रायपुर. महिलाओं के कृषि क्षेत्र में आने से वे महिला सशक्तिकरण को बल देने के साथ पोषणयुक्त खाद्यान्न की जरूरतों को भी भली भांति समझते हुए इस दिशा में भी काम कर रही हैं. बस्तर जिले के छोटे गरावंड गांव की रहने वाली एक शिक्षित महिला किसान देसी धान लगाने के पिछले 16 सालों से किसानों को जागरूक कर रही हैं. महिला किसान के पास 300 से अधिक प्रजाति के देसी धान का कलेक्शन हैं, जिसे वे अपने डेढ़ एकड़ के खेत में लगाती है. महिला किसान प्रभाती भारत के परिवार की महिलाएं तीन पीढिय़ों से देसी धान को संरक्षित करने का काम करती आ रही हैं.

देसी धान लगाने के लिए कर रही जागरूक
प्रभाती भारत ने बताया कि वे 300 से अधिक वैरायटी के धान को सुरक्षित कर उसमें तरह-तरह के प्रयोग कर रही हैं. मल्टीविटामिन, कैंसर, डायबिटीज समेत कई बीमारियों से लडऩे वाली वैरायटी भी उन्होंने तैयार किया है. साथ ही धान की 300 से अधिक किस्मों को विलुप्त होने से बचाने के लिए हर साल उन्हें अपने खेत में रोपती है. फसल तैयार होने तक पूरी देखभाल करती हैं. उन्होंने बताया कि डेढ़ एकड़ की जमीन पर लगभग 300 अलग-अलग प्रजाति के धान उगाने में काफी मेहनत लगने के साथ ही उन्हें इस बात का भी ध्यान देना होता है कि किसी भी तरह कोई भी धान की फसल आपस में न मिल पाए. इसके लिए वे बकायदा हर धान के नाम के साथ ही उसकी नंबरिंग भी करते हैं.

एक धान की फसल में करीब दो से ढाई क्विंटल धान का उत्पादन होता है. शौकीन तौर पर वह इन तैयार हुए चावल को घर में ही खाने के रूप में इस्तेमाल करते हैं. हालांकि वे आसपास के किसानों को भी प्रोत्साहित करने के लिए सभी धान की प्रजाति के बीज किसानों की मांग पर उन्हें देती हैं. प्रभाती भारत का मुख्य उद्देश्य बस्तर में हाइब्रिड धान की पैदावार को खत्म कर देसी धान के लिए लोगों को जागरूक करना है. ताकि सभी लोग स्वस्थ रह सके और उन्हें किसी तरह की कोई बीमारी ना हो.

औषधि गुण से भरपूर है सभी देसी धान
प्रभाती भारत ने बताया कि उनके पास एंटी कैंसर और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दो प्रमुख वैरायटी लायचा और गठवन है. इसके अलावा ब्लैक राइस, रेड राइस और रानी बीज, राम लक्ष्मण, जावा फूल, तुलसीगढ़, बुधकमल, पंचरत्न, साहालोटी, लोकटा मांझी, खण्डसगर, जामवंत, नरिहर, गोल मिर्च, कुसुम भोग, सोना धान, केदार भोग, शंकर भोग जैसे ऐसे धान के बीज हैं जिससे डायबिटीज रोगियों के साथ ही अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए यह देसी राइस रामबाण हैं. इधर स्थानीय किसान भी अपने खेतों में देसी धान के बीज पिछले कई सालों से उगा रहे हैं. किसान ने बताया कि विजय भारत और उनकी पत्नी प्रभाती भारत की जागरूकता का ही असर है.

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