हकीमुद्दीन नासिर, महासमुंद। महासमुंद नगर पालिका इन दिनों अपनी आय बढ़ाने के लिए एक नया ट्रेंड अपना रही है. जमीन के टुकड़ों में अवैध प्लाटिंग करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस को पत्र लिखती है. जैसे ही जमीन मालिक से सौदा होता है, पालिका एफआईआर भी वापस ले लेती है. यही नहीं राजस्व विभाग भी उसी जमीन का डायवर्सन कर देते हैं. जिनके खिलाफ नगर पालिका द्वारा कार्रवाई के लिए पुलिस को पत्र लिखा जाता है. नगर पालिका अब ऐसे अवैध प्लाटिंग करने वालों को पुलिस का डर दिखाकर अपनी आय बढ़ाने का काम कर रही है.

महासमुंद नगर पालिका सीमा अंतर्गत वार्ड नंबर 3, श्रीराम वाटिका के पीछे चंद्रहास चंद्राकर और नवीन चंद्राकर की खसरा नंबर 617/1 रकबा 0. 6478 में अवैध प्लाटिंग कर एक नये अवैध काॅलोनी स्थापित करने के मामले में नगर पालिका सीएमओ टाॅमसन रात्रे ने 3 बार नोटिस जारी किया था. लेकिन दोनों जमीन मालिकों ने नोटिस को नजरअंदाज कर दिया था. सीएमओ टाॅमसन रात्रे ने भू राजस्व संहिता के नियमों का उल्लघंन बताते हुए 24 फरवरी 2024 को सिटी कोतवाली को दोनों भूमि स्वामी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्र लिखा है. जैसे ही भूमि स्वामी से नगर पालिका की सांठगांठ होती है ठीक 12 मार्च 2024 को फिर से नगर पालिका सीएमओ एक पत्र पुलिस को एफआईआर दर्ज नहीं करने के लिए आग्रह किया जाता है. नगर पालिका अब ऐसे जमीन मालिकों को पुलिस का डर दिखाकर अपनी आय बढ़ाने का काम कर रही है. तो सीएमओ टाॅमसन रात्रे का कहना है ये सब कलेक्टर के आदेश पर कार्रवाई की जा रही है.

गौर करने वाली बात यह है कि नगर पालिका जिस जमीन मालिकों को अवैध प्लाटिंग के आरोप लगाते पुलिस को कार्रवाई करने को पत्र लिखता है उसके ठीक चौथे दिन यानी 29 फरवरी 2024 को दोनों भूमि स्वामी अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) न्यायालय में खसरा नंबर 617/1 का डायवर्सन करने आवेदन प्रस्तुत किया जाता है और 17 मई 2024 को उसी खसरा नंबर की जमीन का करीब 12 हजार स्क्वायर फीट का डायवर्सन कर दिया जाता है. तो दूसरी ओर राजस्व विभाग ऐसे मालिकों की जमीन को डायवर्सन कर के अवैध प्लाटिंग करने वाले लोगों को और बढ़ावा दे रही है. डायवर्सन को लेकर अनुविभागीय अधिकारी का कहना है नहीं पता था कि, जिस पर कार्रवाई की जा रही ये वही खसरे की जमीन है.

दोनों विभाग मिलकर किस तरह अवैध प्लाटिंग कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं, इसे इस तरह से समझा जा सकता है. नगर पालिका और राजस्व विभाग जमीन मालिकों को कानूनी कार्रवाई का डर दिखाते हैं लेकिन जमीन से जुड़े कोई भी दस्तावेज पुलिस को उपलब्ध नहीं कराया जाता. पुलिस जमीन पर कार्रवाई के लिए जैसे नोटिस जारी करती है और वैसे ही जमीन मालिकों से सांठगांठ होती है. फिर नगर पालिका द्वारा कानूनी कार्रवाई रोकने के लिए पत्र लिखा जाता है. प्रशिक्षु डीएसपी सह कोतवाली प्रभारी मोनिका श्याम का कहना है कि नगर पालिका एफआईआर के लिए पत्र लिखा था लेकिन बाद में फिर पत्र में कोई कार्रवाई नहीं करने लिखा गया है.

गौरतलब है कि नगर पालिका द्वारा 2 जून को राजस्व विभाग को 18 अवैध काॅलोनियों की एक सूची सौंपा गया है. लेकिन उस सूची में किसी भी काॅलोनी के जमीन मालिकों का नाम खसरा, रकबा का जिक्र तक नहीं है.