हेमंत शर्मा, इंदौर। गरीब और जरूरतमंद मरीजों के इलाज के लिए बनाई गई आयुष्मान योजना अब लूट का जरिया बन गई है। इंदौर का फीनिक्स हॉस्पिटल इस गोरखधंधे का सबसे बड़ा अड्डा साबित हो रहा है। यहां आयुष्मान कार्ड धारकों से खुलेआम मोटी रकम वसूली गई। हैरानी की बात यह है कि इस पूरे खेल में स्वास्थ्य विभाग भी किसी “साथी” से कम नहीं दिख रहा।
Lalluram.com की स्टिंग रिपोर्ट में जब यह गोरखधंधा उजागर हुआ तो शहर में हड़कंप मच गया। सामने आया कि फीनिक्स हॉस्पिटल आयुष्मान कार्ड पर इलाज कराने आए गरीब मरीजों से खुलेआम कैश वसूल रहा था। मामला तूल पकड़ते ही सीएमएचओ डॉ. माधव हसानी अस्पताल खुद पहुंचे और निरीक्षण किया।

इंदौर के अस्पतालों में कमीशनखोरी का खेलः आयुष्मान कार्डधारकों से वसूली, फिनिक्स हॉस्पिटल पर गंभीर आरोप, उप मुख्यमंत्री ने कहा- होगी कड़ी कार्रवाई
निरीक्षण में चौथे फ्लोर पर पीओपी और चादर से बनाया गया अस्थाई वार्ड मिला, जहां आग बुझाने का कोई साधन तक मौजूद नहीं था। साफ था कि यह स्थिति किसी भी वक्त मरीजों की जान को खतरे में डाल सकती थी। मगर इतना सब देखने के बावजूद सीएमएचओ ने अस्पताल पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। सीएमएचओ खुद अस्पताल संचालक को फटकार लगाते हुए नजर आए और सोशल मीडिया पर जमकर वाहवाही लूटी।

शिकायतकर्ता ने जब आयुष्मान कार्ड से वसूली की शिकायत दर्ज कराई तो उसे बार-बार विभाग बुलाता रहा। इसके बाद डॉक्टर इमरान अली ने शिकायतकर्ता को बुलाया और जल्दी-जल्दी जबरन वसूले गए पैसे वापस करवा दिए। लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। जैसे ही पैसे वापस हुए, स्वास्थ्य विभाग से शिकायतकर्ता को फोन आया और कहा गया- “आपके पैसे तो मिल गए, अब अपनी शिकायत वापस कर दीजिए।”
Lalluram impact: इंदौर के फीनिक्स हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड धारकों से वसूली खेल, CMHO ने अस्पताल संचालक को लगाई फटकार, अवैध निर्माण और डॉक्टरों की अनुपस्थिति पर कार्रवाई तय
यानी साफ है कि विभाग का मकसद आरोपी अस्पताल को बचाना था, न कि गरीब मरीजों को न्याय दिलाना। सवाल यही है कि अगर अस्पताल दोषी था तो उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई? उसका लाइसेंस क्यों नहीं रद्द किया गया? अस्पताल का संचालन क्यों जारी है? इसके साथ ही अस्पताल के अवैध निर्माण को लेकर भी नगर निगम को अब तक किसी प्रकार का कोई पत्र नहीं लिखा गया।
जब lalluram.com संवाददाता हेमंत शर्मा इंदौर सीएमएचओ डॉक्टर माधव हसनी से बात करने का प्रयास किया तो दो बार वह यह कहकर बात को टाल गए कि ‘मैं अभी ऑफिस में नहीं हूं … देख कर मामले की स्थिति बता पाऊंगा।’ इतने गंभीर मुद्दे पर स्वास्थ्य विभाग जरा भी गंभीर नजर नहीं आया।
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