सुप्रिया पांडेय, रायपुर: आज भी अधिकांश लोगों की यही ख्वाहिश होती है कि चाहे कुछ भी हो जाए एक बेटा तो होना ही चाहिए, अम्लेश्वर निवासी जितेंद्र सिंह खारी ने भी यही सोचा कि उनका एक बेटा हो, और इसी ख्वाहिश की वजह से उनकी 7 बेटियां हो गई, पिता परेशान रहकर सोचने लगे कि अब उनका काम कौन संभालेगा ? लेकिन बेटी ने न सिर्फ पिता का सपना पूरा किया बल्कि वो कर दिखाया जो आजकल के बेटे भी न कर पाएं,

दरअसल, पिता ट्रक ड्राइवर हैं और साथ ही बिल्डिंग मटेरियल का काम भी करते हैं, पिता की इच्छा थी कि उनका एक बेटा हो जो इस काम में उनका हाथ बंटाए. पिता की परेशानी को देखते हुए काजल ने 12 साल की उम्र में जेसीबी, ट्रैक्टर, हाइवा, जैसी बड़ी गाड़ियों को चलाना शुरू किया.

काजल बताती हैं कि इतने बड़े परिवार के भरण पोषण में पिता को काफी दिक्कतें होती थी, वे चाहते थे कि कोई तो उनका हाथ बंटाए, जिसे देखते हुए काजल ने पिता से छिपकर बड़ी गाड़ियों को चलाना शुरू किया. पिता ने काजल को जब ट्रक चलाते देखा तो वे भौचक्के रह गए और काजल को इस काम के लिए प्रोत्साहित भी किया. अब पिता गर्व से कहते हैं कि बेटी हो तो काजल जैसी.

बेटे होने की ख्वाहिश लिए काजल की मां बताती हैं कि वे भी पहले यही सोचती थी कि कम से कम एक बेटा तो हो, लेकिन बेटी के कामों को देखते हुए वे कहते हैं कि अब उन्हें अपनी बेटियों पर गर्व है.

काजल एक ऐसे समाज से हैं, जहां आज भी बेटियों को पर्दे के पीछे रखा जाता है. उनकी जल्दी शादी करा दी जाती है. काजल के काम को देखकर समाज उनके पिता को ताने देता था कि वे अपनी बेटी को इतनी छूट न दें, लेकिन पिता ने समाज की बात पर ध्यान न देकर अपनी बेटी को आगे बढ़ाया.

अब वही समाज काजल की तारीफ करते नहीं थक रहा है. काजल बताती है कि हमारा बिल्डिंग मटेरियल सप्लाई का काम है. पहले पापा को बहुत परेशानी होती थी, हम सभी लड़कियां इस वजह से वे सोचते थे कि काश मेरा एक बेटा होता, बेटा होता तो मेरी मदद करता.

एक ही व्यक्ति इतने बड़े परिवार को संभाल रहे थे, वे चिड़चिड़े हो गए थे. पापा को परेशान होते देख मैंने उनका काम संभालने की सोची, फिर मैंने चोरी-छिपे गाड़ी चलाना सीखा, फिर जब पिता को ये बार पता चली तो उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया.

काजल एक ऐसी बेटी है जो न सिर्फ अपने पिता का काम संभाल रही हैं, बल्कि घर के कामों में मां का हाथ भी बटाती है, जरूरत पड़े तो रात में ट्रक चलाकर सामान सप्लाई करने निकल जाती है.