भोपाल. आज विश्व कैंसर दिवस है. बदलते दौर के साथ नशे के बढ़ते कारोबार ने बीमारियों का भी जाल बिछा दिया है. तंबाकू का सेवन करने से कैंसर जैसी घातक बीमारी अपना विस्तार कर रही है. मध्यप्रदेश में तंबाकू जनित बीमारियों से हर साल 90 हजार लोग काल के गाल में समा जाते हैं. जबकि देश में लाखों लोग कैंसर से मरते हैं.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, मध्य प्रदेश में 28.1 प्रतिशत लेाग किसी न किसी रूप में चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का उपभोग करते हैं, जिसमें 38.7 प्रतिशत पुरुष एवं 16.8 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं. तंबाकू के उपयोग के चलते मुंह, फेफड़े का कैंसर हो जाता है और राज्य में हर साल कैंसर व तंबाकू जनित अन्य बीमारियों के कारण 90 हजार लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं.

ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण, 2017 के अनुसार, 10.7 प्रतिशत वयस्क भारतीय (15 वर्ष और उससे अधिक) धूम्रपान करते हैं, जबकि चबाने वाले तंबाकू का सेवन 21.4 प्रतिशत लोग करते हैं. देश में पान मसाला का विज्ञापन जारी है, जो समान नाम के तंबाकू उत्पादों के लिए भी विपणन को प्रोत्साहन (सरोगेट एडवरटिजमेंट) दे रहे हैं. सिगरेट और तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) के प्रावधानों के अनुसार, तंबाकू उत्पादों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विज्ञापन प्रतिबंधित है.

गैटस दो सर्वे 2016-17 के अनुसार, मध्य प्रदेश में वर्तमान में 50. 2 प्रतिशत पुरुष, 17.3 प्रतिशत महिलाओं में धूम्रपान या धुआंरहित तंबाकू का उपयोग करने का चलन है. आंकड़ों के मुताबिक, 19.0 प्रतिशत पुरुष, 0.8 प्रतिशत महिलाएं धुआं युक्त धूम्रपान करती हैं, जबकि 38.7 प्रतिशत पुरुष, 16.8 प्रतिशत महिलाएं धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं.

ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण, 2017 के अनुसार, देश में धुआंरहित तंबाकू उपयोगकर्ताओं (19.94 करोड़) में से 29. 6 प्रतिशत पुरुष और 12. 8 प्रतिशत महिलाएं हैं. वर्तमान में सात करोड़ महिलाएं 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र की हैं, जो धुआंरहित तंबाकू का उपयोग करती हैं.

डॉक्टरों का कहना है कि जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान धुआंरहित तंबाकू का सेवन करती हैं, उनमें एनीमिया (खून की कमी) होने का खतरा 70 प्रतिशत अधिक होता है. महिलाओं में धुआंरहित तंबाकू उपयोगकर्ताओं में मुंह के कैंसर का खतरा पुरुषों की तुलना में आठ गुना अधिक होता है.

इसी तरह धुआं रहित तंबाकू सेवन करने वाली महिलाओं में हृदय रोग का खतरा पुरुषों की तुलना में दो से चार गुना अधिक होता है. इसी तरह की महिलाओं में पुरुषों की तुलना में मृत्युदर भी अधिक होती है.

वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) के संरक्षक डॉ टी़ पी़ शाहू बताते हैं कि धुआंरहित तंबाकू के उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि हुई है, क्योंकि पहले के तंबाकू विरोधी विज्ञापनों में सिगरेट और बीड़ी की तस्वीरें दिखाई जाती थीं और घातक बताया जाता था. इससे लोगों को लगता था कि केवल सिगरेट और बीड़ी का सेवन हानिकारक है. परिणामस्वरूप धीरे-धीरे धुआंरहित तंबाकू की खपत बढ़ गई है.