रायपुर- छत्तीसगढ सरकार ने दलित शब्द का उपयोग रोके जाने संबंधी आदेश जारी किया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने यह आदेश केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के बाद जारी किया है. दरअसल केंद्रीय केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने बड़े कदम के तहत सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को लिखित आदेश जारी कर कहा था कि अब सरकारी स्तर पर या कहीं भी दलित शब्द का प्रयोग नहीं किया जाए.

केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश हाइकोर्ट द्वारा दिए आदेश का हवाला देते हुए दलील शब्द के इस्तेमाल रोकने का निर्णय लिया था. हाईकोर्ट में लगाई गई डाॅ. मोहन लाल माहौर की याचिका में दलित शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए रोक की मांग की गई थी. इस याचिका में दलील दी गई थी कि दलित शब्द का संविधान में जिक्र नहीं है. इस वर्ग से जुड़े लोगों को अनुसूचित जाति अथवा जनजाति के रूप में संबोधित किया गया है. ऐसे में सरकारी दस्तावेजों और दूसरी जगहों पर दलित शब्द का इस्तेमाल संविधान के विपरीत किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह आदेश दिया था कि दलित शब्द का इस्तेमाल किसी भी सरकारी और गैर सरकारी विभागों में नहीं किया जाए.  हाईकोर्ट के निर्णय़ के बाद केंद्र ने भी सरकारी दस्तावेजों से लेकर किसी भी पत्रक में दलित शब्द का प्रयोग करने पर रोक लगा दी थी.

नरेंद्र मोदी सरकार ने 21 जनवरी को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकारी दस्तावेजों में दलित शब्द के उपयोग पर रोक लगाने का निर्णय लिया था. इस निर्णय के बाद किसी भी अनुसूचित जाति के व्यक्ति के आगे उनकी जाति का नाम लिखा जाना सरकार ने अनिवार्य कर दिया है. इससे पहले 10 फरवरी 1982 को जारी किए गए एक नोटिफिकेशन में हरिजन शब्द पर रोक लगाई गई थी.

पढ़िए सरकार का आदेश-