
वैभव बेमेतरिहा, रायपुर. 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच तीसरी पार्टी की ताकत अगर किसी पार्टी ने दिखाई थी तो वो है स्व. अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे), जिसकी पहचान जोगी कांग्रेस के रूप में है. अजीत जोगी के निधन के बाद से ही पार्टी का भविष्य अधर में है. पार्टी के कार्यकर्ता टूटते चले गए. बहुत से कार्यकर्ता कांग्रेस में वापस लौट गए, कुछ भाजपा के साथ तो कुछ आप के साथ चले गए, लेकिन अजीत जोगी के साथ दिल का रिश्ता रखने वाले कुछ नेता और समर्थक अभी भी जोगी कांग्रेस के साथ बने हुए हैं. डॉ. रेणु जोगी और अमित जोगी के साथ अभी भी अपनी बराबर उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, लेकिन कब तक कराएंगे इसे लेकर फिलहाल पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता.
अजीत जोगी के निधन के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में दो तरह की चर्चा होती रही. एक चर्चा कांग्रेस में विलय होने की और दूसरी चर्चा भाजपा के साथ चले जाने की. इस बीच यह भी चर्चा हुई कि 23 का चुनाव जोगी कांग्रेस आप के साथ मिलकर लड़ेगी. जिस तरह से बसपा के साथ मिलकर 2018 का चुनाव लड़ी थी. वैसे सियासी चर्चाओं का क्या है कोई ओर-छोर तो रहता नहीं है. तरह-तरह की अफवाहें उड़ती रहती हैं.

अभी ख़बर है कांग्रेस में जोगी कांग्रेस की नो-एंट्री की ! वैसे एक खबर जोगी कांग्रेस के केसीआर की पार्टी बीआरएस में विलय हो जाने की भी है. इन खबरों के बीच जोगी कांग्रेस के साथ जो कार्यकर्ता जुड़े हैं वे चिंतित भी हैं और दुखी भी.
कांग्रेस में अगर जोगी कांग्रेस की एंट्री हो जाती तो अजीत जोगी के समर्थक फिर भी खुश ही रहते. समर्थकों की ओर से इसे लेकर अलग-अलग माध्यमों से प्रयास भी हुआ है. हालांकि इसमें कोई सफलता कहीं से मिली नहीं. ऐसे में जोगी समर्थक इस बात से चिंतित है कि अगर जोगी कांग्रेस का विलय केसीआर की पार्टी में हो गया तो फिर जोगी नाम कहां रह जाएगा. और जोगी का नाम नहीं रहा तो फिर जोगी कांग्रेस का अस्तित्व नहीं रह पाएगा. इन सवालों ने जोगी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को दुखी कर रखा है.

इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस में जोगी कांग्रेस की एंट्री संभव ही नहीं. मुख्यमंत्री बघेल ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि जब तक अजीत जोगी कांग्रेस के साथ रहे, कांग्रेस की सरकार नहीं बनी. कांग्रेस से उनके बाहर होते ही कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है. मुख्यमंत्री बघेल के इस कथन से यह स्पष्ट है कि जोगी कांग्रेस की जरूरत कांग्रेस को कतई नहीं और विलय जैसी सियासी चर्चाओं पर भी यह पूर्ण विराम है.
अब सवाल जोगी कांग्रेस के अस्तित्व को लेकर. दरअसल सवाल ये उठ रहा है कि 2023 में जोगी कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी ? किसी पार्टी के साथ गठबंधन करेगी ? या फिर जोगी कांग्रेस का विलय भाजपा-कांग्रेस को छोड़ किसी अन्य दल में हो जाएगा ? अन्य दल में जिस दल के नाम की चर्चा अधिक है वो तेलांगना में सत्ताधारी दल केसीआर की पार्टी बीआरएस की.
जोगी कांग्रेस के प्रमुख अमित जोगी बीते कुछ दिनों से हैदराबाद के दौरे पर हैं. अमित जोगी की मुलाकात बीआरएस के मुखिया और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से भी हो चुकी है. वहीं अमित जोगी अपने कार्यकर्ताओं को भावपूर्ण पत्र लिखकर बड़े फैसले की बात भी कह चुके हैं, लेकिन अमित जोगी क्या फैसला लेने वाले हैं, इसे लेकर पार्टी के कार्यकर्ता चिंतित और दुखी हैं.
अमित जोगी ने अगर बीआरएस में जोगी कांग्रेस का विलय करा दिया तो फिर जोगी कांग्रेस पार्टी खत्म हो जाएगी. अगर विलय की जगह गठबंधन हुआ तो फिर जोगी कांग्रेस की उपस्थिति बनी रहेगी. अमित जोगी इस बारे में कहते हैं कि चर्चाओं का क्या है होते रहता है. जल्द ही फैसला सबके सामने होगा है. अब फैसला क्या होगा इसका इंतजार सभी को है. फिलहाल 2023 चुनाव को लेकर जोगी कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी तो है !
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