फीचर स्टोरी. छत्तीसगढ़ के सुदूर दक्षिण में स्थित दंतेवाड़ा वैसे तो पूरे विश्व में उच्च कोटि के लौह अयस्क के लिए जाना जाता है, लेकिन बीते कुछ दशकों में इस जिले की पहचान नक्सल समस्या को लेकर भी बन गई. इस पहचान को खत्म करने की कोशिशें कई दशकों से हो रही है. धीरे-धीरे इसमें सरकार को कामयाबी भी हाथ लगते जा रही है. वर्तमान भूपेश सरकार में इस काम में और तेजी आई है. भूपेश सरकार में बिना हिंसा ही नक्सल का हल निकलता हुआ दिखाई दे रहा है. आज यह जिला विकास के नये आयाम को छू रहा है.
डेनेक्स ने दी नई पहचान
दंतेवाड़ा अब गारमेंट हब के नाम से जाना जा रहा है, डेनेक्स के नाम से कपड़े की फैक्ट्री आदिवासी महिलाओं के लिये वरदान साबित हो रही है. जिला प्रशासन द्वारा स्थापित कपड़े की इन फैक्ट्रियों से अब तक 500 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है और आने वाले दिनों में 1200 परिवारों को रोजगार देने का लक्ष्य है. फैक्ट्री में शुरूआत में 150 परिवार को 45 दिन का प्रशिक्षण देकर नियोजित किया गया है.आज इन फैक्ट्रियों में काम करने वाली आदिवासी महिलाओं के चेहरे पर आत्मविश्वास देखते ही बन रहा है.
कृषि उत्पादन को भी मिला बढ़ावा
डेनेक्स कपड़ा फैक्ट्री के अलावा डेनेक्स एफपीओ नामक कंपनी भी दंतेवाड़ा के विकास में अपना अहम योगदान दे रही है. कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने वाली इस कम्पनी के जरिए खाद्य उत्पाद तैयार कर किसानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. इस कंपनी के माध्यम से छिन्द गुड, मौरिंगा पाउडर, कोदो, कुटकी, ईमली, चार बीज, टेराकोटा जैसी वस्तुओं के विक्रय के लिये बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है.
देवगुड़ी से गाँवों में लौट रही रौनक
राज्य शासन दवारा स्थापित किये जा रहे देवगुड़ी से गांवों में रौनक लौट रही है, क्योंकि इसके जरिये परंपरा और संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है. 70 ग्राम पंचायतों में बनाए गए देवगुड़ी स्थल को सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक चेतना के केन्द्र के रुप में विकसित किया जा रहा है.
युवाओं और महिलाओं को स्वरोजगार
लाल आतंक से जूझ रहे दंतेवाड़ा जिले के युवाओं और महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए राज्य शासन द्वारा अभिनव पहल किये जा रहें हैं. जिले में स्थापित नवचेतना बेकरी में पूर्व वर्षो में मानव तस्करी से विमुक्त किये गये बंधुवा मजदूरों एवं ट्रान्स जेन्डर को शत् प्रतिशत स्व-रोजगार उपलब्ध करवाने के उदे्श्य से कार्य दिया गया है. जिले के बेरोजगार पढ़े-लिखे युवक, युवतियों को रोजगार का अवसर देने के लिए ग्राम स्वरोजगार केन्द्र का संचालन किया जा रहा है जिसमें गांवों के दैनिक जरूरत के सामान जैसे किराना, नाई की दुकान, फैंसी, सब्जी एवं बीज, इलेक्ट्रॉनिक, मोबाईल रिचार्ज आदि के लिए दूर शहर जाना पड़ता है.
जिला प्रशासन के सहयोग से गांव के पढ़े लिखे बेरोजगार युवक युवतियों को सहयोग राशि देकर गांव में अनेक प्रकार के जरूरत की दुकान खोली गई है जिसमें वे लगभग 5-6 हजार रुपये मासिक कमा रहे हैं. इसके अलावा कड़कनाथ मुर्गी पालन हेतु 260 मुर्गी पालन शेड निर्माण कर उन परिवारों को मुर्गी पालन के व्यवसाय से जोड़ा गया है.
