रायपुर. छत्तीसगढ़ का बस्तर दशकों से युद्ध का क्षेत्र बना हुआ है. सुरक्षा बल के जवानों के साथ नक्सलियों का मुठभेड़ 40 साल से जारी है. लेकिन जिस तरह की लड़ाई इन दिनों नक्सल मोर्चे पर बस्तर में लड़ी जा रही है, वह कई मायनों में बेहद ही महत्वपूर्ण है. दरअसल बस्तर में ऐसा पहली बार हुआ है जब सिर्फ 11 महीने में ही सुरक्षा बल के जवानों ने 213 नक्सलियों को मार गिराने में सफलता पायी है. यही नहीं मुठभेड़ के दौरान कहीं 40 तो कहीं 36 नक्सलियों को खत्म करने देने का रिकॉर्ड भी जवानों ने बनाया है. और सबसे अहम यह है कि बड़े से बड़े ऑपरेशन में भी जवानों को वैसा नुकसान कहीं भी नहीं हुआ, जैसा कि पहले के वर्षों में होते रहा है. उन क्षेत्रों में भी नहीं जो नक्सलियों का ही कोर क्षेत्र माना जाता है. अबूझमाड़ जैसे दुर्गम और अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी जवानों ने घुस-घुसकर नक्सलियों को मारना शुरू कर दिया. और तमाम मुठेभड़ों में जवानों को कामयाबी ही मिल रही है. जैसे कि एक बड़ी कामयाबी आज सुकमा के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में जवानों को मिली.

सुकमा में भेज्जी थाना क्षेत्र के भंडारपदर के जंगल में आज सुबह-सुबह सीआरपीएफ और डीआरजी की संयुक्त टीम से नक्सलियों की मुठभेड़ हुई. जवानों ने इस मुठभेड़ में 10 नक्सलियों को मार गिराया वहीं एके-47 सहित कई आधुनिक हथियार भी बरामद किए. मुठभेड़ के बाद जवानों ने नक्सलियों का शव भी रिकवर कर लिया है. अच्छी बात यह भी है कि जवानों को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है. वैसे इसी तरह की कामयाबी बीते महीनों में कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों में हुई मुठभेड़ों में जवानों को मिली है.

आंकड़ा

बीते कुछ वर्षों में नक्सलियों को अच्छा-खासा नुकसान जवानों की ओर से चलाए गए ऑपरेशन में हुआ है. लेकिन 11 महीनों में 2013 नक्सलियों को मारने का रिकॉर्ड मौजूदा विष्णुदेव साय की सरकार के कार्यकाल में बना है. आँकड़ों के मुताबिक 2020 में 41, 2021 में 46, 2022 में 30, 2023 में 22 और 2024 में अब तक 2013 नक्सली मारे गए हैं. तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो 2020 से 2023 तक चार साल में 139 नक्सली मारे गए थे, जबकि 11 महीने में 2013 नक्सली मारे गए हैं. इसके साथ ही 800 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और 900 से अधिक नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई है. लेकिन इन आँकड़ों ने भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी रूप भी ले लिया है. साय और बघेल दोनों का दावा है कि कामयाबी के पीछे उनकी सरकार की रणनीति रही है.

2026 तक नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ रहे हैं- विष्णुदेव साय

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि भाजपा की सरकार नक्सलवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रही है. बस्तर में विकास, शांति और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. मैं सुरक्षा बलों को उनके अदम्य साहस और समर्पण के लिए बधाई देता हूँ. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सल मुक्त बनाने का जो लक्ष्य रखा गया हम उसकी पूर्ति की दिशा में सुनियोजित तरीक़े से आगे बढ़ रहे हैं.

माओवाद से लड़ाई अंतिम चरण में- विजय शर्मा

गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में माओवाद से लड़ाई अंतिम चरण में है. मैं जवानों की बहदुरी को सलाम करता हूँ. एक और बड़ी सफलता के लिए उन्हें बधाई देता हूँ. हमारी सरकार का लक्ष्य है बस्तर में शांति और विकास. और इसके लिए 2026 तक लक्ष्य केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तय किया है. सरकार की नीयत और नीति दोनों ही स्पष्ट और इस दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.

मेहनत हमारी पीठ अपनी थपथपा रहे- भूपेश बघेल

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि बस्तर में जो सफलता जवानों को मिल रही है उसके पीेछे कांग्रेस सरकार में जो रणनीतिक प्रयास किए गए थे वो है. उन्होंने कहा कि मेहनत हमारी थी, पीठ अपनी थपथपा रहे हैं. कांग्रेस सरकार में 600 गांवों को नक्सल मुक्त कराया गया था. कोर क्षेत्र में जवानों के कैंप कांग्रेस सरकार में खुले. अंदरूनी क्षेत्रों तक सड़क, पानी, बिजली, और ब्रिज की सुविधा पहुँची. इसीलिए आज अबूझमाड़ जैसे क्षेत्रों में जवानों को सफलता मिल रही है.

वैसे बात सियासत की नहीं है, कामयाबी की है. और यह सच है कि सुरक्षा बल के जवानों को लगातार सफलताएँ मिल रही हैं. वह भी बिना किसी नुकसान के. इसी के चलते बस्तर में नक्सलियों के बीच हाहाकार मचा हुआ है. नक्सलियों को अब बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में भी सुरक्षित ठिकाना नहीं मिल रहा है. जवान अंदर तक घुस-घुसकर मार रहे हैं. निश्चित ही इससे जवानों के हौसले बुलंद है और वे एक बाद एक कामयाबी के रिकॉर्ड बनाते जा रहे हैं. कहा जा सकता है कि नक्सल मोर्चे पर सरकार सफल होती हुई दिख रही है. वैसे नक्सल मुक्त बस्तर सभी चाहते हैं, सभी चाहते हैं कि जल्द ही बस्तर युद्ध क्षेत्र से मुक्त होकर शांति और विकास के बीच मुस्कुराता, खिलखिलाता, इठलाता हुआ ही नजर आए.