Lalluram Desk. संत रविदास जयंती हर साल माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. यह दिन महान संत, समाज सुधारक और कवि संत रविदास जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है. 2025 में, यह जयंती 12 फरवरी को मनाई जा रही है. “मन चंगा तो कठौती में गंगा” आज भी एक प्रसिद्ध कहावत की तरह प्रयोग किया जाता है. आज भी जब कोई बाहरी आडंबर की बजाय दिल से अच्छा काम करने की बात करता है, तो यह कहावत प्रयोग की जाती है.

कौन थे संत रविदास?

संत रविदास 15वीं-16वीं शताब्दी के भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख संत थे. उनका जन्म वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में एक चर्मकार (चमड़े का कार्य करने वाले) परिवार में हुआ था. उन्होंने समाज में फैली छुआछूत, भेदभाव और जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाई और “सब जन एक समान” का संदेश दिया.

शिक्षाएं और विचार

ईश्वर एक है और सभी मनुष्यों में समान रूप से विद्यमान है. भक्ति और प्रेम से ईश्वर की प्राप्ति संभव है, न कि जाति-पाति के भेदभाव से. कर्म को महत्व देना चाहिए, क्योंकि सच्ची भक्ति कर्म से जुड़ी होती है.उन्होंने बेगमपुरा नामक एक आदर्श समाज की कल्पना की, जहां कोई दुख, गरीबी या जातिगत भेदभाव न हो.

जब नहीं जा सके गंगा स्नाने के लिए

कहा जाता है कि एक बार संत रविदास से किसी व्यक्ति ने कहा कि गंगा स्नान करने से ही पाप धुलते हैं. लेकिन संत रविदास अपने काम (जूते बनाने) में लीन थे, और गंगा स्नान के लिए नहीं जा सके. तब उन्होंने कहा: “मन चंगा तो कठौती में गंगा”
और जैसे ही उन्होंने कठौती (पानी का पात्र) में हाथ डाला, वहां गंगा जल प्रकट हो गया.

संत रविदास के चमत्कार

संत रविदास के जीवन से जुड़े कई चमत्कारी प्रसंग प्रसिद्ध हैं, जैसे:

गंगा प्रकट होना – जब किसी ने उन्हें गंगा स्नान करने से रोका, तो उन्होंने अपने घर में पानी से भरी कठौती में हाथ डाला और कहा “मन चंगा तो कठौती में गंगा”, जिसके बाद गंगा जल प्रकट हो गया.

सोने की पादुका – जब ब्राह्मणों ने उनकी भक्ति पर संदेह किया, तो उन्होंने अपने भगवान की सोने की पादुका दिखाकर सभी को चमत्कृत कर दिया.

राजा और संत रविदास – कई राजाओं और रानियों ने संत रविदास को गुरु माना और उनके उपदेशों से प्रभावित होकर समाज सुधार का कार्य किया.

    संत रविदास का प्रभाव

    उनकी शिक्षाएं सिख धर्म, भक्ति आंदोलन और दलित चेतना में गहराई से जुड़ी हुई हैं. गुरु ग्रंथ साहिब में भी उनके 40 से अधिक पद संग्रहीत हैं. उनका संदेश आज भी समानता, प्रेम और सामाजिक न्याय के लिए प्रेरणा देता है.