पहली बार 20 गाँवों तक पहुँची बुनियादी सुविधाएं
भूपेश सरकार की विशेष पहल से दंतेवाड़ा जिले के 20 गांवों में पहली बार बुनियादी सुविधाएं पहुंची है इसमें उन गांवों के लोगों को राशन दुकान के लिए पीडीएस भवन, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र, पेयजल की सुविधा, बिजली, सड़क आदि की सेवाएं मिलने लगी है. मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का प्रारम्भ जिले में 2019 को विकासखण्ड दंतेवाड़ा से हुआ है. वर्तमान में इस अभियान के तहत जिले के 280 सुपोषण केन्द्रों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 28 हजार 608 हितग्राहियों को पोषण आहार से लाभांवित किया जा रहा है. इस अभियान से आज की स्थिति में कुपोषित बच्चों की संख्या में 2357 की कमी आयी है. सुपोषण संग स्वरोजगार की अवधारणा के साथ महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु 573 मुर्गी शेड मनरेगा अंतर्गत स्वीकृत किये गये हैं, जिसमें उत्पादित अण्डों को सुपोषण अभियान के तहत क्रय करते हुए सुपोषण के माध्यम से आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा रहा है, जिससे कि अब पड़ोसी राज्य में अण्डे हेतु निर्भरता नहीं रही है.
डेल्टा रैकिंग में देश में प्रथम स्थान
नीति आयोग द्वारा निर्धारित डेल्टा रैंकिंग में स्वास्थ्य एवं पोषण की रैंकिंग में दंतेवाड़ा जिले ने पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया गया है. दंतेवाड़ा में पहली बार शत प्रतिशत पंचायतों में मनरेगा के तहत रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये हैं. जिले में कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. जिसका परिणाम है कि वर्ष 2020-21 में धान खरीदी में 55 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और किसानों को राजीव गांधी न्याय योजना से उल्लेखनीय लाभ मिला है.
जैविक जिला की ओर अग्रसर
दन्तेवाड़ा को जैविक जिला बनाने का लक्ष्य रखा गया है जिसके अन्तर्गत जिले के समस्त 25 हजार 835 किसानो में से 13 हजार 437 किसानों का जैविक प्रमाणिकरण किया जा चुका है. जिले में धान के अलावा रागी, कोदो, कुटकी और दलहन के रकबे में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जिले में पिछले दो सालों में सौर सुजला योजना के तहत 950 किसानों के खेत में सोलर पम्पों की स्थापना की गई है जिससे लगभग 2900 हेक्टयर भूमि का रकबा सिंचित हो रहा है तथा कृषकों की आय में वृद्धि हो रही है.
दंतेवाड़ा में गोधन न्याय योजना के अन्तर्गत कुल 70 गौठानों में वर्तमान में गोबर क्रय किया जा रहा है. अब तक करीब 34 लाख किलो गोबर क्रय किया जा चुका है, जिसमें 24 गौठनों में 240 महिलाओं द्वारा स्व-सहायता समूह के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट खाद का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है. वर्मी कम्पोस्ट खाद का विक्रय भी स्व-सहायता समूहों एवं ग्राम गौठान समिति के द्वारा किया गया है. जिले की समितियों को अब तक 26.96 लाख की आमदनी वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री से प्राप्त हुई है.
सुदूर गाँवों तक पहुँची बिजली
दंतेवाड़ा जिले में पिछले दो सालों में राज्य शासन की हॉफ बिजली बिल योजना के तहत 10 हजार 672 घरेलू उपभोक्ताओं को 502.82 लाख रुपये की विद्युत देयक में छूट प्रदाय किया गया है. जिले के कुल 219 ग्रामों में से 202 ग्राम एवं 2386 मजरा-टोला में से 2341 मजरा-टोला विद्युतीकृत किये गये हैं. पिछले दो सालों में दंतेवाड़ा जिले में सड़कों का जाल भी बिछाया गया है, जिससे कनेक्टिविटी सुधरी है. पिछले दो सालों में कुल 225 किमी प्रथम श्रेणी सड़क मार्ग का निर्माण किया गया जिससे पहुंचविहीन माने जाने वाले 72 गांव शहर से सीधे जुड़ गए हैं.
