

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राम वन गमन पथ का, पर्यटन की दृष्टि से विकास की योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य राज्य में आने वाले पर्यटकों, आगन्तुकों के साथ-साथ देश और राज्य के लोगों को भी राम वन गमन मार्ग एवं स्थलों से परिचित कराना एवं इन ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण के दौरान पर्यटकों को उच्च स्तर की सुविधाएं भी उपलब्ध कराना है.

इन सारी चीजों की चर्चा इस वक्त क्यों

इन सारी चीजों की चर्चा इस वक्त इसलिए हो रही है क्योंकि देश और दुनिया में सबकी निगाहें अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर को लेकर है। लेकिन देश दुनिया के इस चर्चा के बीच में राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में भी है जहां राम की अपनी माता कौशल्या का एक भव्य मंदिर निर्माणाधीन है. इस मंदिर को भव्य मंदिर का स्वरुप देने और उससे जुड़े तमाम चीजों को विकसित करने का संकल्प भूपेश सरकार ने लिया है।