फीचर स्टोरी। कहते हैं मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, एक दिन सफलता जरूर कदम चूमती है. अगर संकल्प पक्का हो तो कुछ भी संभव है. इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हुए हैं, जो जीरो से हीरो बने हैं. ऐसी ही एक कहानी धमतरी जिले में रहने वाले किसान की है, जिन्होंने जीरो से हीरो बनकर एक अलग ही छाप छोड़ी है. किसानों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है. सरकारी योजनाओं और अपने 10 साल की मेहनत के बूते आज करोड़पति किसान का तमगा अपने नाम के आगे लगा लिए हैं. भूपेश सरकार की कई योजनाओं की सहायता से करोड़ों की आमदनी कर रहे हैं. इतना ही नहीं 500-700 लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं.

रोजाना 10 लाख रुपये की कमाई

दरअसल, हम बात कर रहे हैं नगरी के किसान अरुण कुमार साहू की. किसान अरुण कुमार साहू 150 एकड़ के अलग-अलग खेतों से रोजाना 600 से 700 कैरेट टमाटर मार्केट में सप्लाई कर रहे हैं. जहां से रोजाना 10 लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं. आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि देशभर में बारिश की वजह से किसानों की फसल चौपट हुई है. इसी बारिश में वे अपने खेतों में बैगन की जड़ में ग्राफ्टिंग कर टमाटर की बंपर पैदावार ले रहे हैं. वर्तमान में वे सब्जी विक्रेताओं को 60 रुपये प्रति किलो यानी 1500 रूपए प्रति कैरेट की दर से टमाटर बेच रहे हैं.

बैगन की जड़ से उगा रहे टमाटर

लल्लूराम डॉट कॉम की टीम राजधानी रायपुर से 122 किलोमीटर दूर नगरी पहुंची. वहां से करीब 3-4 किलोमीटर दूर बिरनपुर गांव में 2 अलग-अलग खेतों में किसान अरूण कुमार साहू ने 75 एकड़ में सिर्फ टमाटर लगाए हैं. ये सभी ग्राफ्टिंग पौधे हैं. यानी इन सभी टमाटर के पौधों में फल यानी उग तो टमाटर रहे हैं, लेकिन इनकी जड़ें बैगन की है. यही कारण है कि इतनी बारिश और पानी में भी टमाटर के पौधों में फलों की बंपर पैदावार हो रही है.

कौन है छत्तीसगढ़ का ये किसान

धमतरी जिले के विभिन्न क्षेत्रों में 300 एकड़ से ज्यादा में खेती करने वाले अरूण कुमार साहू वर्ष 2007 से खेती कर रहे हैं. उनके इस फिल्ड में आने की रोचक बात ये है कि उन्होंने शुरू से ठान लिया था कि वे नौकरी नहीं करेंगे. यही कारण है कि रायपुर में बीएससी की पढ़ाई के दौरान वे पहले वर्ष की परीक्षा का पेपर देकर अपने घर लौट गए और घर में कहा कि उन्हें पढ़ाई नहीं करनी है, क्योंकि उनको नौकरी नहीं करनी.

पहले नुकसान, अब धनवान

इसके बाद उन्होंने अपने पुस्तैनी खेत में पहले धान उगाया, जो बारिश की वजह से खराब हो गया. तब किसानों को धान का सही मूल्य भी सरकार से नहीं मिल रहा था, इसलिए उन्होंने 105 एकड़ में चना की फसल ली, लेकिन उस वर्ष तीन दिनों तक लगातार हुई बारिश ने उनकी ये फसल भी बर्बाद कर दी. वे केवल 3 एकड़ में होने वाली फसल को ही बचा पाए.

विमल भाई चावड़ा से ली सलाह

इसके बाद उन्होंने हाईटेक खेती को समझने के लिए विमल भाई चावड़ा से सलाह ली. कृषक अरूण कुमार साहू बताते है कि मुझे आज भी याद है कि विमल भाई चावड़ा से जब उनकी पहली मुलाकात हुई थी तो वो उन्हें अपने खेत को दिखवाने के लिए अपने ड्राइवर को भेज दिए और वे 3 घंटे बारिश में वहां फंसे रहे, जहां उनका चौकीदार रहता था. यही कारण है कि वे आज भी उन्हें अपनी उन्नत खेती के लिए विमल भाई चावड़ा को अपना गुरू मानते हैं.

कई प्रदेशों में टमाटर की सप्लाई

कृषक अरूण कुमार साहू बताते है कि वर्तमान में वे 150 एकड़ में टमाटर की फसल ले रहे है, बाकी में जाम, भाटा समेत अन्य सब्जियों की फसल ले रहे है. उनके ये टमाटर वर्तमान में ओड़िशा, आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में सप्लाई होते है. लेकिन वे अपने प्रदेश के व्यापारियों को पहली प्राथमिकता देते हैं, जिससे यहां टमाटर के दाम तेजी से न बढ़े.

ये छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात

कृषि आदान सामग्री के विक्रेता एवं नर्सरी संचालक मितुल कोठारी कहते हैं कि मार्च माह में छत्तीसगढ़ में कोई टमाटर नहीं लगाता है, क्योंकि यंहा का मौसम इसके अनुकूल नहीं रहता है, लेकिन नगरी के किसान अरूण कुमार अपने खेतों से रोजाना 600-700 कैरेट टमाटर निकाल रहे वो वे आश्चर्यजनक है और ये प्रदेश के लिए गर्व की बात भी है.

बिजली बिल हॉफ का उठा रहे लाभ

LALLURAM.COM की टीम से किसान अरुण साहू ने कहा कि भूपेश सरकार की कई योजनाओं का वे लाभ ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिजली बिल हॉफ योजना के तहत उनको मोटर चलाने समेत कई बिजली उपयोगी चीजों में राहत मिल जाती है. सरकार की इस योजना से उनको काफी राहत मिलती है.

बीमा योजना से मिल रहा लाभ

किसान ने कहा कि सरकार से बीमा योजना का लाभ भी मिल जाता है. लगभग 15 से 20 एकड़ फसल से वह लाभ भी लेते हैं, ताकि उनको ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ता है. कुछ सरकार से भी मदद मिल जाती है.

पेक हाउस निर्माण में सब्सिडी

अरुण साहू ने कहा कि सरकार से पेक हाउस निर्माण में मदद मिल जाती है. उनको 50 प्रतिशत सब्सिडी मिल जाती है. खेत के अंदर वे पेक हाउस (स्टोर रूम) बनाते हैं, जिसमें सरकार से 4 लाख में 2 लाख की सब्सिडी मिल जाती है, जिससे उनका बोझ हलका हो जाता है.

प्लांटेशन में सब्सिडी का लाभ

टमाटर किसान अरूण साव ने कहा कि उन्हें भूपेश सरकार से प्लांटेशन में सब्सिडी में भी लाभ मिल रहा है. उन्होंने कहा कि उनको प्लांटेशन में 1 लाख की सब्सिडी मिलती है. भूपेश सरकार उनकी खेती किसानी में प्लांटेशन के लिए सब्सिडी मुहैया कराते हैं.

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