वैभव बेमेतरिहा, रायपुर. चुनाव…चुनाव…चुनाव…हर तरफ अब यही चर्चा है. छत्तीसगढ़ में 2023 विधानसभा चुनाव का माहौल बनने लगा है. राजनीतिक दलों की तैयारियां तेज हो गई है. बंद कमरों से लेकर सभा-सम्मेलनों तक रणनीतियां बन रही हैं. भाजपा तो दमखम के साथ मैदान मारने की ओर निकल पड़ी है, लेकिन एक तिहाई से अधिक सीटों पर काबिज सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस की तैयारी भी बीते चुनाव से और भी भारी दिख रही है.

भाजपा जनसंपर्क अभियान पर है. केंद्र सरकार की उपलब्धियां लेकर जनता के बीच भाजपा के नेता पहुँच रहे हैं. लाभार्थी सम्मेलन के साथ कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों का दौर भी बस्तर से सरगुजा तक जारी है. ऐसे में सत्ताधारी दल कांग्रेस क्या कर रही है और कांग्रेसियों को 2023 चुनाव के लिए इस बार लक्ष्य क्या मिला यह भी जान लीजिए.

सभा और सम्मेलनों के बीच ये संदेश

कांग्रेस में सभा और सम्मेलनों का दौर शुरू हो चुका है. सभी 5 संभागों में कार्यकर्ता सम्मेलन के साथ 2023 के लिए कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया गया है. चुनाव को लेकर एकजुटता का पाठ भी पढ़ा दिया गया है. आने वाला साल नेताओं का नहीं कार्यकर्ताओं का ही होगा यह भी बता दिया गया है. सपने पूरे होते हैं, सपना देखते रहिए, सपना का ट्रेलर भी दिखा दिया गया है. लेकिन मिलेगा उन्हें इनाम जो अब डिजिटली मजबूत होंगे. जमीन के साथ ही अब कार्यकर्ताओं को डिजिटल माध्यमों में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज करानी होगी.

कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बताया गया है कि आज का दौर तकनीक का है. आज का दौर सोशल मीडिया का है. आज का दौर ट्विटर, फेसबुक, वाट्सएप का है. कार्यकर्ताओं को इन माध्यमों के साथ पूरी मजबूती के साथ जुड़ना होगा. सोशल मीडिया का उपयोग चुनाव के लिए भरपूर तरीके से करना होगा.

छत्तीसगढ़ में 40 प्रतिशत लोग सोशल माध्यमों का करते हैं उपयोग

कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बताया गया कि छत्तीसगढ़ में 40 प्रतिशत लोग सोशल माध्यमों का उपयोग करते हैं. 40 प्रतिशत लोगों की उपस्थिति वाट्सएप और यूटयूब पर है. लगभग एक करोड़ लोगों तक सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से सीधा पहुँचा जा सकता है.

सोशल मीडिया में कांग्रेस की ओर से जो रिसर्च किया गया है उसमें यह भी बात सामने आई है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की उपस्थिति सोशल मीडिया में कम है. भाजपा के मुकाबले छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी इस दिशा में बहुत पीछे हैं. कांग्रेसियों की सक्रियता तो कम है, कार्यकर्ता हो या नेता विषयों या मुद्दों पर लिखते भी कम हैं और भाजपा को जवाब भी सही ढंग से नहीं दे पाते. अधिकतर कार्यकर्ता जय कांग्रेस, जोहार, जिंदाबाद लिखकर या लाइक कर निकल जाते हैं.

इससे होता यह है कि कांग्रेसियों की बात अधिक-अधिक लोगों तक नहीं पहुँच पाती है. योजनाओं की बात हो या किसी तरह से वार-पलटवार की बात कार्यकर्ताओं को लाइक करने के साथ कमेंट्स भी करने होंगे. ट्विटर पर अधिक से अधिक रिट्वीट और कोट करके भी ट्वीट करने होंगे. फेसबुक शेयर के साथ कुछ लिखना भी होगा. वाट्सएप पर उसे अधिक से अधिक साझा करना होगा. कार्यकर्ताओं को अपनी बात खुद पहुँचानी होगी.

भाजपा का उदाहरण

कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उदाहरण देकर यह भी बताया गया है कि भाजपा के नेता-कार्यकर्ताओं के सोशल हैंडल जाकर देखों, किस तरह से वे अपनी बातों को रखते हैं ? भाजपा ने सोशल मीडिया को देशभर में चुनावी हथियार बना लिया है. भाजपा को पता है कि माइंड सेट कहाँ से तैयार करना है. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि डिजिटल युग में कांग्रेसी कहीं से भी पीछे न रहे.

कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर यही एक बड़ा लक्ष्य है. कार्यकर्ताओं को भाजपा से मुकाबला सिर्फ जमीन पर ही जाकर नहीं करना है, बल्कि सोशल माध्यमों पर भी जाकर करना है. कांग्रेसी खुद इस दिशा में मनो स्थिति के साथ तैयार हो जाए.

बूथ पर एक समन्वयक

कांग्रेस की ओर से कार्यकर्ताओं को यह भी संदेश दिया गया है कि बूथ स्तर पर एक सोशल समन्वयक वो रख लें. सोशल समन्वयक के तौर पर तकनीकी रूप से सक्षम नए लड़कों का चयन करें. NSUI के कार्यकर्ताओं की मदद इसमें लें. कांग्रेसियों को यह भी मैसेज दिया गया है कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल करते हुए सावधानी बरतनी होगी. जल्दबाजी में न तो कुछ लिखना है और न किसी तरह का कोई खास एजेंडा चलाना है. जनता के बीच भाजपा और केंद्र सरकार का सच सामने लेकर जाना है. छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं का असर बताना है.

वैसे कांग्रेस की चुनावी तैयारियों को देखकर लग रहा है कि विधानसभा चुनाव 2023 की रणनीतिक जीत में सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण हथियार साबित होने वाला है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है. शायद यही वजह कि कार्यकर्ताओं के बीच सोशल मीडिया का पूरा एक खाका रिसर्च के साथ रखा जा रहा है और उन्हें ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, वाट्सएप पर सक्रिय रहने का बड़ा काम दिया जा रहा है.