दुर्गम क्षेत्र के गाँव मुख्यधारा से जुड़े
राज्य में पहली बार दंतेवाड़ा जिले के अति संवेदनशील एवं दुर्गम क्षेत्रों में निवासरत लोगों को जीवन के मुख्यधारा से जोड़ने शीघ्र निर्माण होने वाले 11 स्टील ब्रिज का निर्माण 322 लाख रूपये की लागत से किया जा रहा है जिससे जिले के 11 गांव की जनता को सीधा लाभ प्राप्त हो सकेगा.गांव में एम्बुलेंस, राशन एवं अन्य आवश्यक सामग्री पहुंचाने में सुविधा होगी एवं आवागमन सुगम होगा.वनोपज संग्रहण जिले के आदिवासियों का परंपरागत व्यवसाय है, जिसको ध्यान में रखते हुए भूपेश सरकार ने इस क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया है.
वनवासियों को वनोपज का मिला उचित लाभ
वनवासियों द्वारा संग्रहित वनोपज को सही दाम दिलाने के लिये सरकार ने 52 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी करने का निर्णय लिया है,जिसका सीधा लाभ यहां के आदिवासियों को मिल रहा है. वन अधिकार पत्रक से वंचित वन आश्रितों को बड़े पैमाने पर वनाधिकार प्रदान किया गया है,जिससे उनकी जिंदगी आसान हुई है. मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना आदिवासी बहुल दंतेवाड़ा के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
हाट-बाजार क्लीनिक योजना का असर
जिले में 19 जून 2019 से मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना की शुरुआत की गई है और वर्तमान में जिले के 19 हाट-बाजार में यह योजना संचालित की जा रही है. अब तक 1287 हाट-बाजार में इस क्लीनिक का आयोजन किया जा चुका है। इन बाजारों में चिकित्सक दल द्वारा निःशुल्क परामर्श और जांच के साथ आवश्यक दवाओं का नि शुल्क वितरण किया जा रहा है. बिहान योजना दंतेवाड़ा जिले में महिला सशक्तिकरण को और भी मजबूती दे रहा है.
महिलाओं के जीवन में नवा ‘बिहान’
जिले में बिहान योजनान्तर्गत 2411 परिवारों के महिलाओं को संगठित कर विभिन्न आजीविका गतिविधियों चैन लिंक तार फेंसिंग, मॉ दन्तेश्वरी मार्ट, सेनेटरी नेपकीन निर्माण, छिंदगुड़, मोरिंगा पाऊडर निर्माण जैसे गतिविधियों से जुड़कर आजीविका प्राप्त कर रही हैं, झाडू निर्माण, रंगीन मछली घर, राखी निर्माण, मास्क निर्माण करने वाली स्वसहायता समूह ने इन गतिविधियों से करीब 23 लाख रुपये की आमदनी अर्जित की है.
जिले में राज्य सरकार द्वारा कराये जा रहे विकास की इन तमाम गतिविधियों से स्थानीय आदिवासियों का जीवनस्तर सुधर रहा है और उनके जीवन में आ रहा ये बदलाव नया दंतेवाड़ा और नवा छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. विगत 2 वर्षों में हो रहे विकास कार्यों की सराहना नीति आयोग द्वारा 28 बार सोशल मीडिया एवं विभिन्न प्लेटफार्म के माध्यम से की गई है, जो यह बताने के लिये पर्याप्त है कि कभी लाल आतंक के साये में जीने वाला दंतेवाड़ा जिला अब बदलने लगा है. दंतेवाड़ा में अब नक्सल का हल, दंतेवाड़ा बेहतर वर्तमान, सुनहरा कल है.