कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। महिला सशक्तिकरण को लेकर सरकार की ओर से बड़ा कदम उठाया गया है। स्व सहायता समूह में काम करने वाली महिलाएं अब सामान्य महिलाएं नहीं रहेगी क्योंकि अब यह महिलाएं ड्रोन दीदी कहलाएंगी। तस्वीरों में नजर आ रही यह महिलाएं शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की हैं जो स्व सहायता समूह के जरिए अपनी आजीविका को मजबूती दे रही हैं। कोई चिप्स बना रही है तो कोई पापड़ बना रही है। लेकिन कमरे की चार दिवारी में रह कर समूह चलाने वाली यह महिलाएं अब खुले आसमान में ड्रोन उड़ाती हुई नजर आएंगी। 

दरअसल मोदी सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बड़ा कदम उठाया है जिसके तहत स्व सहायता समूह में काम करने वाली महिलाओं को ट्रेनिंग देकर ड्रोन पायलट बनाया जा रहा है। नमो ड्रोन दीदी प्रोजेक्ट के तहत इन महिलाओं को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। खास बात यह है कि यह ट्रेनिंग सरकार की ओर से पूरी तरह से मुफ्त कराई जा रही है। और ट्रेनिंग के बाद उनके हाथ आएगा आरपीसी यानी ड्रोन उड़ाने का राष्ट्रीय लाइसेंस और ये महिला शक्ति बन गयी होगी नमो ड्रोन दीदी। 

महिलाओं की तकदीर और सुनहरे भविष्य की तस्वीर बनाने सरकार ने उठाया कदम 

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि महिलाओं की तकदीर और उनके सुनहरे भविष्य की तस्वीर को बनाने के लिए मोदी सरकार ने यह कदम उठाया है। यह प्रोजेक्ट उनके विभाग के अंतर्गत आता है। ऐसे में 1265 करोड़ का बजट भी जारी किया गया है। नमो ड्रोन दीदी प्रोजेक्ट में देशभर से पहले फेज में 10 हजार महिलाओं को सिर्फ प्रशिक्षण ही नहीं दिया जाएगा बल्कि उन्हें प्रशिक्षण के बाद 10 लाख कीमत का ड्रोन और उसका बीमा भी उन्हें निशुल्क दिया जाएगा। सरकार प्रशिक्षित ड्रोन दीदीयों को काम के लिए गारंटीड प्रोजेक्ट भी देगी ताकि ड्रोन के जरिये आय अर्जित की जा सके।

नए साल में पास आउट होने जा रहा नमो ड्रोन दीदी का बैच 

सरकार की इस पहल पर मध्य प्रदेश के ग्वालियर में MITS कॉलेज स्तिथ पहले ड्रोन स्कूल में ट्रेनिंग की खूबसूरत तस्वीरें भी सामने आने लगी है। यहां नए साल में नमो ड्रोन दीदी का बैच ट्रेंड होकर पास आउट होने जा रहा है जो अब ड्रोन पायलट कहलाएंगी। ड्रोन ट्रेनर अमन नोटिया का कहना है कि प्रदेश के अलग अलग राज्यों से आयी स्व सहायता समूहों की महिलाओं को शुरुआत में सीखने में काफी परेशानी आई लेकिन आज महिलाएं हर मुकाम को हासिल कर रही हैं। ऐसे में ये महिलाएं भी ड्रोन पायलेट बनने के आखिरी पड़ाव पर पहुंच ही गई।

ड्रोन पायलेट बनने जा रही नमो ड्रोन दीदीयों का कहना है कि उन्होंने कभी सपने में भी नही सोचा था कि वो कभी ड्रोन भी उड़ा सकेगी। मध्यप्रदेश के होशंगाबाद की रहने वाली सुहानी ने इस पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है। वहीं राजस्थान के सीकर से आई विमला का कहना है कि वो कभी घर से नही निकली। लेकिन आज वो सशक्त हो गयी है। मोदी सरकार के इस कदम ने जीवन को पूरा बदल दिया है। राजस्थान के अलवर से आई निशा चौधरी ने बताया कि उन्होंने कभी साइकिल भी नहीं चलाई थी। लेकिन आज वो ड्रोन उड़ाने लगी है।

उत्तर प्रदेश के हाथरस से आई क्रांति वर्मा का कहना है कि अभी तक ड्रोन को सिर्फ शादी पार्टियों में दूर से ही देखा। वहीं युद्ध के दौर में उपयोग किए जाने की चर्चाएं सुनी थी। लेकिन अब वो खुद ड्रोन पायलट बनने जा रही है जिससे बहुत गर्व महसूस हो रहा है। मध्यप्रदेश के सागर की रहने वाली साक्षी तो अब अपने अच्छे परफॉर्मेंस से खुद ट्रेनर की असिस्टेंट की जॉब हासिल कर चुकी है। साक्षी का कहना है कि नमो ड्रोन दीदी बन कर महिलाओं के लिए बहुत से रोजगार के अवसर खुलने लगे हैं।

कैसे होती है ड्रोन दीदियों की ट्रेनिंग ?

-प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं के हाथ होगा RPC यानी रिमोट पायलट सर्टिफिकेट

-नमो ड्रोन दीदी की 10 दिन की RPC ट्रेनिंग होती है

-शुरुआती 2 से 3 दिन थ्योरी क्लास होती है

-2 दिन सॉफ्टवेयर बेस्ड ट्रेनिंग दी जाती है

-पहला फेज पास होने पर 5 से 6 दिन की ओरिजनल ड्रोन के साथ ग्राउंड में फ्लाइंग ट्रेनिंग दी जाती है

-ट्रेनिंग के आखिरी दिन फ्लाइंग टेस्ट यानी ग्राउंड पर EXAM होता है

-EXAM पास करने पर समूह की महिला RPC हासिल कर नमो ड्रोन दीदी बन जाती है।

जल्द ही मध्यप्रदेश के ड्रोन स्कूल से प्रशिक्षित बेच पासआउट होने जा रहा है। जिसके बाद ये नमो ड्रोन दीदीया खुले आसमान में ड्रोन पायलट बन उसे उड़ाती हुई नजर आएगी। स्व सहायता समूह महिलाओ को उंस दिन का बहुत बेसब्री से इंतजार है।

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